सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन
सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन :- सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन तीन प्रकार का होता है :-
- सेलों का श्रेणी क्रम समूहन
- सेलों का समानांतर क्रम समूहन
- सेलों का मिश्रित समूहन
(1) सेलों का श्रेणी क्रम समूहन
(सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन)
समान सेलों के श्रेणी क्रम समूहन में, कई समान सेलों को एक विद्युत परिपथ में, एक के बाद एक इस प्रकार संयोजित किया जाता है कि एक सेल का धनात्मक सिरा अगले सेल के ऋणात्मक सिरे से जुड़ा होता है और इसी तरह आगे भी सेलों को जोड़ा जाता है। इस प्रकार के संयोजन का उपयोग सामान्यतया बैटरी पैक के कुल वोल्टेज आउटपुट को बढ़ाने के लिए किया जाता है।
माना कि ε विद्युत वाहक बल और r आंतरिक प्रतिरोध वाले ‘n’ एक सामान सेलों को एक प्रतिरोध R के साथ श्रेणी क्रम में संयोजित किया गया है, जैसा कि नीचे चित्र में दर्शाया गया है :-
n सेलों के श्रेणी क्रम समूहन का तुल्य विद्युत वाहक बल,
n सेलों के श्रेणी क्रम समूहन का तुल्य आन्तरिक प्रतिरोध,
परिपथ का कुल प्रतिरोध = (nr + R)
परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा,
…..(1)
विशेष स्थितियां :-
स्थिति (i). यदि R << nr, तब R को nr की तुलना में नगण्य माना जा सकता है । समीकरण (1) से,
अतः बाह्य प्रतिरोध से वही विद्युत धारा प्रवाहित होती है जो एकल सेल से प्रवाहित होती है।
स्थिति (ii). यदि R >> nr, तब nr को R की तुलना में नगण्य माना जा सकता है । समीकरण (1) से,
अतः बाह्य प्रतिरोध से प्रवाहित विद्युत धारा, एकल सेल से प्रवाहित विद्युत धारा की n गुणा है।
इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं :-
- सेलों का श्रेणी क्रम समूहन तब लाभप्रद होता है जब R >> nr, तब
- R << nr होने पर सेलों का श्रेणी क्रम समूहन लाभप्रद नहीं होता है, तब
संक्षेप में समान सेलों के श्रेणी क्रम समूहन का उपयोग करते हुए अधिकतम विद्युत धारा तभी प्राप्त की जा सकती है जब श्रेणी क्रम समूहन के कुल आंतरिक प्रतिरोध की तुलना में बाह्य प्रतिरोध का मान बहुत अधिक हो।
(2) सेलों का समानांतर क्रम समूहन
(सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन)
सेलों के समांतर क्रम समूहन में अधिक विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए एक साथ कई सेलों के धनात्मक सिरों को एक साथ और ऋणात्मक सिरों को एक साथ जोड़ा जाता है। माना कि ε विद्युत वाहक बल और r आंतरिक प्रतिरोध वाले ‘m’ एक सामान सेलों को एक प्रतिरोध R के साथ समानांतर क्रम समूहन में संयोजित किया गया है, जैसा कि नीचे चित्र में दर्शाया गया है :-
सेलों के समानांतर क्रम समूहन में तुल्य विद्युत वाहक बल, एकल सेल के विद्युत वाहक बल के समान होता है, अतः
m सेलों के समानांतर क्रम समूहन का तुल्य विद्युत वाहक बल = एकल सेल का विद्युत वाहक बल = ε
m सेलों के समानांतर क्रम समूहन का तुल्य आन्तरिक प्रतिरोध,
क्यूंकि R और rp श्रेणी क्रम में संयोजित हैं, अतः
परिपथ का कुल प्रतिरोध = R + r/m
∴ बाह्य प्रतिरोध R से प्रवाहित विद्युत धारा,
…..(2)
विशेष स्थितियां :-
स्थिति (i). यदि R << r/m, तब R को r/m की तुलना में नगण्य माना जा सकता है । समीकरण (2) से,
अतः बाह्य प्रतिरोध से प्रवाहित विद्युत धारा, एकल सेल से प्रवाहित विद्युत धारा की m गुणा है।
Case (ii). यदि R >> r/m, तब r/m को R की तुलना में नगण्य माना जा सकता है । समीकरण (2) से,
अतः बाह्य प्रतिरोध से वही विद्युत धारा प्रवाहित होती है जो एकल सेल से प्रवाहित होती है।
इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकालते हैं :-
- सेलों का समानांतर क्रम समूहन तब लाभप्रद होता है जब R << r/m (अथवा r >> mR), तब
- R >> nr (अथवा r << mR) होने पर सेलों का समानांतर क्रम समूहन लाभप्रद नहीं होता है, तब
संक्षेप में समान सेलों के समानांतर क्रम समूहन का उपयोग करते हुए अधिकतम विद्युत धारा तभी प्राप्त की जा सकती है जब समानांतर क्रम समूहन के कुल आंतरिक प्रतिरोध की तुलना में बाह्य प्रतिरोध का मान बहुत कम हो।
(3) सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन
