स्व-ऊर्जा
स्व-ऊर्जा (Self Energy) :- किसी आवेशित पिंड की स्व-ऊर्जा, उस कार्य के तुल्य होती है जो पिंड को आवेशित करने के लिए आवश्यक होता है, जिसके लिए अनंत से आवेश के सूक्ष्म कणों को उनके पारस्परिक विद्युत-प्रतिकर्षण के विरुद्ध लाना होता है तथा पूर्ण आवेशित पिंड बनाने के लिए वितरित करना होता है।
वास्तव में, किसी पिंड को आवेशित करने के लिए बाह्य करक द्वारा किया गया कार्य, उस पिंड के चारों ओर विद्युत क्षेत्र का निर्माण करता है। यह सम्पूर्ण कार्य इस विद्युत क्षेत्र के निर्माण के लिए किया जाता है। इसलिए सरल शब्दों में स्व-ऊर्जा एक आवेशित पिंड के चारों ओर विद्युत क्षेत्र में संग्रहीत स्थिर वैद्युत स्थितिज ऊर्जा है ।
(1) चालक गोले (ठोस अथवा खोखले) और कुचालक खोखले गोले की स्व-ऊर्जा
हमने जानते हैं कि जब भी विद्युत आवेशों के एक निकाय को बनाया जाता है, तो इस प्रक्रम में बाह्य कार्य करना पड़ता है। यह कार्य निकाय की स्थिर वैद्युत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संग्रहीत हो जाता है। आइए अब एक विशिष्ट स्थिति पर को देखें जिसमें R त्रिज्या के एक गोलाकार कोष को आवेशित किया जाता है।
गोले को आवेशित करते समय, हम अनंत से धीरे-धीरे इस पर अल्प मात्रा में आवेश dq लाते हैं। गोले पर पहले से उपस्थित आवेश, प्रत्येक नए आवेश तत्व का विरोध करता है। मान लीजिए कि किसी समय गोले पर आवेश q है। इस समय गोले का विद्युत विभव :
आइये अब हम यह सिद्ध करें कि स्व-ऊर्जा आवेशित पिंड के चारों ओर विद्युत क्षेत्र में संग्रहित ऊर्जा के तुल्य होती है ।
अब गोले की सतह पर कुल आवेश Q है और इसकी सतह से लेकर अनंत तक इसके चारों ओर एक विद्युत क्षेत्र उपस्थित है (क्योंकि गोले के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य है)। आइए इस आवेशित गोले से सम्बंधित क्षेत्र ऊर्जा की गणना करें।
नीचे चित्र में दर्शाए अनुसार त्रिज्या x और मोटाई dx वाले एक गोलाकार कोष पर विचार करें :
आवेशित गोले के केंद्र O से x दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :
(2) एक समान रूप से आवेशित कुचालक ठोस गोले की स्व-ऊर्जा
आइए एक R त्रिज्या वाले एक समान रूप से आवेशित कुचालक ठोस गोले पर विचार करें जिस पर कुल आवेश Q है। कुचालक गोले के बाहर, विद्युत क्षेत्र की तीव्रता समान त्रिज्या वाले चालक गोले की विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के समान होती है। इस प्रकार कुचालक गोले के चारों ओर उसकी सतह से अनंत तक क्षेत्र ऊर्जा का मान चालक गोले की क्षेत्र ऊर्जा के समान होगा है।
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अब एक चालक गोले के विपरीत, समान रूप से आवेशित एक कुचालक गोले के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य नहीं होता है। इस प्रकार आवेशित कुचालक गोले के भीतर भी क्षेत्र ऊर्जा होती है। एक समान रूप से आवेशित कुचालक गोले के भीतर केंद्र से x दूरी पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता निम्न प्रकार से दी जाती है :
निम्न चित्रानुसार कुचालक गोले के भीतर dx मोटाई और x त्रिज्या वाले एक कोष पर विचार करें :
dx मोटाई के कोष में संग्रहित क्षेत्र ऊर्जा :
गोले के भीतर संचित कुल क्षेत्र ऊर्जा :
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इस प्रकार कुचालक गोले की कुल स्व-ऊर्जा :
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