संधारित्रों का संयोजन
संधारित्रों का संयोजन :- जब वांछित धारिता का संधारित्र उपलब्ध नहीं होता, तब दो या दो से अधिक संधारित्रों को आपस में संयोजित कर वांछित धारिता का मान प्राप्त किया जाता है। संधारित्रों का संयोजन दो प्रकार से होता है :-
- श्रेणी क्रम संयोजन (Series combination) व
- समांतर क्रम संयोजन (Parallel combination)
(1). संधारित्रों का श्रेणी क्रम संयोजन
(संधारित्रों का संयोजन)
संधारित्रों के श्रेणी क्रम संयोजन में, संधारित्रों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि पहले संधारित्र की ऋणात्मक प्लेट दूसरे संधारित्र की धनात्मक प्लेट से जुड़ी होती है। इसी क्रम में यदि और संधारित्र हों, तो उनकी ऋणात्मक प्लेट अगले संधारित्र की धनात्मक प्लेट से जोड़ी जाती है। अंत में पहले और अंतिम संधारित्र के खुले सिरे बाह्य वोल्टेज स्रोत से जोड़े जाते हैं।
विशेषताएँ:
- धारिता में कमी: श्रेणी क्रम में संधारित्रों की कुल धारिता हमेशा सबसे छोटे संधारित्र की धारिता से भी कम होती है।
- विभवान्तर भिन्न-भिन्न: प्रत्येक संधारित्र पर विभव का विभाजन उसकी धारिता के व्युत्क्रम अनुपात में होता है (कम धारिता वाले संधारित्र के सिरों पर अधिक विभवान्तर होगा)।
- आवेश समान: श्रेणी क्रम में सभी संधारित्रों पर आवेश का मान समान होता है।
माना तीन संधारित्र जिनकी धरिताएं C1 , C2 , व C3 हैं, श्रेणी क्रम में संयोजित हैं। संधारित्रों के संयोजन को V वोल्ट की एक बैटरी से जोड़ा गया है।
मध्य के दो भाग, जिनमें C1 की दायीं प्लेट व C2 की बाईं प्लेट इसी प्रकार C2 की दायीं प्लेट व C3 की बाईं प्लेट शामिल हैं, विलगित निकाय होने के कारण विद्युत रूप से उदासीन हैं। बैटरी इन भागों से आवेश ना तो ले सकती है और न ही दे सकती है।
माना बैटरी C3 की दायीं प्लेट से +Q आवेश लेकर C1 की बाईं प्लेट को स्थानांतरित करती है। इस आवेश स्थानांतरण के कारण केन्द्रीय विलगित भाग ध्रुवित हो जाते हैं किन्तु इन पर कुल आवेश शुन्य (Qnet = 0) रहता है। इस प्रकार प्रत्येक संधारित्र पर आवेश की मात्रा समान रहती है व धारिता भिन्न-भिन्न होने के कारण प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवांतर भिन्न-भिन्न होता है।
श्रेणी क्रम संयोजन की तुल्य धारिता ( Cs )
प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवांतर :
…..(1)
संधारित्रों के संयोजन पर कुल विभवांतर :
…..(2)
यदि श्रेणी क्रम संयोजन के स्थान पर Cs धारिता का संधारित्र लगाया जाए जो समान विभवांतर V आरोपित करने पर समान आवेश Q संचित करे, तब वह एकल संधारित्र श्रेणी क्रम संयोजन का तुल्य संधारित्र कहलाता है। यदि तुल्य संधारित्र की धारिता Cs हो, तब
…..(3)
(1), (2) व (3) से,
…..(4)
n संधारित्रों के लिए,
…..(5)
अतः
- श्रेणी क्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर आवेश का मान समान होता है व यह Q = VCS के बराबर होता है। (समीकरण (3) से)
- श्रेणी क्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवांतर उसकी धारिता के व्युत्क्रमानुपाती (
) होता है।
- संयोजन की तुल्य धारिता का व्युत्क्रम, संयोजन में लगे प्रत्येक संधारित्र की अलग-अलग धरिताओं के व्युत्क्रम के योग के बराबर होता है।
- तुल्य धारिता का मान, संयोजन में लगे कम से कम धारिता वाले संधारित्र से भी कम होता है।
नोट :-
(1). यदि समान धारिता C के n संधारित्र श्रेणी क्रम में संयोजित हों, तब तुल्य धारिता
(2). संधारित्रों के श्रेणी क्रम संयोजन में संचित कुल उर्जा: क्योंकि श्रेणी क्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र पर आवेश (Q) का मान समान होता है, अतः कुल उर्जा (U) :-
