संवेग संरक्षण का नियम
संवेग संरक्षण का नियम :- रेखीय संवेग संरक्षण के नियमानुसार, ‘यदि किसी निकाय पर लगने वाला कुल बाह्य बल शुन्य हो तो निकाय का कुल रेखीय संवेग नियत(संरक्षण) रहता है’।
न्यूटन के द्वितीय नियम से किसी निकाय के रेखीय संवेग में परिवर्तन की दर उस पर लगने वाले कुल बाह्य बल के बराबर होती है, अर्थात
यदि कुल बाह्य बल अनुपस्थित हो, तब
= नियत
यही संवेग संरक्षण का नियम है।
दो कणों के निकाय के लिए संवेग संरक्षण का नियम
दो कणों A और B के एक निकाय पर विचार करें :
माना
mA = कण A का द्रव्यमान, mB = कण B का द्रव्यमान
= कण A पर बाह्य बल, = कण B पर बाह्य बल
= B के कारण A पर आरोपित बल, = A के कारण B पर आरोपित बल
कण A पर कुल बल = , कण B पर कुल बल =
कण A पर न्यूटन के द्वितीय नियम से :
…..(1)
इसी प्रकार कण B के लिए :
…..(2)
कणों A और B के निकाय पर आरोपित कुल बल समीकरण (1) और (2) जोड़कर प्राप्त किया जा सकता है :
…..(3)
किन्तु और क्रिया-प्रतिक्रिया बल हैं, अतः न्यूटन के तृतीय नियम से
अतः समीकरण (3) से :
…..(4)
अब यदि निकाय पर कोई बाह्य बल कार्य नहीं कर रहा है, तो
उस स्थिति में समीकरण (4) से हमें प्राप्त होता है:
इसलिए यदि किसी निकाय पर कार्य करने वाला कुल बाह्य बल शून्य है तो उस निकाय का परिणामी संवेग स्थिर रहता है।
⇒ संवेग संरक्षण का नियम आंतरिक बलों की उपस्थिति से प्रभावित नहीं होता है।