श्रेणीबद्ध LCR परिपथ पर प्रयुक्त AC वोल्टता
श्रेणीबद्ध LCR परिपथ पर प्रयुक्त AC वोल्टता :- निम्न चित्र में एक शुद्ध प्रतिरोध R, एक आदर्श संधारित्र C और एक शुद्ध प्रेरक L को एक प्रत्यावर्ती स्त्रोत के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है।
(i) श्रेणीबद्ध LCR परिपथ का फेजर आरेख द्वारा हल
माना आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता :
…..(1)
क्यूंकि R, L व C श्रेणीक्रम में संयोजित हैं, अतः किसी भी समय तीनों अवयवों में प्रवाहित धारा का परिमाण व कला समान होंगे। माना किसी समय परिपथ में प्रवाहित प्रत्यावर्ती धारा :
…..(2)
उपरोक्त चित्र के अनुसार, प्रतिरोध (R) के सिरों पर विभवांतर, प्रत्यावर्ती धारा के साथ समान कला में होगा, अतः
…..(3)
प्रेरक (L) के सिरों पर विभवांतर, धारा से 90° (π/2 रेडियन) कला कोण आगे होगा :
…..(4)
व संधारित (C) के सिरों पर विभवांतर, धारा से 90° (π/2 रेडियन) कला कोण पीछे होगा :
…..(5)
LCR परिपथ की प्रतिबाधा व परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा का शिखर मान
निम्न चित्र में विभिन्न वोल्टताओं को सदिशों से प्रदर्शित किया गया है :
यहाँ विधुत धारा को X -अक्ष पर प्रदर्शित किया गया है और सदिशों , तथा को क्रमशः , तथा द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
क्यूंकि L व C से सिरों पर विभवांतरों व में 180° का कालांतर है, अतः इन दोनों के परिणामी को द्वारा के अनुदिश प्रदर्शित किया गया है(यह माना गया है कि )।
अब ΔOAP में,
…..(6)
ΔOAP में पाइथागोरस प्रमेय से,
…..(7)
समीकरण (6) व (7) का प्रयोग करने पर,
…..(8)
…..(9)
समीकरण (7) में राशी , श्रेणीबद्ध LCR परिपथ के कारण विधुत धारा के मार्ग में उत्पन्न अवरोध को व्यक्त करती है। इस राशी को श्रेणीबद्ध LCR परिपथ की प्रतिबाधा (Impedance) कहते हैं। प्रतिबाधा को Z द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जहाँ
…..(10)
प्रतिबाधा के S.I. मात्रक ओम (Ω) है।
परिणामी विद्युत वाहक बल (E0) तथा धारा (I0) के मध्य कालांतर
ΔOAP में,
…..(11)
अतः श्रेणीबद्ध LCR परिपथ में परिणामी वोल्टता को निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है :
…..(12)
अब यहाँ 3 परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं :
(a) जब
इस स्थिती में परिपथ का परिणामी प्रतिघात (X) शून्य होगा और श्रेणीबद्ध LCR परिपथ, शुद्ध प्रतिरोध परिपथ की भांति व्यवहार करेगा। इस परिस्थिति में परिणामी वोल्टता (E0) व धारा (I0) समान कला में होंगे और इस स्थिती को अनुनाद की स्थिति भी कहा जाता है।
(b) जब
इस स्थिती में परिपथ का परिणामी प्रतिघात (X), प्रेरणिक प्रतिघात होगा और श्रेणीबद्ध LCR परिपथ, प्रेरण प्रभुत्व परिपथ (inductance dominated circuit) की भांति व्यवहार करेगा। इस परिस्थिति में परिणामी वोल्टता (E0), धारा (I0) से Φ कला कोण आगे रहती है जहाँ 0°< Φ < 90° ।
(c) जब
इस स्थिती में परिपथ का परिणामी प्रतिघात (X), धरितीय प्रतिघात होगा और श्रेणीबद्ध LCR परिपथ, धारिता प्रभुत्व परिपथ (capacitance dominated circuit) की भांति व्यवहार करेगा। इस परिस्थिति में परिणामी वोल्टता (E0), धारा (I0) से Φ कला कोण पीछे रहती है जहाँ 0°> Φ > – 90° ।
श्रेणीबद्ध LCR परिपथ में केवल प्रतिरोध ही एक ऐसा घटक है जिसका मान आवृत्ति पर निर्भर नहीं करता व शेष सभी घटकों ( XL, XC, X, Z ) का मान आवृत्ति पर निर्भर करता है जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है।