(3). यदि एक संधारित्र की प्लेटों के मध्य K1 , K2 , K3 ……. परावैद्युतांक की कई समांतर पट्टियाँ रखी हों, तो यह व्यवस्था उन पट्टियों को अलग-अलग रखकर बने संधारित्रों के श्रेणी क्रम संयोजन के तुल्य मानी जाएगी। यह व्यवस्था दूरी विभाजन (Distance division) कहलाती है।
अतः धारिता :-
(2). संधारित्रों का समांतर क्रम संयोजन
(संधारित्रों का संयोजन)
संधारित्रों के समांतर क्रम संयोजन में दो या अधिक संधारित्रों को इस प्रकार जोड़ा जाता है कि उनकी पहली प्लेटें एक बिंदु पर व दूसरी प्लेटें दुसरे बिंदु पर जोड़ दी जाती हैं अर्थात् सभी संधारित्रों की धनात्मक प्लेटें एक साथ जुड़ी होती हैं और सभी ऋणात्मक प्लेटें भी एक साथ जुड़ी होती हैं।
विशेषताएँ:
- धारिता में वृद्धि: समांतर क्रम संयोजन में कुल धारिता प्रत्येक संधारित्र की धारिता के योग के बराबर होती है, जिससे कुल धारिता में वृद्धि हो जाती है।
- विभावांतर समान: सभी संधारित्रों के सिरों पर विभावांतर समान होता है, क्योंकि वे एक ही विद्युत स्रोत से जुड़े होते हैं।
- आवेश भिन्न-भिन्न: प्रत्येक संधारित्र पर आवेश का मान उसकी धारिता के समानुपाती होता है (अधिक धारिता वाले संधारित्र पर अधिक आवेश होगा)।
माना तीन संधारित्र जिनकी धरिताएं C1 , C2 , व C3 हैं, समांतर क्रम में संयोजित हैं। संधारित्रों के संयोजन को V वोल्ट की एक बैटरी से जोड़ा गया है।
समांतर क्रम संयोजन की तुल्य धारिता ( Cp )
प्रत्येक संधारित्र पर संचित आवेश :
…..(6)
संधारित्रों के संयोजन पर संचित कुल आवेश :
…..(7)
यदि समांतर क्रम संयोजन के स्थान पर Cp धारिता का संधारित्र लगाया जाए जो समान विभवांतर V आरोपित करने पर समान आवेश Q संचित करे, तब वह एकल संधारित्र समांतर क्रम संयोजन का तुल्य संधारित्र कहलाता है। यदि तुल्य संधारित्र की धारिता Cp हो, तब
…..(8)
(6), (7) व (8) से,
…..(9)
n संधारित्रों के लिए,
…..(10)
अतः
- समांतर क्रम संयोजन प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवांतर समान होता है।
- संयोजन की तुल्य धारिता, संयोजन में लगे प्रत्येक संधारित्र की अलग-अलग धरिताओं के योग के बराबर होती है।
- तुल्य धारिता का मान, संयोजन में लगे अधिक से अधिक धारिता वाले संधारित्र से भी अधिक होती है।
नोट :-
(1). यदि समान धारिता C के n संधारित्र समांतर क्रम में संयोजित हों, तब तुल्य धारिता
(2). संधारित्रों के समांतर क्रम संयोजन में संचित कुल उर्जा: क्योंकि समांतर क्रम संयोजन में प्रत्येक संधारित्र के सिरों पर विभवांतर(V) का मान समान होता है, अतः कुल उर्जा (U) :-
(3). यदि एक संधारित्र की प्लेटों के मध्य K1 , K2 , K3 ……. परावैद्युतांक की भिन्न-भिन्न क्षेत्रफल तथा समान मोटाई (संधारित्र की प्लेटों के मध्य दूरी के बराबर) कई समांतर पट्टियाँ रखी हों, तो यह व्यवस्था उन पट्टियों को अलग-अलग रखकर बने संधारित्रों के समांतर क्रम संयोजन के तुल्य मानी जाएगी। यह व्यवस्था क्षेत्रफल विभाजन (Area division) कहलाती है।
अतः धारिता :-
नोट (JEE के लिए):-
यदि N संधारित्रों के किसी संयोजन (श्रेणी, समानांतर या मिश्रित) को एक बैटरी से आवेशित किया जा रहा हो तब आवेशन के समय ऊष्मा (H) के रूप में उर्जा हानि :
जहाँ ΔQk = kवें संधारित्र के आवेश में परिवर्तन है और Ck = kवें संधारित्र की धारिता है।
यदि प्रारंभ में सभी संधारित्र अनावेशित हों (Qik = 0) तब :
समान क्षेत्रफल व समान दूरी पर रखी प्लेटों से बने निकाय की तुल्य धारिता ज्ञात करना
(संधारित्रों का संयोजन)
उदाहरण :- यदि प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A है और क्रमिक प्लेटों के मध्य पृथक्करण d है, तो बिंदु A और बिंदु B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात करो।
हल :
(i).
