प्रकाश का कणिका स्वभाव (फोटॉन)
फोटॉन :- प्रकाश विद्युत प्रभाव अर्थात उपयुक्त आवृत्ति की विकिरण के आपतन पर धातु की सतह से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन, इस तथ्य को स्थापित करता है कि प्रकाश जब पदार्थ के संपर्क में आता है तो ऐसे व्यवहार करता है जैसे कि यह क्वांटा (ऊर्जा के पैकेट) से बना होता है, जिनमें प्रत्येक क्वांटा की ऊर्जा hν होती है, जहां h प्लांक नियतांक है और ν प्रकाश की आवृत्ति है। आइंस्टीन ने प्रकाश के इस क्वांटा का संवेग (hν/c) पाया, जहाँ c प्रकाश का वेग है।
अब क्वांटा में निश्चित मात्रा में ऊर्जा (hν) और साथ ही संवेग (hν/c) है। ये परिणाम दृढ़ता से इंगित करते हैं कि प्रकाश क्वांटम एक कण की तरह व्यवहार करता है जिसे बाद में फोटॉन नाम दिया गया।
फोटोन के अभिलक्षणिक गुण :-
(1). प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा व संवेग होता है, जहाँ h प्लांक नियतांक है और ν व λ विकिरण की आवृत्ति और तरंगदैर्घ्य हैं और c प्रकाश का वेग है।
(2). फोटॉन की ऊर्जा और संवेग विकिरण की आवृत्ति व तरंगदैर्ध्य पर निर्भर करते हैं न कि विकिरण की तीव्रता पर, इसलिए एक दी गई आवृत्ति ν (अथवा तरंग दैर्ध्य λ) के सभी फोटॉनों की ऊर्जा E और संवेग p समान होते हैं।
(3). यदि λ ऐंग्स्ट्रॉम(Å) में हो, तब ।
(4). सभी फोटॉन निर्वात में समान गति c (प्रकाश की चाल) से गति करते हैं किन्तु माध्यम में परिवर्तन के साथ चाल (v) बदल जाती है (तरंगदैर्ध्य λ में परिवर्तन के कारण)।
(5). माध्यम में परिवर्तन के साथ फोटॉन की आवृत्ति (ν) नहीं बदलती है।
(6). प्रकाश की तीव्रता में वृद्धि से एकांक समय में एकांक क्षेत्रफल पर आपतित होने वाले फोटॉनों की संख्या में वृद्धि होती है किन्तु इससे विकिरण की ऊर्जा प्रभावित नहीं होती है।
(7). क्यूंकि फोटॉन प्रकाश की गति (c) से यात्रा करता है, अतः समीकरण का प्रयोग करने पर, फोटॉन का विराम द्रव्यमान(rest mass) शून्य होता है।
(8). फोटॉन का गतिक द्रव्यमान, आइंस्टीन के द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता द्वारा निर्धारित किया जाता है, अर्थात,
(9). एक फोटान विद्युत और चुंबकीय क्षेत्र से अप्रभावित रहता है। अर्थात फोटान विद्युत रूप से उदासीन है।
(10). एक फोटॉन-कण संघट्ट(collision) में, कुल ऊर्जा और कुल संवेग संरक्षित रहते हैं। किन्तु संघट्ट में फोटॉनों की संख्या संरक्षित नहीं रहती।
उदाहरण 1.
एक फोटॉन की ऊर्जा 1 MeV है। फोटॉन के संवेग और तरंगदैर्ध्य की गणना करें। दिया है :- प्लांक नियतांक h = 6.62 × 10-34 Js, प्रकाश की चाल c = 3 × 108 m/s है।
हल:
फोटॉन की ऊर्जा,
अत: फोटॉन की तरंगदैर्घ्य,
⇒ λ = 1.24 × 10-12 m
⇒ λ = 0.0124 Å
फोटॉन का संवेग
⇒ p =5.33 × 10-22 Kg m/s
NCERT Example 11.1
6.0×1014 Hz आवृत्ति का एकवर्णी प्रकाश किसी लेसर के द्वारा उत्पन्न किया जाता है। उत्सर्जित क्षमता 2.0 × 10-3 W है। (a) प्रकाश किरण-पुंज में किसी फोटॉन की ऊर्जा कितनी है? (b) स्रोत द्वारा औसतन प्रति सेकंड कितने फोटॉन उत्सर्जित होते हैं?
हल:
(a) प्रत्येक फोटॉन की ऊर्जा,
E = hν= (6.63 ×10–34) (6.0 ×1014 )
⇒ E = 3.98 × 10-19 J
(b) मान लीजिए स्रोत द्वारा प्रति सेकंड उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या N है, अतः स्रोत द्वारा प्रेषित शक्ति P = N E. तब
⇒ N = 5 × 1015 फोटॉन/सेकंड
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