समांतर अनुनादी परिपथ क्या है
समांतर अनुनादी परिपथ क्या है :- समांतर अनुनादी परिपथ (Parallel Resonant Circuit) में एक प्रेरक और एक संधारित्र, एक प्रत्यावर्ती विद्युत स्त्रोत के साथ समानांतर क्रम में संयोजित होते हैं, जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है :-
माना प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल स्त्रोत द्वारा आरोपित वोल्टता निम्न है :
…..(1)
क्यूंकि प्रेरक में धारा, प्रत्यावर्ती वोल्टता से (π/2) रेडियन कला कोण पीछे रहती है, अतः प्रेरक में प्रवाहित धारा :
…..(2)
पुनः संधारित्र में धारा, प्रत्यावर्ती वोल्टता से (π/2) रेडियन कला कोण आगे रहती है, अतः संधारित्र में प्रवाहित धारा :
…..(3)
परिपथ में प्रवाहित कुल धारा (I),
…..(4)
समांतर अनुनादी परिपथ में अनुनाद की अवस्था (ω = ωr) में, बाह्य स्रोत से ली गई धारा शून्य होती है, अतः
…..(5)
और
…..(6)
अर्थात् अनुनाद के समय आरोपित प्रत्यावर्ती वोल्टता की आवृत्ति, L-C समांतर अनुनादी परिपथ की प्राकृतिक दोलनी आवृत्ति के बराबर होती है। इस समय परिपथ को समांतर अनुनादी परिपथ (parallel resonance circuit) कहा जाता है व समीकरण (6) में दी गई आवृत्ति को समांतर अनुनादी आवृत्ति (parallel resonance frequency) कहा जाता है।
क्यूंकि समांतर अनुनादी आवृत्ति पर परिपथ में धारा का मान शुन्य होता है, अतः समांतर अनुनादी आवृत्ति पर परिपथ की प्रतिबाधा (impedance) अधिकतम होती है।
नोट :-
श्रेणी अनुनादी परिपथ स्वीकारी परिपथ (acceptor circuit) कहलाता है, जबकि समान्तर अनुनाद परिपथ अस्वीकारी परिपथ (rejector circuit) कहलाता है।
उदाहरण 1.
हल :
यहाँ L तथा C को प्रत्यावर्ती स्त्रोत के साथ समान्तर क्रम में संयोजित किया गया है। परिपथ की अनुनादि आवृत्ति :
समान्तर अनुनाद की स्थिति में L – C परिपथ में धारा शून्य होती है, अतः वांछित आलेख चित्रानुसार होगा :-
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