विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण
विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण :- विद्युत चुम्बकीय तरंगें (Electromagnetic Waves) ऐसी तरंगें हैं, जो विद्युत और चुम्बकीय क्षेत्रों के दोलन के कारण उत्पन्न होती हैं और इनमें ऊर्जा का संचरण होता है। इनके प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं :-
(1). विद्युत चुम्बकीय तरंगें आवेशों की त्वरित गति से उत्पन्न होती हैं।
(2). विद्युत चुम्बकीय तरंगों में विद्युत क्षेत्र और चुम्बकीय क्षेत्र एक-दूसरे के व तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत होते हैं।
(3). इनमें विद्युत क्षेत्र (E) और चुम्बकीय क्षेत्र (B) एक-दूसरे के साथ समान कला में होते हैं।
(4). विद्युत चुम्बकीय तरंगों को संचरण के लिए किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती किन्तु इनका वेग माध्यम पर निर्भर करता है।
(5). दृश्य प्रकाश भी एक विद्युत चुम्बकीय तरंग है व विद्युत चुम्बकीय तरंगें निर्वात में प्रकाश की चाल (c = 3 × 108 m/s) से चलती हैं।
(6). विद्युत क्षेत्र (E) और चुम्बकीय क्षेत्र (B) के परिमाणों का अनुपात प्रकाश की चाल c के बराबर होता है :
या
(7). विद्युत चुम्बकीय तरंगों की तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति बहुत विविध होती हैं। इनमें तरंगदैर्ध्य परास का मान शून्य से अनंत तक होता है। ये तरंगें विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम बनाती हैं, जिसमें रेडियो तरंगें, माइक्रोवेव, अवरक्त (Infrared), दृश्य प्रकाश (Visible Light), पराबैंगनी (Ultraviolet), एक्स-किरणें (X-rays), और गामा किरणें (Gamma Rays) सम्मिलित हैं।
(8). इन तरगों का परावर्तन, अपवर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन एवं ध्रुवण होता है।
(9). विद्युत चुम्बकीय तरंगें तरंग-कण द्वैतता (Wave-Particle Duality) दर्शाती हैं। इनकी ऊर्जा कणों (फोटॉन) के रूप में होती है।
(10). विद्युत चुम्बकीय तरंगों में संवेग होता है, अतः ये जिस पृष्ठ पर आपतित होती हैं उस पर दाब (विकिरण दाब) आरोपित करती हैं जिसका मान पृष्ठ की प्रकृति पर निर्भर करता है जैसे :-
(a) विकिरण के पूर्ण अवशोषण और परावर्तन न होने की स्थिति में विकिरण दाब अर्थात, a = 1, r = 0
(b) विकिरण के पूर्ण परावर्तन और अवशोषण न होने की स्थिति में विकिरण दाब अर्थात, r = 1, a = 0
(11). ये तरंगें अपने साथ उर्जा का वहन करती हैं। यह उर्जा विद्युत क्षेत्र व चुम्बकीय क्षेत्र में संचित होती है। विद्युत क्षेत्र में औसत उर्जा घनत्व तथा चुम्बकीय क्षेत्र में औसत उर्जा घनत्व तथा कुल औसत उर्जा घनत्व
(12). विद्युत क्षेत्र में उर्जा घनत्व (uE) व चुम्बकीय क्षेत्र में उर्जा घनत्व (uB) बराबर होते हैं :-
(13).
और
उदाहरण 1.
NCERT Example 8.1
25 MHz आवृति की एक समतल वैद्युतचुंबकीय तरंग निर्वात में x – दिशा के अनुदिश गतिमान है। दिक्काल (space) में किसी विशिष्ट बिंदु पर इसका हैं इस बिन्दु पर B का मान क्या है ?
