बिंदु आवेश के कारण विद्युत विभव
बिंदु आवेश के कारण विद्युत विभव :- माना एक बिंदु आवेश +Q आकाश में एक निश्चित बिंदु O पर स्थित है। हम इस आवेश से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर विद्युत विभव V की गणना करना चाहते हैं।
परिभाषा से, किसी बिंदु पर विद्युत विभव, बाह्य बल द्वारा इकाई धनावेश को अनंत (जहां विभव शून्य माना जाता है) से उस बिंदु तक बिना किसी त्वरण के लाने में किया गया कार्य है।
चूँकि स्थिर वैद्युत बल प्रकृति में संरक्षी होते हैं, इसलिए किया गया कार्य अनुसरण किए गए पथ पर निर्भर नहीं करता। इसलिए हम अनंत से बिंदु P तक आवेश +Q की त्रिज्यीय दिशा में एक सुविधाजनक सरल रेखीय पथ चुनते हैं।
विद्युत क्षेत्र के विरुद्ध बिंदु A से बिंदु B तक अल्प विस्थापन
में परीक्षण आवेश +q0 को स्थानांतरित करने में बाह्य बल द्वारा किया गया अल्प कार्य dW :
चूँकि हमें परीक्षण आवेश +q0 को बिना किसी त्वरण के गतिमान करना है, इसलिए बाह्य बल का परिमाण विद्युत् स्थैतिक बल के परिमाण के बराबर होना चाहिए, अर्थात,
अतः dW ,
बिंदु A पर विद्युत् क्षेत्र का मान , रखने पर अल्प कार्य dW का मान :
अब परीक्षण आवेश +q0 को अनंत से बिंदु P तक ले जाने में किये गये कुल कार्य की गणना करने के लिए, हमें dW को x = ∞ से x = r की सीमा के भीतर समाकलित करना होगा। किन्तु ध्यान दें कि जैसे -जैसे हम अनंत से बिंदु P की ओर बढ़ते हैं, हम वास्तव में उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जिसमें x का मान घटता है, इसलिए हमें (dx) को (- dx) से प्रतिस्थापित करना होगा और तत्पश्चात समाकलन कर हमें कुल कार्य प्राप्त होगा। इसलिए,
अब परिभाषा के अनुसार, बिंदु P पर एक बिंदु आवेश के कारण विद्युत विभव,
…..(1)
जब Q धनात्मक होता है, तो विद्युत विभव V धनात्मक होगा तथा जब Q ऋणात्मक होता है, तो विद्युत विभव V ऋणात्मक होगा। r = ∞ पर, V = Q/r = 0, अर्थात्, एक बिन्दु आवेश के कारण अनंत पर विद्युत विभव का मान शून्य होता है।
समीकरण (1) से हम कह सकते हैं कि बिन्दु आवेश Q से समान दूरी पर V का मान समान होता है। अतः एकल बिन्दु आवेश के कारण विद्युत विभव गोलीय रूप से सममित होता है।
नीचे दिया गया आलेख बिंदु आवेश Q से दूरी r के साथ विद्युत विभव V में परिवर्तन () तथा दूरी r के साथ विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E में परिवर्तन (
) दर्शाता है :