विशेषता गुणांक | विशेषता गुणांक किसे कहते हैं
विशेषता गुणांक | विशेषता गुणांक किसे कहते हैं (Quality Factor) :- अनुनादी आवृत्ति (ωr) तथा बैंड चौड़ाई (β) के अनुपात को परिपथ का विशेषता गुणांक (Q) कहते हैं।
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हम जानते हैं की अर्धशक्ति बिन्दुओं P1 व P2 पर धारा का मान, अनुनाद के समय धारा के मान का गुना रह जाता है (श्रेणी अनुनादी परिपथ), अतः
…..(2)
बिंदु P1 पर,
…..(3)
बिंदु P2 पर,
…..(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
…..(5)
समीकरण (4) में से (3) को घटाने पर,
…..(6)
समीकरण (6) का प्रयोग समीकरण (1) में करने पर,
…..(7)
क्यूंकि अनुनाद के समय XL = XC, अतः
…..(8)
समीकरण (7) में समीकरण (8) का प्रयोग करने पर,
…..(9)
अतः समीकरण (7) व (9) से, श्रेणी अनुनादी परिपथ में अनुनाद के समय प्रेरणिक प्रतिघात XL (अथवा धारितीय प्रतिघात XC) तथा परिपथ के प्रतिरोध के अनुपात को परिपथ का विशेषता गुणांक (Quality Factor) या गुणता कारक कहते हैं।
वास्तव में विशेषता गुणांक (Q) अनुनादी वक्र की तीक्ष्णता (Sharpness of Resonance) को प्रदर्शित करता है। अनुनाद के समय परिपथ में अधिकतम धारा का मान, परिपथ के प्रतिरोध (R) के व्युत्क्रमानुपाती होता है। R के कम मानों पर धारा का मान अधिक व R के उच्च मानों पर धारा का मान कम प्राप्त होता है, जैसा की नीचे चित्र में प्रदर्शित है :-
उपरोक्त आलेख से स्पष्ट है की अल्प प्रतिरोध (R) होने पर परिपथ में धारा का मान उच्च प्राप्त होता है व बैंड चौड़ाई (β = Δω) अल्प होने पर तीक्ष्ण वक्र प्राप्त होती है। उच्च प्रतिरोध (R) पर धारा का मान कम प्राप्त होता है व बैंड चौड़ाई (β = Δω’) में भी वृद्धि हो जाती है जिससे वक्र की तीक्ष्णता घट जाती है।
विशेषता गुणांक की अन्य परिभाषा व सूत्र
समीकरण (7) व (9) में अंश व हर को धारा के मान I से गुना करने पर :-
…..(10)
इसी प्रकार,
…..(11)
अतः समीकरण (10) व (11) से, अनुनाद के समय प्रेरक के सिरों पर विभवांतर V0L (अथवा संधारित्र के सिरों पर विभवांतर V0C) व प्रतिरोध के सिरों पर विभवांतर (V0R) के अनुपात को विशेषता गुणांक कहते हैं।
समीकरण (7) में का मान रखने पर,
…..(12)
इसी प्रकार समीकरण (9) से,
नोट :- विशेषता गुणांक (Q) एक विमाहीन व मात्रकहीन राशि है।