ऊष्मा चालन में फूरियर का नियम | Fourier Law of heat conduction in Hindi
ऊष्मा चालन में फूरियर का नियम (Fourier Law of Heat Conduction in Hindi) :- फूरियर का ऊष्मा चालन का नियम ऊष्मागतिकी में एक मूलभूत सिद्धांत है जो चालन द्वारा किसी पदार्थ से ऊष्मा स्थानांतरण की दर का वर्णन करता है। यह नियम फ्रांसीसी गणितज्ञ और भौतिक विज्ञानी जीन-बैप्टिस्ट जोसेफ फूरियर(Jean-Baptiste Joseph Fourier) द्वारा दिया गया था। यह नियम एक ठोस पदार्थ के भीतर ऊष्मा फ्लक्स(heat flux) (प्रति इकाई अनुप्रस्थ काट क्षेत्र से ऊष्मा प्रवाह की दर) और ताप प्रवणता (तापमान में परिवर्तन की दर) के बीच गणितीय संबंध प्रदान करता है।
ऊष्मा चालन के फूरियर नियम की गणितीय अभिव्यक्ति
(फूरियर का नियम)
फूरियर का नियम के नियम के अनुसार किसी पदार्थ से ऊष्मा फ्लक्स (heat flux)[प्रति इकाई अनुप्रस्थ काट क्षेत्र से ऊष्मा प्रवाह की दर] ताप प्रवणता के सीधे आनुपातिक होता है। इस नियम को गणितीय रूप से (एक आयाम में) इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है :-
जहाँ:
- Φq वाट (W/m2) में ऊष्मा फ्लक्स या तापीय फ्लक्स या ऊष्मा फ्लक्स घनत्व या ऊष्मा-प्रवाह घनत्व या ऊष्मा प्रवाह दर की तीव्रता (इकाई क्षेत्र से इकाई समय में स्थानांतरित ऊष्मा की मात्रा) को दर्शाता है।
- k वाट प्रति मीटर प्रति केल्विन [W/(m·K)] में पदार्थ का ऊष्मा चालकता गुणांक है और
- ताप प्रवणता है।
ऊष्मा चालन के फूरियर नियम की त्रि-विमीय अभिव्यक्ति
फूरियर के ऊष्मा चालन नियम के त्रि-आयामी रूप को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है :-
जहाँ डेल संकारक (Del operator) है।
एक धात्विक छड से ऊष्मा प्रवाह की दर
(ऊष्मा चालन में फूरियर का नियम | Fourier Law of heat conduction in Hindi)
l लंबाई और A अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल की एक छड़ पर विचार करें जिसके फलक क्रमशः तापमान θ1 और θ2 पर हैं। विकिरण से ऊष्मा हानि से बचने के लिए छड के वक्र प्रष्ठ को रुद्धोष्म बनाया गया है।
स्थायी तापीय अवस्था में यदि t समय में छड़ से Q ऊष्मा प्रवाहित होती है, तो ऊष्मा चालन के फूरियर नियम का उपयोग करते हुए,
अतः, ऊष्मा प्रवाह की दर (dQ/dt) अर्थात ऊष्मा धारा
परिवर्ती तापीय अवस्था अवस्था अथवा परिवर्ती अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल की छड़ के लिए, हम निम्न सूत्र का प्रयोग करेंगे :-