संधारित्र में संचित ऊर्जा
संधारित्र में संचित ऊर्जा (Energy Stored in a Charged Capacitor) :- माना एक संधारित्र की धारिता C है जिसे एक बैटरी से जोड़कर शून्य विभव से V विभव तक आवेशित किया जाता है। संधारित्र में संचित ऊर्जा कुल उर्जा का मान ज्ञात करने के लिए, माना प्रारम्भ में दोनों प्लेटें P1 व P2 निरावेशित हैं व आवेश अल्प मात्र dq में प्लेट P2 से प्लेट P1 पर स्थानांतरित किया जा रहा है। क्योंकि प्लेट P1 उच्च विभव पर व प्लेट P2 निम्न विभव पर है अतः प्रत्येक dq अल्प आवेश की मात्रा को स्थानांतरित करने के लिए बाह्य कार्य करना होगा। यह प्रक्रम तब तक होता है जब तक की प्लेट P1 पर आवेश की मात्रा +Q ना हो जाए। आवेश संरक्षण के नियम से प्लेट P2 पर उस समय आवेश की मात्रा -Q होगी।
माना आवेशन के दौरान किसी समय प्लेट P1 पर आवेश +q व प्लेट P2 पर आवेश -q है। इस समय प्लेटों के मध्य विभावांतर होगा। अल्प आवेश dq को स्थानांतरित करने में बैटरी द्वारा किया गया अल्प कार्य :-
संधारित्र को +Q आवेश से आवेशित करने में किया गया कुल कार्य :-
क्योंकि स्थिरवैद्युत बल संरक्षी है अतः बैटरी द्वारा किया गया यह कार्य संधारित्र की स्थितिज ऊर्जा (U) के रूप में संचित हो जाता है।
Q = CV रखने पर,
इसी प्रकार C = Q/V रखने पर,
अतः संधारित्र में संचित ऊर्जा
समांतर प्लेट संधारित्र का ऊर्जा घनत्व (u)
(संधारित्र में संचित ऊर्जा)
ऊर्जा घनत्व (Energy Density): एकांक आयतन में संचित ऊर्जा को ऊर्जा घनत्व कहते हैं।
यदि समांतर प्लेट संधारित्र की प्रत्येक प्लेट का क्षेत्रफल A एवं प्लेटों के मध्य दूरी d हो, तब संधारित्र का आयतन (V) = Ad
यदि संधारित्र की प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र का मान E हो, तब
अतः