बाह्य क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा
बाह्य क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा :- बाह्य क्षेत्र एक बल क्षेत्र है जो इसे अनुभव करने वाली वस्तु से स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में होता है। यह हो सकता है :
- गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र, जो पृथ्वी या सूर्य जैसे विशाल पिंडों द्वारा निर्मित होता है।
- विद्युत क्षेत्र, आवेशों या परिवर्तनशील चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा उत्पन्न।
- गतिशील आवेशों या चुंबकीय पदार्थों द्वारा उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र।
ये क्षेत्र अपने प्रभाव में आने वाली वस्तुओं पर बल लगाते हैं, जो बिना सीधे संपर्क के वस्तु की ऊर्जा को परिवर्तित कर सकते हैं।
(a) बाह्य क्षेत्र में एकल आवेश की स्थितिज ऊर्जा
(बाह्य क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा)
हम पहले ही आवेशों के एक निकाय की स्थितिज ऊर्जा पर चर्चा कर चुके हैं, जहां विद्युत क्षेत्र का स्रोत ज्ञात था और ज्ञात स्थानों पर निर्दिष्ट आवेश उपस्थित थे।
अब, हम उस स्थिति पर विचार करते हैं जहाँ एक एकल आवेश (या कई आवेशों) को बाह्य विद्युत क्षेत्र E में रखा जाता है, और यह विद्युत क्षेत्र E उन आवेशों द्वारा उत्पन्न नहीं किया गया जिनकी स्थितिज ऊर्जा की हम गणना करना चाहते हैं। इस बाह्य क्षेत्र को उत्पन्न करने वाले स्रोत (आवेश) रुचि के नहीं हैं – वे वर्तमान विश्लेषण के लिए अज्ञात या अप्रासंगिक हैं। बाह्य विद्युत क्षेत्र E और संबंधित विद्युत विभव V आकाश में भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर भिन्न-भिन्न हो सकते है।
परिभाषा के अनुसार, विद्युत क्षेत्र में अनंत से एक बिंदु P तक इकाई धनावेश को लाने में किया गया कार्य बिंदु P पर विद्युत विभव V के बराबर होता है। इस प्रकार, बाह्य विद्युत क्षेत्र में अनंत से बिंदु P तक एक आवेश q को लाने में किया गया कार्य है :
यह कार्य उस बिंदु पर आवेश की स्थितिज ऊर्जा के रूप में संग्रहित हो जाता है। इसलिए :
बाह्य क्षेत्र में स्थिति r पर आवेश q की स्थितिज ऊर्जा :-
(b) बाह्य क्षेत्र में दो आवेशों के निकाय की स्थितिज ऊर्जा
(बाह्य क्षेत्र में स्थितिज ऊर्जा)
मान लीजिए q1 और q2 दो बिंदु आवेश हैं जो तीव्रता E के एक बाह्य विद्युत क्षेत्र में क्रमशः स्थिति सदिश और पर स्थित हैं। हम निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा की गणना करना चाहते हैं।
(1) आवेश q1 को अनंत से स्थिति तक लाने में किया गया कार्य :
(2) आवेश q2 को अनंत से स्थिति r2 तक लाने में किए गए कार्य को 2 कार्यों के योग के तुल्य कहा जा सकता :
(i) बाह्य विद्युत क्षेत्र E के विरुद्ध किया गया कार्य :
(ii)आवेश q1 द्वारा उत्पन्न विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध किया गया कार्य :
जहाँ दो आवेशों के मध्य की दूरी है।
अध्यारोपण सिद्धांत के अनुसार, निकाय की कुल स्थितिज ऊर्जा (U) किए गए सभी कार्यों का योग है :