विस्पन्द(Beats) | विस्पन्द किसे कहते हैं
विस्पन्द(Beats) | विस्पन्द किसे कहते हैं :- एक ही दिशा में गमन करने वाली समान आयाम की किन्तु भिन्न-भिन्न आवृत्तियों की दो ध्वनि तरंगों के अध्यारोपण से, ध्वनि तरंगों के आयाम (या तीव्रता) में उतार-चढ़ाव को विस्पन्द कहते हैं। उदाहरण के लिए, जब थोड़ी भिन्न आवृत्तियों वाले दो स्वरित्र (ट्यूनिंग फोर्क) को एक साथ बजाया जाता है, तब बारी-बारी से तेज़ और धीमी आवाज़ें सुनाई देती हैं। ध्वनि की तीव्रता में ये परिवर्तन ही विस्पन्द हैं।
आकाश में एक विशेष बिंदु पर विचार करें जहाँ दो तरंगें [आवृत्तियों :- 16 Hz (लाल ग्राफ) और 18 Hz (नीला ग्राफ)] अध्यारोपित होती हैं [चित्र (a)]। अलग-अलग तरंगों के विस्थापनों को समय के फलन के रूप में दर्शाया गया है। समय अक्ष की कुल लंबाई 1 सेकंड ली गई है। अध्यारोपण के सिद्धांत को लागू करते हुए, हमें परिणामी तरंग [चित्र (b)] प्राप्त होती है।
उपरोक्त आकृति (b) में, किसी समय दोनों तरंगें समान कला में होती हैं (जैसे t = 0.50 sec.); इनके उच्चिष्ठ संपाती होते हैं और आयाम जुड़ते हैं। लेकिन इनकी थोड़ी भिन्न आवृत्तियों के कारण, ये दो तरंगें हर समय कला में नहीं हो सकती हैं। दरअसल, किसी अन्य समय पर (जैसे t = 0.75 sec.) ये दो तरंगें बिल्कुल विपरीत कला में होती हैं। इस समय ये तरंगें एक दूसरे के आयाम को निरस्त कर देती हैं, और कुल आयाम शून्य होता है।
चित्र (b) में परिणामी तरंग एक एकल ज्यावक्रीय तरंग की भांति देखाई देती है जिसका आयाम परिवर्ती है, जो अधिकतम से शून्य के मध्य परिवर्तित होता है। 1 सेकंड के समय अंतराल में दो विस्पन्द(Beats) समाहित हैं, इसलिए विस्पन्द आवृत्ति 2 Hz होगी, अत: विस्पंद आवृत्ति, अध्यारोपित होने वाली दोनों तरंगों की आवृत्तियों के अंतर के बराबर होती है।
गणितीय विश्लेषण
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माना दो तरंगें हैं:
और
अध्यारोपण के सिद्धांत के अनुसार, y = y1 + y2
जहाँ,
और
अब हम जानते हैं कि तीव्रता ∝ (आयाम)2
⇒ I ∝ R2
उच्चिष्ट के लिए शर्त
अधिकतम तीव्रता के लिए,
अतः उच्चिष्ट निम्न समयों पर प्राप्त होते हैं,
निम्निष्ट के लिए शर्त
न्यूनतम तीव्रता के लिए,
अतः निम्निष्ट निम्न समयों पर प्राप्त होते हैं,
विस्पंद काल (Tb) और विस्पंद आवर्ती (fb)
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विस्पंद काल (Tb) :- दो क्रमागत उच्चिष्ट या निम्निष्ट के मध्य के समय अंतराल को विस्पंद काल कहा जाता है। इसलिए
विस्पंद आवृत्ति (fb) :- विस्पंद काल का व्युत्क्रम, हमें विस्पंद आवृत्ति देता है। इस तरह
विस्पंद आवृत्ति ज्ञात करने की वैकल्पिक विधि
मान लीजिए f1 और f2 (<f1) आवृत्तियों की दो तरंगें अंतरिक्ष में किसी बिंदु पर मिलती हैं। संबंधित आवर्तकाल T1 और T2 (>T1) हैं। यदि दोनों तरंगें t = 0 पर कला में हैं, तो वे फिर से कला में होंगी जब पहली तरंग दूसरी की तुलना में एक अधिक चक्र से गुजरी होगी। यह एक समय t = Tb, विस्पंद काल (Tb) पर होगा। मान लीजिए कि समय Tb में पहली तरंग के चक्रों की संख्या n है, तो इतने ही समय में दूसरी तरंग के चक्रों की संख्या (n–1) होगी। अतः,
