परावैद्युत सामर्थ्य | परावैद्युत सामर्थ्य क्या है
परावैद्युत सामर्थ्य | परावैद्युत सामर्थ्य क्या है :- वह अधिकतम विद्युत क्षेत्र (electric field) जो कोई परावैद्युत पदार्थ बिना भंजन (breakdown) हुए सहन कर सकता है उसे उस पदार्थ का परावैद्युत सामर्थ्य कहते हैं।
संधारित्र की प्लेटों के मध्य विभवान्तर,
उपरोक्त समीकरण से हम देखते हैं कि अल्प विभवान्तर (V) पर अधिक आवेश (Q) संचित करने के लिए संधारित्र की धारिता का मान अधिक होना चाहिए। यदि धारिता (C) का मान कम होगा तब प्लेटों के मध्य विभावांतर का मान बढ़ जाएगा जिससे प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र के मान में वृद्धि होगी। उच्च विद्युत क्षेत्र से आसपास की वायु का आयनीकरण हो जाएगा और उत्पन्न आयन विपरीत आवेशों की प्लेटों की और त्वरित होंगे और प्लेटों के आवेश में कुछ कमी आएगी। इस प्रकार परावैद्युत पदार्थ की रोधन क्षमता कम होने से प्लेटों पर संचित आवेश रिसना (leak) प्रारंभ हो जाएगा।
अतः किसी संधारित्र द्वारा अधिक आवेश संचित करने के लिए इसकी धारिता का मान अधिक होना चाहिए ताकि इसकी प्लेटों के मध्य विभावांतर का मान काम हो और विद्युत क्षेत्र का मान परावैद्युत सामर्थ्य तक ना पहुंच सके।
कुछ पदार्थों की परावैद्युत सामर्थ्य और परावैद्युतांक नीचे सारणी में दिए गए हैं :-