यदि कुछ सेलों को श्रेणी क्रम में जोड़कर एक पंक्ति बनाई जाए और सेलों की ऐसी कई पंक्तियों को समानांतर में जोड़ा जाए, तो सेलों के इस प्रकार के समूहन को मिश्रित समूहन कहा जाता है। सेलों का मिश्रित क्रम संयोजन अधिकतम शक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
माना कि ε विद्युत वाहक बल और r आंतरिक प्रतिरोध वाले n सेलों को श्रेणी क्रम में संयोजित करके इस प्रकार की m पंक्तियों को समानांतर क्रम में संयोजित किया गया है। यह व्यवस्था एक बाह्य अवरोधक R से जुड़ी है जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है :-
प्रत्येक पंक्ति का कुल विद्युत वाहक बल (संपूर्ण संयोजन का विद्युत वाहक बल) = nε
प्रत्येक पंक्ति का कुल आंतरिक प्रतिरोध = nr
चूंकि सेलों की एक समान m पंक्तियाँ समानांतर क्रम में जुड़ी हुई हैं, इसलिए,
सभी सेलों का कुल आंतरिक प्रतिरोध (rp) इस प्रकार होगा,
परिपथ का कुल प्रतिरोध = R + nr/m
बाह्य प्रतिरोधक R में प्रवाहित विद्युत धारा इस प्रकार दी जाती है,
नोट :-
(1). सेलों के मिश्रित क्रम संयोजन में विद्युत धारा का मान अधिकतम तब होगा, जब (mR + nr) का मान न्यूनतम होगा, अर्थात,
यहाँ का मान शून्य नहीं हो सकता, अतः I का अधिकतम होगा जब :-
अतः सेलों के मिश्रित क्रम संयोजन द्वारा प्रदान विद्युत धारा का मान अधिकतम तब होगा यदि बाह्य प्रतिरोधक R का मान सभी सेलों के कुल आंतरिक प्रतिरोध के बराबर हो ।
(2). यदि ε विद्युत वाहक बल वाली n एक समान सेलों के श्रेणी क्रम संयोजन में एक सेल को गलत ढंग से संयोजित कर दिया जाए, तब कुल विद्युत वाहक बल में 2ε की कमि हो जाती है।
अतः प्रभावी विद्युत वाहक बल (effective emf) = (nε – 2ε)
यहाँ,
(3). यदि r आंतरिक प्रतिरोध वाली n सेलों को श्रेणी क्रम संयोजन में गलत तरीके से संयोजित किया जाता है, तो संयोजन का कुल आंतरिक प्रतिरोध = nr होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि श्रेणी क्रम संयोजन में कुल प्रतिरोध पर सेलों के क्रम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
(4). अधिक विभावांतर प्राप्त करने के लिए सेलों के श्रेणी क्रम संयोजन का उपयोग किया जाता है, अधिक विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए समानांतर क्रम संयोजन का उपयोग किया जाता है और अधिक शक्ति प्राप्त करने के लिए सेलों के मिश्रित समूहन का उपयोग किया जाता है ।
उदाहरण
आंतरिक प्रतिरोध 0.5 Ω और विद्युत वाहक बल 1.5V वाले 8 सेलों का उपयोग एक बाह्य प्रतिरोधक (a) 200 Ω (b) 0.002 Ω (c) 1.0 Ω में विद्युत धारा प्रवाहित करने के लिए किया जाता है। प्रत्येक स्थिति में अधिकतम विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए आप उन्हें कैसे व्यवस्थित करेंगे ? प्रत्येक स्थिति में विद्युत धारा का मान ज्ञात कीजिए।
हल :-
यहां, सेलों की कुल संख्या = 8,
r = 0.5 Ω and ε = 1.5 V
(a). जब बाह्य प्रतिरोध R = 200 Ω, तब R >> r, अतः अधिकतम विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए, सेलों को परिपथ में श्रेणी क्रम में संयोजित किया जाना चाहिए।
8 सेलों का कुल आंतरिक प्रतिरोध = 8r
परिपथ में विद्युत धारा,
(b) जब बाह्य प्रतिरोध R = 0.002 Ω, तब R << r, अतः अधिकतम विद्युत धारा प्राप्त करने के लिए, सेलों को परिपथ में समांतर क्रम में संयोजित किया जाना चाहिए।
8 सेलों का कुल आंतरिक प्रतिरोध = r / 8
परिपथ का कुल प्रतिरोध = R + r / 8 = 0.002 + 0.5 / 8 = 0.0645 Ω
सभी सेलों का प्रभावी विद्युत वाहक बल = प्रत्येक सेल का विद्युत वाहक बल = 1.5 V
परिपथ में विद्युत धारा,
(c ) जब बाह्य प्रतिरोध R = 1.0 Ω, तब R, r के तुलनीय है। अधिकतम विद्युत धारा के लिए, सेलों को मिश्रित समूहन में संयोजित करना चाहिए।
माना n सेलों को श्रेणी क्रम में संयोजित करके इस प्रकार की m पंक्तियों को समानांतर क्रम में संयोजित किया गया है, तब
कुल सेलें, mn = 8 …..(1)
संयोजन का कुल आंतरिक प्रतिरोध = nr/m
∴ परिपथ का कुल प्रतिरोध , here R = 1Ω
प्रत्येक पंक्ति का विद्युत वाहक बल = nE, यहाँ E = 1.5V
∴ बाह्य परिपथ में विद्युत धारा,
क्यूंकि mnRr = नियत, अतः I का मान अधिकतम होगा यदि,
अतः अधिकतम विद्युत धारा के लिए,
अतः अब
समीकरण (1) से,
और
n = 2 × 2 = 4
इस प्रकार, एक पंक्ति में श्रेणी क्रम में 4 सेलें और समानांतर में सेलों की 2 ऐसी पंक्तियाँ हैं।
अधिकतम विद्युत धारा,