हल :
B एवं E के परिमाण एक दूसरे से निम्न समीकरण द्वारा संबंधित हैं :
इसकी दिशा के संबंध में हम जानते हैं कि E, y-दिशा के अनुदिश है और तरंग x-दिशा के अनुदिश गमन कर रही है। अतः B की दिशा x -अक्ष व y -अक्ष दोनों के लंबवत होनी चाहिए। सदिश बीजगणित का उपयोग करने पर E × B को x – दिशा में होना चाहिए।
चूँकि , अतः B z -अक्ष के अनुदिश है।
उदाहरण 2.
NCERT Example 8.2
किसी समतल विद्युत चुंबकीय तरंगे में चुंबकीय क्षेत्र है
(a) तरंग की आवृत्ति तथा तरंगदैर्ध्य क्या है ?
(b) विद्युत क्षेत्र के लिए व्यंजक लिखिए।
हल :
(a) दिए गए समीकरण की निम्न समीकरण से तुलना करने पर :
व
(b)
विद्युत क्षेत्र, तरंग की गमन दिशा एवं चुंबकीय क्षेत्र की दिशा के लंबवत होता है। अतः विद्युत क्षेत्र z-अक्ष के अनुदिश निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त होगा :-
उदाहरण 3.
18 W/cm2 के ऊर्जा फ्लक्स का प्रकाश किसी अपरावर्तक सतह पर अभिलंबवत आपतित होता हैं। यदि सतह का क्षेत्राफल 20 cm2 हो तो 30 मिनट की समयावधि में सतह पर लगने वाले औसत बल का परिकलन कीजिए।
हल :
उदाहरण 4.
3 m की दूरी पर स्थित किसी 100 W बल्ब से आ रहे विकिरण द्वारा उत्पन्न विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्रों की गणना कीजिए। आप यह जानते हैं कि बल्ब की दक्षता 2.5 % है और यह एक बिन्दु स्त्रोत है।
हल :
एक बिंदु स्त्रोत सभी दिशाओं में समान रूप से प्रकाश विकिरित करता है। अतः बिंदु स्त्रोत के चारों ओर एक काल्पनिक गोलाकार सतह जिसका क्षेत्रफल 4πr2 है ( जहाँ r = 2 m), लेने पर प्रकाश की तीव्रता :-
परन्तु बल्ब की दक्षता 2.5 % है, अतः अभीष्ट तीव्रता :-
अब
इस प्रकार,
उदाहरण 5.
एक समान्तर प्लेट संधारित्र जिसकी वृत्ताकार प्लेटों की त्रिज्या 1 m है, धारिता 1 nF है। समय t = 0 पर इसको आवेशित करने के लिए R = 1 MΩ के एक प्रतिरोधक के साथ श्रेणीक्रम में 2 V की बैटरी से जोड़ा गया है। 10-3 sec. के पश्चात संधारित्र के बीच में दोनों प्लेटों के केन्द्र एवं उनकी परिमिति के ठीक मध्य में स्थित बिन्दु P पर चुंबकीय क्षेत्र का परिकलन कीजिए। [ क्षण t पर संधारित पर आवेश q(t) = CV [1 – exp (-t/τ) ] , होता है, जहाँ समय नियतांक τ = CR है ]।
हल :
बिंदु p पर चुंबकीय क्षेत्र का मान ज्ञात करने के लिए हमें संधारित्र की प्लेटों के मध्य विद्युत धारा (विस्थापन धारा) का मान ज्ञात करना होगा।
किसी समय t पर प्लेटों के मध्य विद्युत क्षेत्र,
अब बिन्दु P से पारित व प्लेटों के समान्तर एक (1/2) m त्रिज्या के वृत्ताकार लूप की कल्पना कीजिए। लूप के प्रत्येक बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र B का परिणाम समान है और इसकी दिशा लूप के अनुदिश है। लूप से पारित विद्युत फलक्स ɸE का मान ɸE = E × लूप का क्षेत्रफल
अतः प्लेटों के मध्य विस्थापन धारा (Id),
t = 10-3 sec. व τ का मान रखने पर,
अब एम्पियर के परिपथीय नियम से,