इन दो समीकरणों से n के विलोपन से, हम पाते हैं
अतः विस्पंद आवृत्ति,
नोट :-
- परिणामी तरंग [समीकरण (2)] भी एक आवृत्ति तरंग है, जिसकी आवर्ती है। आप उपरोक्त चित्र (b) में परिणामी तरंग को भी देख सकते हैं, जिसमें 1 सेकंड के समय अंतराल में, 17 तरंगें हैं।
- परिणामी तरंग का आयाम R नियत नहीं है, अपितु आवृत्ति के साथ परिवर्तित होता है। उपरोक्त चित्र (b) यदि हम परिणामी तरंग के आयाम में परिवर्तन को देखें तो यह 1 Hz आवृत्ति से परिवर्तित होता प्रतीत होता है , जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है:
हालाँकि प्रति सेकंड विस्पंदों की संख्या [विस्पंद आवृत्ति (fb)] इस आवृत्ति से दोगुनी है, अर्थात [f1 – f2], क्योंकि मानव कर्ण, ध्वनि तरंगों के आयाम में परिवर्तन को संसूचित करता है किंतु इसके चिन्ह(±) को नहीं।
विस्पंद सुनाई देने के लिए शर्त
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किसी भी ध्वनि को सुनने की अनुभूति मनुष्य के मस्तिष्क में 0.1 सेकंड तक रहती है। अतः हम दो ध्वनियों के मध्य भेद तभी कर सकते हैं यदि उनके मध्य का समय अंतराल 0.1 सेकंड से अधिक हो अथवा यूं कह लीजिये कि दो ध्वनि तरंगों के बीच आवृत्ति का अंतर 10 Hz से कम हो। ( ν = 1/T = 1/0.1 = 10 Hz) तो यदि दो तरंगों के बीच आवृत्ति अंतर 10 Hz से अधिक है तो मानव कान के लिए ध्वनि की तीव्रता में वृद्धि और गिरावट के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए विस्पंदों को नहीं सुना जा सकेगा है।
अप्रगामी तरंग और विस्पंद में अंतर
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अप्रगामी तरंगें समान आयाम और आवृत्ति की, विपरीत दिशाओं में यात्रा करने वाली दो तरंगों के अध्यारोपण द्वारा बनती हैं, किन्तु विस्पंद समान आयाम की और थोड़ी भिन्न आवृत्तियाँ वाली, समान दिशा में यात्रा करने वाली दो तरंगों के अध्यारोपण द्वारा बनती हैं।
विस्पंदों के अनुप्रयोग
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संगीतकार विभिन्न उपकरणों की आवृत्तियों के मिलान के लिए विस्पंद की घटना का उपयोग करते हैं। जब एक उपकरण को एक मानक आवृत्ति के सापेक्ष ट्यून(आवृत्ति मिलान) किया जाता है और जब तक विस्पंद गायब नहीं हो जाते, तब तक इसे ट्यून किया जाता है और अंत में उपकरण उस मानक आवृत्ति के साथ एक ट्यून(समान आवृत्ति) में होता है। विस्पंद का उपयोग अज्ञात आवृत्ति निर्धारित करने के लिए भी किया जाता है।
इस ब्लॉग पोस्ट के अंत में यदि आप एक ही आयाम की और थोड़ी भिन्न आवृत्तियों की दो ध्वनि तरंगों के अध्यारोपण द्वारा बने विस्पंदों को सुनना और देखना चाहते हैं, तो नीचे दी गई वीडियो देखें: –