विद्युत सेल | आन्तरिक प्रतिरोध | विद्युत वाहक बल
विद्युत सेल किसे कहते हैं ?
विद्युत सेल एक युक्ति है जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है। इसमें दो इलेक्ट्रोड (सामान्यतः भिन्न-भिन्न धातुओं के) होते हैं, जिन्हें एनोड (धनाग्र ) व कैथोड (ऋणाग्र) कहते हैं और एक विद्युत अपघट्य (electrolyte) (एक पदार्थ जो विद्युत धारा का चालन कर सकता है) होता है। दोनों इलेक्ट्रोड विद्युत अपघट्य में डूबे होते हैं और उनके मध्य एक रासायनिक क्रिया होती है, जिससे एक इलेक्ट्रोड से दूसरे इलेक्ट्रोड में इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह होता है। इलेक्ट्रॉनों का यह प्रवाह एक विद्युत धारा बनाता है, जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को विद्युत ऊर्जा प्रदान करने के लिए किया जा सकता है।
विद्युत सेल का प्रतीक
प्रतीकात्मक रूप से एक विद्युत सेल को अल्प दुरी पर स्थित दो समांतर व असमान लंबाई की रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। अधिक लंबाई की रेखा सेल के एनोड (धनाग्र) को व कम लम्बाई की रेखा सेल के कैथोड (ऋणाग्र) को प्रदर्शित करती है।
आन्तरिक प्रतिरोध (r)
जब किसी सेल के इलेक्ट्रोडों को तार द्वारा बाह्य परिपथ से जोड़ते हैं, तो विद्युत धारा बाह्य परिपथ में सेल के एनोड से कैथोड की ओर तथा सेल के भीतर कैथोड से एनोड की ओर प्रवाहित होती है। सेल का विद्युत अपघट्य, विद्युत धारा के मार्ग में प्रतिरोध उत्पन्न करता है। इस प्रतिरोध को सेल का आंतरिक प्रतिरोध कहते हैं। एक आदर्श सेल (बैटरी) का आंतरिक प्रतिरोध शून्य होता है।
सेल के आन्तरिक प्रतिरोध को सेल के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित एक काल्पनिक प्रतिरोध से प्रदर्शित किया जाता है अथवा सेल के विद्युत वाहक बल (ε) के साथ r लिख कर प्रदर्शित किया जाता है। दोनों प्रतीक इस प्रकार हैं :-
आन्तरिक प्रतिरोध की निर्भरता
किसी सेल का आन्तरिक प्रतिरोध (r) :-
- विद्युत अपघटन की सांद्रता (C) तथा प्लेटों के मध्य की दूरी (D) के समानुपाती होता है।
- विद्युत अपघट्य में डूबे प्लेटों के क्षेत्रफल (A) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- सेल से ली गई विद्युत धारा (I) के समानुपाती होता है।
- तापमान (T) के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
विद्युत वाहक बल (ε)
किसी बंद परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह तभी संभव है जब कोई बाह्य बल (वास्तव में एक ऊर्जा स्रोत) आवेश वाहकों (इलेक्ट्रॉनों और आयनों) को एक निश्चित दिशा (निम्न विभव से उच्च विभव की ओर) में गति करने के लिए बाधित करे। यही बाह्य बल जो आवेश वाहकों को एक निश्चित दिशा में गति करवाता है, इस विद्युत वाहक बल कहते हैं।
वास्तव में विद्युत वाहक बल एक भ्रामक शब्द है, क्योंकि सेल का विद्युत वाहक बल कोई बल नहीं है अपितु यह परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए सेल द्वारा प्रति एकांक आवेश को दी जाने वाली ऊर्जा है। इसे इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं – एकांक धनावेश को पूरे परिपथ में एक बार प्रवाहित करने के लिए सेल द्वारा दी गई ऊर्जा (अथवा सेल द्वारा किया गया कार्य) को सेल का विद्युत वाहक बल (emf) कहते हैं।
यदि किसी विद्युत परिपथ में q कूलाम आवेश प्रवाहित करने में सेल द्वारा व्यय ऊर्जा W जूल है, तो सेल का विद्युत वाहक बल :-
…..(1)
विद्युत वाहक बल के मात्रक जूल/कूलाम या वोल्ट है।
अब कार्य,
…..(2)
अतः समीकरण (1) से,
…..(3)
यहाँ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (अर्थात एकांक आवेश पर लगने वाला बल) व एकांक धनावेश का अल्प विस्थापन है।
सेल के विद्युत वाहक बल के कारण सेल के भीतर धन आवेश, निम्न विभव (ऋण इलेक्ट्रोड) से उच्च विभव (धन इलेक्ट्रोड) की ओर प्रवाहित होता है। इस कारण सेल का विद्युत वाहक बल सेल के अंदर ऋण इलेक्ट्रोड से धन इलेक्ट्रोड की ओर दिष्ट होता है।
माना सेल बाह्य परिपथ से संयोजित नहीं की गई तब सेल के टर्मिनलों के मध्य उत्पन्न विद्युत क्षेत्र द्वारा आवेश q को ऋण इलेक्ट्रोड से धन इलेक्ट्रोड तक ले जाने में किया गया कार्य,
जहां d दोनों टर्मिनलों के मध्य की दूरी तथा V खुले परिपथ में टर्मिनलों के मध्य विभावांतर है। अतः सेल का विद्युत वाहक बल,
…..(4)
अतः उपरोक्त समीकरण (4) के अनुसार, विद्युत वाहक बल को इस प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है – किसी खुले परिपथ में सेल के टर्मिनलों के मध्य विभावांतर का मान सेल का विद्युत वाहक बल कहलाता है।
नोट :-
- जब परिपथ में विद्युत धारा सेल के ऋण सिरे से धन सिरे की और प्रवाहित हो (निरावेशित होती सेल) तब सेल का वि. वा. बल धनात्मक लिया जाता है।
- जब परिपथ में विद्युत धारा सेल के धन सिरे से ऋण सिरे की और प्रवाहित हो (आवेशन की स्थिती में) तब सेल का वि. वा. बल ऋणात्मक लिया जाता है।