इस प्रकार के प्रश्नों को हल करने के चरण इस प्रकार हैं :
चरण 1 : प्लेटों को क्रमांकित करो।
चरण 2 : यदि कुछ प्लेटें (जैसे प्लेट संख्या 1 व 4) किसी एक बिंदु पर आपस में संयोजित हों, तो उस बिंदु को भी चिन्हित करें और उचित नाम दें।
चरण 3 : अब पत्र पर उन दो बिन्दुओं (A व B) को उचित दूर पर अंकित करो जिनके मध्य निकाय की तुल्य धारिता ज्ञात करनी है और साथ में कोई अतिरिक्त बिंदु भी हो (जैसे चरण 2 में बिंदु C) तो उसे भी अंकित करो। बिन्दुओं के साथ उनसे संयोजित प्लेटों की संख्या भी लिखो।
चरण 4 : अब चरण 2 को देख कर सभी बिन्दुओं के मध्य संयोजित संधारित्रों को एक-एक करके चरण 3 में प्रदर्शित करो।
- चरण 2 में प्लेट संख्या 1 व प्लेट संख्या 2 के मध्य एक संधारित्र है अतः बिन्दुओं A व C के मध्य एक संधारित्र आएगा।
- इसी प्रकार चरण 2 में प्लेट संख्या 2 व प्लेट संख्या 3 के मध्य एक संधारित्र है अतः बिन्दुओं A व B के मध्य एक संधारित्र आएगा।
- और इसी प्रकार चरण 2 में प्लेट संख्या 3 व प्लेट संख्या 4 के मध्य एक संधारित्र है अतः बिन्दुओं B व C के मध्य एक संधारित्र आएगा।
चरण 5 : अब आप को एक सरल परिपथ प्राप्त हो चुका है। अतिरिक्त बिन्दुओं (बिंदु C) को हटा दीजिये और इस परिपथ में सभी संधारित्रों की पहचान कीजिये कि कौन-कौन से संधारित्र श्रेणीक्रम में और कौन-कौन से संधारित्र समान्तर क्रम में संयोजित हैं। और अंत में वांछित तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये। क्यूंकि सभी संधारित्रों की प्लेटों का क्षेत्रफल A (समान) और इनके मध्य की दूरी d है , अतः प्रत्येक संधारित्र की धारिता होगी।
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता :
(ii). यहाँ प्लेट क्रमांक 2 व 3 के मध्य कोई संधारित्र संयोजित नहीं होगा क्यूंकि ये दोनों प्लेटें एक ही बिंदु B से जुडी हैं।
बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता :
(iii).
बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता :
(iv).
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता :
नोट :- N प्लेटों से अधिक से अधिक (N-1) संधारित्र बनाए जा सकते हैं।
उदाहरण 1.
यदि प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A है तथा क्रमिक प्लेटों के मध्य पृथक्करण d है, तो A और B के मध्य तुल्य धारिता होगी –
(A)
(B)
(C)
(D)
हल :
यह एक संतुलित व्हीटस्टोन सेतु परिपथ है। अतः इसे निम्न प्रकार हल किया जा सकता है :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता :
उदाहरण 2.
एक समानान्तर प्लेट संधारित्र समान दूरी पर स्थित n प्लेटों से मिलकर बना है। इन प्लेटों को एकान्तर क्रम में जोड़ा गया है। यदि किन्हीं दो प्लेटों के मध्य धारिता C है तो परिणामी धारिता क्या होगी ?
हल :
यह संधारित्रों का समान्तर क्रम संय्प्जन है। अब क्यूंकि N प्लेटों से अधिक से अधिक (N-1) संधारित्र बनाए जा सकते हैं, व किन्हीं भी दो प्लेटों के मध्य धारिता C है अतः X और Y के मध्य परिणामी धारिता :
CXY = (N-1)C