चुंबकीय प्रवृत्ति
चुंबकीय प्रवृत्ति किसी पदार्थ का वह गुण है जो यह निर्धारित करता है कि कोई पदार्थ किसी बाह्य चुम्बकन क्षेत्र (H) में रखने पर कितनी सरलता से चुम्बकित होगा। जब कोई चुम्बकीय पदार्थ किसी चुम्बकन क्षेत्र (H) में रखा जाता है तो उस पदार्थ में चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण (M) प्रेरित होने लगता है।
पदार्थ के एकांक आयतन में उत्पन्न कुल चुम्बकीय आघूर्ण अर्थात चुम्बकन तीव्रता (Intensity of magnetization I), चुम्बकन क्षेत्र (Magnetizing field H) के समानुपाती होती है, अतः
…..(1)
यहाँ χm (उच्चारण – “kai”) एक समानुपातिक नियतांक है जिसे पदार्थ की चुंबकीय प्रवृत्ति कहा जाता है।
समीकरण (1) से,
…..(2)
अर्थात किसी पदार्थ में चुम्बकन तीव्रता (I) तथा चुम्बकन क्षेत्र (H) के अनुपात को चुंबकीय प्रवृत्ति (χm) कहते हैं । क्यूंकि I व H के मात्रक समान है, अतः χm एक विमाहीन, मात्रकहीन, अदिश राशि है।