स्थिर विद्युत क्षेत्र की संरक्षी प्रकृति
स्थिर विद्युत क्षेत्र की संरक्षी प्रकृति :- संरक्षी बल वे बल हैं जिनमें बल द्वारा या बल के विरुद्ध किया गया कार्य, अनुसरण किए गए पथ पर निर्भर नहीं करता अपितु केवल प्रारंभिक और अंतिम स्थितियों पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में बंद पथ में किया गया कार्य शून्य होता है।
यह सिद्ध करने के लिए कि स्थिर विद्युत क्षेत्र की संरक्षी प्रकृति होती है, हम यह दर्शाएंगे कि स्थिरवैद्युत क्षेत्र में एक बंद पथ पर परीक्षण आवेश +q0 को गति कराने में किया गया कार्य शून्य होता है।
परीक्षण आवेश +q0 को पथ 1 पर बिंदु A से B तक ले जाने में किया गया कार्य :
…..(1)
इसी प्रकार, परीक्षण आवेश +q0 को पथ 2 पर बिंदु B से A तक ले जाने में किया गया कार्य :
…..(2)
परीक्षण आवेश +q0 को बंद पथ A → B → A के अनुदिश गति करवाने में किया गया कुल कार्य :
…..(3)
अतः स्थिरवैद्युत क्षेत्र में बंद पथ पर परीक्षण आवेश +q0 को गति करवाने में कोई कार्य नहीं किया जाता है। अतः स्थिरवैद्युत क्षेत्र एक संरक्षी क्षेत्र है तथा स्थिरवैद्युत बल प्रकृति में संरक्षी बल होते हैं।
गणितीय दृष्टि से,
…..(4)
अर्थात् विद्युत क्षेत्र में बंद पथ पर विद्युत क्षेत्र का रेखीय समाकलन सदैव शून्य होता है।