आवेशों के पुनर्वितरण में ऊर्जा हानि
आवेशों के पुनर्वितरण में ऊर्जा हानि :- जब भिन्न-भिन्न विभव तक आवेशित संधारित्रों को एक दूसरे के साथ संयोजित किया जाता है तब उच्च विभव वाले संधारित्र से निम्न विभव वाले संधारित्र की ओर आवेश का स्थानांतरण होता है। इस प्रक्रम में कुल आवेश तो संरक्षित रहता है किंतु चालक तारों में आवेश प्रवाह के कारण ऊष्मा के रूप में कुछ ऊर्जा की हानि हो जाती है। यह ऊर्जा हानि ज्ञात करने के लिए माना दो संधारित्र जिनकी धरिताएं C1 व C2 हैं, क्रमशः V1 व V2 विद्युत विभव तक आवेशित करने के पश्चात संयोजित किए गए हैं।
आवेश स्थानांतरण के पश्चात उभयनिष्ठ विभव (V),
…..(1)
संयोजन से पूर्व कुल ऊर्जा,
…..(2)
संयोजन के पश्चात कुल ऊर्जा,
…..(3)
समीकरण (3) में समीकरण (2) का प्रयोग करने पर,
…..(4)
आइये समीकरण (1) व (4) का प्रयोग कर (U1 – U2) का मान ज्ञात करें :-
…..(5)
उपरोक्त समीकरण (5) में (U1 – U2) का मान धनात्मक है अर्थात् (U1 > U2)
इससे यह सिद्ध होता है कि आवेशित संधारित्रों को एक दूसरे के साथ संयोजित करने पर आवेशों के पुनर्वितरण में ऊर्जा हानि होती है। यह उर्जा हानि संयोजक चालक तारों में ऊष्मा व स्पार्किंग के रूप में होती है।