De Broglie Equation in Hindi
(डी ब्रोग्ली की परिकल्पना)
डी ब्रोग्ली की परिकल्पना
(De Broglie Equation in Hindi)
क्योंकि विकिरण का दोहरा स्वभाव होता है अर्थात विकिरण, तरंग व कण दोनों गुण प्रदर्शित करती है और क्योंकि ब्रह्मांड विकिरण एवं द्रव्य से मिलकर बना है, अतः डी-ब्रोग्ली ने निष्कर्ष निकाला कि गतिमान कण का भी दोहरा स्वभाव होना चाहिए क्योंकि प्रकृति सममितता चाहती है ।
डी ब्रोग्ली की परिकल्पना :-
डी ब्रोग्ली की परिकल्पना के अनुसार एक गतिमान कण कभी-कभी तरंग की भांति व्यवहार करता है व कभी-कभी एक कण की भांति व्यवहार करता है अथवा दूसरे शब्दों में एक गतिमान कण के साथ एक तरंग जुड़ी होती है इस तरंग को द्रव्य तरंग या डी ब्रोग्ली तरंग कहा जाता है जिसकी तरंगदैर्ध्य को डी ब्रोग्ली तरंग दैर्ध्य कहते हैं जिसे निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है…
जहां m व v कण के द्रव्यमान और वेग हैं तथा h प्लांक नियतांक है।
डी ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य सूत्र
प्लांट के क्वांटम सिद्धांत के अनुसार किसी फोटोन की ऊर्जा निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है
E = hν …..(1)
जहाँ h प्लांक नियतांक है व ν प्रकाश की आवृत्ति है।
यदि किसी कण का द्रव्यमान m हो तथा उसका वेग c हो, तो आइंस्टीन के ऊर्जा द्रव्यमान संबंध से उसकी ऊर्जा निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है
E = mc2 …..(2)
समीकरण (1) व (2) से
hν = mc2
⇒ hν/c = mc …..(3)
क्योंकि प्रत्येक फोटोन c वेग से गति करता है अतः फोटोन का संवेग, p = mc
अतः समीकरण (3) से
p = (hν/c) = (hν/νλ) = (h/λ)
अथवा
λ = h/p …..(4)
डी ब्रोग्ली ने माना कि समीकरण (4) फोटोन व द्रव्य कण दोनों के लिए लागू होती है।
समीकरण (4) से
λ ∝ 1/p
∴ डी ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य संवेग के व्युत्क्रमानुपाती होती है यही कारण है कि इलेक्ट्रॉन जैसे छोटे कणों की तरंगदैर्ध्य प्रकट हो जाती है परंतु गतिमान गेंद या कार की नहीं, क्योंकि इनका संवेग अधिक होता है।
λ = h/p = h/mv
नोट :- डी ब्रोग्ली तरंगे यांत्रिक तरंगे नहीं है और ना ही विद्युत चुंबकीय तरंगे(क्योंकि विद्युत चुंबकीय तरंगे त्वरित विद्युत आवेशों द्वारा उत्पन्न की जाती हैं ) हैं।
डी ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य तथा तापमान में संबंध
(De Broglie Equation in Hindi)
अणुगति सिद्धांत से किसी कण की T केल्विन तापमान पर औसत गतिज ऊर्जा निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है
जहाँ kB बोल्ट्जमान नियतांक है।
यदि m द्रव्यमान का कोई कण v वेग से गति करता है तब उसकी गतिज ऊर्जा…
कण का संवेग,
अतः डी ब्रोग्ली तरंग दैर्ध्य…
उदाहरण 1.
v आवृत्ति वाले फोटॉन की ऊर्जा E = hv द्वारा दी जाती है जहाँ h प्लैंक स्थिरांक है। एक फोटॉन का संवेग p = h/λ होता है, जहाँ λ फोटॉन की तरंगदैर्ध्य है। उपरोक्त कथन से यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि प्रकाश की चाल है :-
(A)
(B)
(C)
(D)
हल :
दिया है E = hv और p = h/λ
अतः (B) सही विकल्प है।
उदाहरण 2.
यदि किसी इलेक्ट्रॉन के संवेग में P का परिवर्तन होता है, तो इससे सम्बंधित डी-ब्रॉगली तरंगदैर्घ्य 0.5% परिवर्तित हो जाती है। इलेक्ट्रॉन का प्रारंभिक संवेग होगा :
(A) 400P
(B) P/200
(C) 100P
(D) 200P
हल :
इलेक्ट्रॉन की प्रारंभिक डी-ब्रोगली तरंगदैर्ध्य :-
…..(1)
मान लीजिए इलेक्ट्रॉन का संवेग P से बढ़ जाता है, तो नई डी-ब्रोगली तरंगदैर्घ्य (कम) होगी :-
…..(2)
समीकरण (1) में से समीकरण (2) को घटने पर
…..(3)
समीकरण (3) को समीकरण (1) से विभाजित करने पर,
प्रश्नानुसार,
इसलिए
अतः (D) सही विकल्प है।
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आप किस समय क्लास लेते हैं
Fix नही है, बदलता रहता है।
Is site par 9th chapter kha se suru hai
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