विद्युत ऊर्जा
विद्युत ऊर्जा :- जब किसी बैटरी द्वारा किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो बैटरी के अंदर संचित रासायनिक ऊर्जा का रूपांतरण चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा के रूप में होता है। चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की परमाणुओं से निरंतर टक्कर होने के कारण इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का क्षय होता रहता है तथा जिससे चालक का ताप बढ़ जाता है। अतः बैटरी की रासायनिक ऊर्जा चालक की ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित होती रहती है।
विद्युत ऊर्जा की परिभाषा
विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा का एक रूप है जो विद्युत आवेश(आमतौर पर इलेक्ट्रॉन) की गति से उत्पन्न होती है।
विद्युत ऊर्जा का सूत्र
एक विद्युत बैटरी में दो टर्मिनल होते हैं – एक ऋणात्मक और एक धनात्मक टर्मिनल। ऋणात्मक टर्मिनल में इलेक्ट्रॉनों की अधिकता होती है जबकि धनात्मक टर्मिनल में इलेक्ट्रॉनों की कमी होती है।
निम्न चित्र में हमने एक बैटरी के दो सिरों के मध्य एक प्रतिरोध R को संयोजित किया है :-
प्रतिरोध R का सिरा a बैटरी के धन सिरे से जोड़ा गया है तथा सिरा b बैटरी के ऋण सिरे से जोड़ा गया है। a का विद्युत विभव V(a) तथा b का विद्युत विभव V(b) है। विद्युत धारा I सिरे a से b की ओर प्रवाहित होती है अतः V(a) > V (b). माना a व b के मध्य विभावान्तर, V(a) – V (b) = V.
t समय में प्रतिरोध R से प्रवाहित आवेश
Q = It
Q की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन
ΔU = Q[V (b)] – Q[V(a)]
⇒ ΔU = Q[V (b) – V(a)]
⇒ ΔU = Q(-V)
⇒ ΔU = – VQ
यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण नियम से,
गतिज ऊर्जा में परिवर्तन(ΔK) + स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तन(ΔU) = 0
ΔK = – ΔU = – (– VQ)
⇒ ΔK = VQ = VIt > 0
अतः यदि विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में आवेश मुक्त रूप से गति करेगा, तब आवेश की गतिज ऊर्जा में वृद्धि होगी। आवेश की यह गतिज ऊर्जा ही बैटरी द्वारा प्रधान विद्युत ऊर्जा(E) है, अतः
E = VIt
ओम के नियम से V = IR, अतः
E = I2Rt
इसी प्रकार I = V/R, अतः
E = (V2t)/R
जब आवेश टकराते हैं, तो उनके द्वारा प्राप्त ऊर्जा परमाणुओं के बीच बंट जाती है। परिणामस्वरूप, परमाणुओं का कंपन बढ़ जाता है जिसके परिणामस्वरूप चालक गर्म हो जाता है। इस प्रकार, एक वास्तविक चालक में कुछ मात्रा में ऊर्जा ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाती है।
अतः
ΔK = ऊष्मा (ΔH)
अथवा
ΔH = VIt = I2Rt = (V2t)/R
⇒ (ΔH/t) = VI
अतः विद्युत शक्ति,
P = VI = I2R = V2/R
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