आंशिक रूप से परावैद्युत पदार्थ की उपस्थिति में एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता
आंशिक रूप से परावैद्युत पदार्थ की उपस्थिति में एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता :- माना एक समांतर प्लेट संधारित्र की प्लेटों का क्षेत्रफल A तथा इनके मध्य की दूरी d है। t मोटाई (t < d) व K परावैद्युतांक की एक परावैद्युत पट्टिका चित्रानुसार समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य रखी है।
माना प्लेटों पर आवेश ±Q है जिससे प्लेटों के मध्य वायु स्थान में विद्युत क्षेत्र E0 उत्पन्न होता है। इस विद्युत क्षेत्र E0 के कारण परावैद्युत पदार्थ के अणु ध्रुवित हो जाते हैं और परावैद्युत पदार्थ में E0 के विपरीत दिशा में विद्युत क्षेत्र Ep प्रेरित होता है। अतः परावैद्युत पदार्थ में प्रभावी विद्युत क्षेत्र E0 – Ep हो जाता है किन्तु वायु स्थान (d – t) में विद्युत क्षेत्र E0 ही रहता है।
संधारित्र की प्लेटों के मध्य विभवान्तर (V),
किन्तु
संधारित्र की प्लेटों के मध्य वायु स्थान में विद्युत क्षेत्र E0 ,
अतः धारिता C ,
…..(1)
समीकरण (1) आंशिक रूप से परावैद्युत पदार्थ की उपस्थिति में एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता का व्यंजक है।
अब क्यूंकि K का मान सदैव एक से अधिक होता है, अतः का मान सदैव धनात्मक होगा। इस प्रकार हम समीकरण (1) से देख सकते हैं की संधारित्र की प्लेटों के मध्य दूर d, आभासी रूप से कम हो जाती है। परिणामस्वरूप संधारित्र की धारिता बढ़ जाती है।
नोट :-
(1). यदि प्लेटों के मध्य सम्पूर्ण स्थान में परावैद्युत पदार्थ भर दिया जाए, अर्थात t = d तब,
…..(2)
(2). यदि एक आवेशित संधारित्र की प्लेटों के मध्य सम्पूर्ण स्थान में परावैद्युत पदार्थ भर दिया जाए व बैटरी को संयोजित ही रहने दिया जाए, तब :-
(i) प्लेटों के मध्य विभवांतर समान रहता है, अर्थात
(ii) धारिता में वृद्धि हो जाती है,
(iii) प्लेटों पर आवेश का मान बढ़ जाता है,
(iv) प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र की तीव्रता घटती है,
(v) संधारित्र में संचित उर्जा बढ़ती है,
(3). यदि एक आवेशित संधारित्र की बैटरी को हटा कर प्लेटों के मध्य सम्पूर्ण स्थान में परावैद्युत पदार्थ भर दिया जाए, तब :-
(i) प्लेटों के मध्य विभवांतर घटता है, अर्थात
(ii) धारिता में वृद्धि हो जाती है,
(iii) प्लेटों पर आवेश का मान समान रहता है, अर्थात
(iv) प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र की तीव्रता घटती है,
(v) संधारित्र में संचित उर्जा घटती है,
(4). यदि प्लेटों के मध्य सम्पूर्ण स्थान में वायु हो, अर्थात K = 1 व t = 0, तब,
…..(3)
(5). यदि प्लेटों के मध्य आंशिक रूप से t मोटाई की धातु की प्लेट (K = ∞) रख दी जाए तब एक समान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता,
उपरोक्त चित्र में धातु की प्लेट में प्रभावी विद्युत क्षेत्र शून्य हो जाता है व केवल वायु स्थान (d – t) में विद्युत क्षेत्र E0 रहता है।
अतः संधारित्र की प्लेटों के मध्य विभवान्तर (V),
धारिता C ,
…..(4)
उपरोक्त परिणाम को समीकरण (1) में K = ∞ रखकर भी प्राप्त किया जा सकता है :-
यहाँ संधारित्र की प्लेटों के मध्य दूरी d प्रभावी रूप से घटती है (d – t), अतः प्लेटों के मध्य आंशिक रूप से धातु की प्लेट रखने से संधारित्र की धारिता बढती है।
(6). यदि प्लेटों के मध्य सम्पूर्ण स्थान में धातु भर दिया जाए, अर्थात t = d तब,
(7). यदि K1 , K2 , K3 ,…… परावैद्युतांक तथा क्रमशः t1 , t2 , t3 ,…… मोटाई की एक से अधिक परावैद्युत पदार्थ की पट्टियाँ प्लेटों के मध्य भर दी जाए तब संधारित्र की धारिता,
किन्तु , अतः धारिता
…..(5)