श्रेणीबद्ध LR परिपथ
श्रेणीबद्ध LR परिपथ :- निम्न चित्र (a) में एक प्रतिरोध R तथा प्रेरक L को एक प्रत्यावर्ती वि.वा.ब. स्त्रोत के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है।
माना श्रेणीबद्ध LR परिपथ पर आरोपित प्रत्यावर्ती वि.वा.ब. है। क्यूंकि दोनों अवयव श्रेणीक्रम में हैं, अतः किसी भी क्षण इन दोनों से प्रवाहित धारा का मान समान होगा। माना किसी क्षण परिपथ में धारा I है तब इस क्षण पर R तथा L के सिरों पर विभवांतर क्रमशः VR एवं VL है जहाँ :
इसी प्रकार R तथा L के सिरों पर विभवांतर के अधिकतम मान :
जैसा की चित्र (b) में दर्शाया गया है, V0R धारा के साथ समान कला में होगा व V0L धारा से 90º कला कोण आगे होगा। अतः V0R तथा V0L परस्पर लम्बवत् होंगे। परिणामी वोल्टता E0 :
अतः परिपथ में प्रवाहित धारा का अधिकतम मान I0 :
…..(1)
उपरोक्त समीकरण की ओम के नियम से तुलना करने पर हम पाते हैं कि , श्रेणीबद्ध LR परिपथ द्वारा धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को प्रदर्शित करता है। इसे परिपथ की प्रतिबाधा (impedance) (Z) कहते हैं, अतः
…..(2)
चित्रे (b) में परिणामी वोल्टता E0 , धारा से Φ कला कोण आगे है, जहाँ tanΦ :
…..(3)
प्रतिबाधा (impedance) (Z) का व्युत्क्रम प्रवेश्यता (susceptance) (S) कहलाता है,
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