(ii) श्रेणीबद्ध LCR परिपथ का विश्लेषणात्मक हल (Analytical Solution)
माना एक शुद्ध प्रतिरोध R, एक आदर्श संधारित्र C और एक शुद्ध प्रेरक L को एक प्रत्यावर्ती वोल्टता स्त्रोत के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित किया गया है।
माना आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता :
…..(13)
किसी समय t पर, माना
q = संधारित्र की प्लेटों पर आवेश
I = परिपथ में धारा का मान
= परिपथ में धारा परिवर्तन की दर
संधारित्र के सिरों पर विभवांतर =
प्रेरक के सिरों पर विभवांतर =
प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर = IR
अतः किरचॉफ का नियम से,
…..(14)
क्यूंकि आरोपित वोल्टता प्रत्यावर्ती है, अतः परिपथ में प्रवाहित धारा भी प्रत्यावर्ती होगी। इस प्रवाहित धारा की आवृत्ति तो आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता की आवृत्ति के समान ही होगी किन्तु आयाम (amplitude) व कला (phase) भिन्न होंगे। माना धारा, वोल्टता से Φ कला कोण पीछे है व इसका आयाम I0 है अतः परिपथ में धारा को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है :
…..(15)
तब
और
समीकरण (14) में q, I व dI/dt के मान रखने पर,
उपरोक्त समीकरण में दोनों ओर cos ωt के गुणांकों की तुलना करने पर,
…..(16)
इसी प्रकार sin ωt के गुणांकों की तुलना करने पर,
समीकरण (16) से,
अतः
…..(17)
इसलिए परिपथ में किसी भी समय धारा का मान,
यहाँ राशि को श्रेणीबद्ध LCR परिपथ की प्रतिबाधा (Z) कहते हैं।
नोट :-
- प्रेरकीय तथा धारितीय प्रतिघात के मध्य कलान्तर π रेडियन होता है।
- प्रेरक Low pass filter कहलाता है, क्योंकि यह निम्न आवृत्ति के संकेतों को जाने देता है।
- संधारित्र High pass filter कहलाता है, क्योंकि यह उच्च आवृत्ति के संकेतों को जाने देता है।
उदाहरण 1.
NCERT Example 7.6
एक 200 Ω प्रतिरोधक एवं एक 15 μF संधरित्र, किसी 220 V 50 Hz स्रोत से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। (a) परिपथ में धारा की गणना कीजिए ; (b) प्रतिरोधक एवं संधरित्र के सिरों के बीच rms वोल्टता की गणना कीजिए। क्या इन वोल्टताओं का बीजगणितीय योग स्रोत वोल्टता से अधिक है ? यदि हाँ, तो इस विरोधाभास का निराकरण कीजिए।
हल :
(a) परिपथ की प्रतिबाधा
अतः परिपथ में प्रवाहित धारा,
(b) चूँकि श्रेणीक्रम में समान धारा प्रवाहित होती है, इसलिए
VR = IR = 0.755 × 200 = 151 वोल्ट
VC = IXC = 0.755 × 212.3 = 160.3 वोल्ट
वोल्टताओं का बीजगणितीय योग = VR + VC = 311.06 वोल्ट जो की स्रोत वोल्टता से अधिक है। जैसा कि हम जानते हैं VR व VC में 90º का कलांतर होता है अतः इनका साधरण संख्याओं की भांति योग नहीं किया जा सकता। कलांतर का ध्यान रखते हुए इनका परिणामी सदिशों की भांति ज्ञात किया जाना चाहिए। अतः
⇒ VR+C = 220 वोल्ट = स्रोत वोल्टता
उदाहरण 2.
एक 50W, 100 V के लेम्प को 200 V, 50 हर्ट्ज की प्रत्यावर्ती आपूर्ति से जोड़ा जाना है। लेम्प के श्रेणीक्रम में कितने मान का संधारित्र लगाना आवश्यक है ?
हल :
यहाँ लेम्प के सिरों का अधिकतम विभवांतर 100 V हो सकता है, इसलिए इसे 200 V से स्त्रोत से संयोजित करने के लिए इसके श्रेणीक्रम में एक ओर अवयव जोड़ना होगा। प्रश्नानुसार यह अवयव एक संधारित्र होगा।
लेम्प का प्रतिरोध,
अतः लेम्प से लिए अधिकतम सुरक्षित विद्युत धारा,
जब लेम्प के श्रेणीक्रम में संधारित्र लगाकर 200 V प्रत्यावर्ती स्त्रोत से जोड़ते है तब
V = IZ
C-R परिपथ में,