प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या करने के लिए तरंग सिद्धांत की विफलता
Failure of Wave Theory of Light to explain the Photoelectric Effect In Hindi
प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या करने के लिए तरंग सिद्धांत की विफलता(Failure of Wave Theory of Light to explain the Photoelectric Effect In Hindi) :- हाइगेन का प्रकाश का तरंग सिद्धांत निम्नलिखित कारणों से प्रकाश-विद्युत प्रभाव की व्याख्या करने में विफल रहा :-
- प्रकाश के तरंग सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश पुंज की ऊर्जा को प्रकाश की तीव्रता से मापा जाता है। जैसे-जैसे प्रकाश की तीव्रता बढ़ती है, तरंगों का आयाम बढता है और इसलिए तरंगों द्वारा वहन की जाने वाली ऊर्जा बढ़ती है। जब प्रकाश किसी धातु की सतह पर आपतित होता है, तो प्रकाश की ऊर्जा इलेक्ट्रॉनों के बीच समान रूप से वितरित हो जाती है और ये इलेक्ट्रॉन ऊर्जा ग्रहण करने पर धातु की सतह से उत्सर्जित हो जाते हैं। जब उच्च तीव्रता की प्रकाश तरंगें धातु की सतह पर आपतित होती हैं, तो यह पदार्थ के इलेक्ट्रॉनों को अधिक ऊर्जा प्रदान करेगी हैं। अत: उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा भी बढ़ जाएगी। यह प्रायोगिक तथ्यों के विपरीत है क्यूंकि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती।
- प्रकाश के तरंग सिद्धांत के अनुसार किसी तरंग की ऊर्जा उसकी तीव्रता पर निर्भर करती है न कि उसकी आवृत्ति पर। तो प्रकाश के तरंग सिद्धांत के अनुसार, सभी आवृत्तियों की प्रकाश तरंगों द्वारा धातु की सतह से इलेक्ट्रान उत्सर्जन संभव है, बशर्ते कि प्रकाश की तीव्रता इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने के लिए पर्याप्त हो। यह प्रायोगिक तथ्य के विरुद्ध है कि यदि आपतित विकिरण की आवृत्ति देहली आवृत्ति से कम है, तो धातु की सतह से कोई प्रकाश-विद्युत उत्सर्जन नहीं होता है।
- प्रकाश के तरंग सिद्धांत के अनुसार, प्रकाश की ऊर्जा उसके तरंगाग्र पर एक समान रूप से वितरित होती है। इस प्रकार, जब प्रकाश किसी धातु की सतह पर आपतित होता है, तो प्रकाश की ऊर्जा सभी इलेक्ट्रॉनों के मध्य समान रूप से वितरित हो जाती है। अतः इलेक्ट्रॉनों को धातु की सतह से उत्सर्जित होने के लिए आवश्यक ऊर्जा को संचित करने में कुछ समय लगेगा। यह प्रायोगिक तथ्य के विरुद्ध है क्यूंकि विकिरण के आपतित होने और इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन में समय पश्चता नहीं होती है।
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