विद्युत चुंबकीय तरंगों की प्रकृति | vidut chumbkiya tarangon ki prakarti hoti hai
विद्युत चुंबकीय तरंगों की प्रकृति | vidut chumbkiya tarangon ki prakarti hoti hai :- विद्युत चुम्बकीय तरंगें एक प्रकार की ऊर्जा हैं जो प्रकाश की चाल से अंतरिक्ष में यात्रा करती हैं। ये विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के दोलन द्वारा उत्पन्न होती हैं और ध्वनि जैसी यांत्रिक तरंगों के विपरीत इन्हें प्रसार के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव तरंगें, अवरक्त तरंगें, दृश्यमान प्रकाश, पराबैंगनी किरणें, एक्स-रे और गामा किरणें आदि भिन्न – भिन्न तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति की विद्युत चुम्बकीय तरंगें ही हैं।
विद्युत चुम्बकीय तरंगें दोलित विद्युत परिपथ से उत्पन्न होतीं हैं और ये अनुप्रस्थ तरंगें हैं, जिसका अर्थ है कि विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों के दोलन एक दुसरे के व तरंग संचरण की दिशा के लंबवत होते हैं।
उपरोक्त चित्र में एवं क्रमशः Y-अक्ष तथा Z-अक्ष की दिशा में हैं एवं विद्युत चुंबकीय तरंग का संचरण अर्थात X-अक्ष के अनुदिश हो रहा है। विद्युत चुंबकीय तरंग को एक प्रगामी तरंग के समीकरण की भांति निम्न समीकरणों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है :-
यहाँ
= विद्युत क्षेत्र का शिखर मान (या आयाम)
= चुंबकीय क्षेत्र का शिखर मान (या आयाम)
= विद्युत क्षेत्र का तात्क्षणिक मान
= चुंबकीय क्षेत्र का तात्क्षणिक मान
= तरंग सदिश (गमन सदिश)[propagation constant]
= कोणीय आवृत्ति
मैक्सवेल ने गणितीय रूप से सिद्ध किया कि विद्युत चुम्बकीय तरंगे मुक्त आकाश (या निर्वात) में निम्न चाल से यात्रा करती हैं :-
जहाँ μ0= 4π × 10-7 वेबर/एम्पियर मीटर व ε0=8.854 × 10-12 कूलाम2/ न्यूटन मीटर2 क्रमशः निर्वात की चुंबकशीलता एवं निर्वात की विद्युतशीलता है। समीकरण (3) में ये मान रखने पर,
विद्युत चुंबकीय तरंगों की किसी माध्यम में चाल निम्न सूत्र द्वारा की जाती है :-
यहाँ μ व ε क्रमशः दिए गए माध्यम की चुंबकशीलता एवं विद्युतशीलता हैं।
अब हम जानते हैं कि μ = μ0 μr व ε = ε0 εr , यहाँ μr व εr क्रमशः माध्यम की सापेक्षिक चुंबकशीलता एवं सापेक्षिक विद्युतशीलता हैं।
अतः
विद्युत चुंबकीय तरंग के संचरण के दौरान किसी बिंदु पर विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र सदिशों के परिमाणों का अनुपात प्रकाश की चाल के तुल्य होता है। निर्वात में,
जब विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्रों के कंपनों की तरंगदैर्ध्य एक निश्चित परास 0.4 µm से 0.7 µm में होती है तब सदिश मानव नेत्र के रेटिना पर दृश्य प्रभाव उत्पन्न करता है और यह तरंगें हमें दिखाई देने लगती हैं जिसे हम दृश्य प्रकाश कहते हैं। दृश्य प्रकाश के कारण हमें प्रकाश की परिघटनाएं जैसे परावर्तन, अपवर्तन, व्यतीकरण आदि दृष्टिगोचर होती हैं। दृश्य प्रकाश का वर्ण इन कंपनों की तरंगदैर्ध्य (या आवृत्ति) पर निर्भर करता है, उदाहरण के लिए यदि तरंगदैर्ध्य 450 nm से 495 nm हो तब यह प्रकाश हमें नीला दिखाई देता है व इसी प्रकार जब तरंगदैर्ध्य 550 nm हो तब यह प्रकाश हमें हरा दिखाई देता है। विद्युत क्षेत्र , चुंबकीय क्षेत्र की तुलना में अधिक प्रभावी तथा महत्वपूर्ण होता है।
विद्युत चुंबकीय तरंगों की परिभाषा
(विद्युत चुंबकीय तरंगों की प्रकृति | vidut chumbkiya tarangon ki prakarti hoti hai)
विद्युत चुंबकीय तरंगे त्रिविमीय तरंगे हैं जिनमें विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र परस्पर एक दूसरे के व तरंग संचरण की दिशा के लंबवत होते हैं।
विद्युत चुंबकीय तरंगों के उपयोग
(विद्युत चुंबकीय तरंगों की प्रकृति | vidut chumbkiya tarangon ki prakarti hoti hai)
दूरसंचार(telecommunications), इमेजिंग(imaging)[थर्मोग्राम(शरीर की एक छवि जो विभिन्न तापमान के क्षेत्रों को दिखाती है) बनाने के लिए थर्मल इमेजिंग में इन्फ्रारेड विकिरण का उपयोग किया जाता है। यह डॉक्टरों को रोगों का निदान करने में सहायता करती हैं, क्योंकि मानव शरीर के हिस्से संक्रमण या चोट के कारण गर्म होने पर अधिक इन्फ्रारेड किरणें उत्सर्जित करते हैं।] और सुदूर संवेदन( remote sensing)[किसी वस्तु के सीधे संपर्क में आये बिना उसके बारे में आँकड़े संग्रहित करना] सहित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए विद्युत चुम्बकीय तरंगों का उपयोग किया जा सकता है।