विद्युत चुंबकीय तरंगें
विद्युत चुंबकीय तरंगें :- अध्याय “गतिमान आवेश और चुंबकत्व” में हमने देखा कि विद्युत धारा के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है व अध्याय “विद्युत चुंबकीय प्रेरण” में हमने देखा कि “परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र” के कारण “विद्युत क्षेत्र” उत्पन्न होता है। परंतु, क्या इसका विपरीत भी सत्य है? अर्थात क्या परिवर्ती “विद्युत क्षेत्र” “चुंबकीय क्षेत्र” उत्पन्न कर सकता है?
वर्ष 1864 में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल (1831-1879) ने यह कल्पना की कि परिवर्तित विद्युत क्षेत्र से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सकता है। मैक्सवेल के अनुसार यदि विद्युत आवेश दोलन करता है तो इससे विद्युत चुंबकीय तरंगे उत्सर्जित होंगी। इसका कारण यह है कि एक दोलन करता हुआ आवेश त्वरित आवस्था में होता है इसलिए इसका वेग समय के साथ परिवर्तित होगा व इससे उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र भी समय के साथ परिवर्तित होगा। अब इस परिवर्ती चुंबकीय क्षेत्र से विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होगा यह विद्युत क्षेत्र भी समय के साथ परिवर्तित होता रहेगा। दोनों परिवर्ती क्षेत्र एक दूसरे के व तरंग संचरण की दिशा के लंबवत होंगे। इन दोनों क्षेत्रों की आवर्ती दोलायमान आवेशित कण की आवर्ती के बराबर होगी तथा यह समान कला में होंगे।
इस कल्पना के आधार पर मैक्सवेल ने कुछ गणितीय समीकरण दिए जिन्हें मैक्सवेल के समीकरण कहते हैं। इन समीकरणों के आधार पर विद्युत चुंबकीय घटनाओं की व्याख्या की जा सकती है।