प्रत्यास्थता (Elasticity in Hindi)
प्रत्यास्थता (Elasticity in Hindi)
प्रत्यास्थता पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण वस्तु विरूपण बल के हटने पर अपने मूल आकार और आकृति को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रवृत्त होती है।
प्रत्यास्थता से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण पद (Elasticity in Hindi)
- विरूपक बल :- वह बाह्य बल जो किसी पिंड की लंबाई, आयतन या आकार को बदलने का प्रयास करता हैं, विरूपक बल कहलाता है।
- आंतरिक प्रत्यानयन बल :- जब कोई बाह्य बल किसी वस्तु पर कार्य करता है तो अंतराआण्विक बलों के कारण वस्तु में एक आंतरिक प्रतिरोध उत्पन्न होता है जो वस्तु को उसके मूल आकार और आकृति में पुनः लाने का प्रयास करता है। इस आंतरिक प्रतिरोध को आंतरिक प्रत्यानयन बल कहते हैं। यह भी ध्यान दें कि जब वस्तु संतुलन में होती है तो आंतरिक प्रत्यानयन बल का संख्यात्मक मान बाह्य विरूपक बल के बराबर होता है ।
- पुर्णतः प्रत्यास्थ वस्तु :- वह वस्तु जो बाह्य विरूपक बल के हटने पर अपने मूल आकार और आकृति को पूरी तरह से पुनः प्राप्त कर लेती है, पुर्णतः प्रत्यास्थ वस्तु कहलाती है। क्वार्ट्ज [सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2)] और phosphor bronze – फॉस्फोर कांस्य (तांबा आधारित मिश्र धातु 3.5-10% टिन और 1% फॉस्फोरस से बना) लगभग पुर्णतः प्रत्यास्थ वस्तु के उदाहरण हैं।
- प्लास्टिक वस्तु :- वह वस्तु जो विरूपक बल का तनिक भी विरोध नहीं करती अथवा वह वस्तु जो विरूपक बल के हटने के पश्चात भी विकृत अवस्था में ही रहती है, प्लास्टिक वस्तु कहलाती है।
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