प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता
प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता :- लगभग सभी पदार्थों की प्रतिरोधकता ताप पर निर्भर करती है, किंतु सभी पदार्थ तापमान पर एक जैसी निर्भरता प्रदर्शित नहीं करते। एक सीमित ताप परिसर (लगभग 100 ºC या कम) में किसी चालक की प्रतिरोधकता ρ निम्न संबंध द्वारा व्यक्त की जाती है :-
…..(1)
जहाँ,
ρt = T ºC पर चालक की प्रतिरोधकता
ρ0 = संदर्भ तापमान(अर्थात कमरे के तापमान 293K या 20ºC) पर चालक की प्रतिरोधकता
α = प्रतिरोधकता ताप गुणांक
ΔT = (T – T0) = तापमान में परिवर्तन
प्रतिरोधकता ताप गुणांक(α)
(प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता)
समीकरण (1) से
अतः प्रतिरोधकता ताप गुणांक(α) को, प्रति इकाई प्रारंभिक प्रतिरोधकता (ρ0) व प्रति इकाई तापमान में परिवर्तन (ΔT) पर, प्रतिरोधकता में परिवर्तन (Δρ) से परिभाषित किया जा सकता है ।
α के मात्रक :- ºC-1
α की विमाएं = [M0L0T0θ-1]
(i) धातुओं की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता
किसी पदार्थ की प्रतिरोधकता निम्न सूत्र द्वारा की जाती है :-
…..(2)
यहाँ
m = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान
n = एकांक आयतन में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या
e = इलेक्ट्रॉन का आवेश
= माध्य विश्रांति काल
समीकरण (2) में m व e पर ताप वृद्धि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, किन्तु चालकों में तापमान बढ़ाने पर का मान कम हो जाता है, अतः समीकरण (2) से स्पष्ट है कि तापमान बढ़ाने पर चालकों का विशिष्ट प्रतिरोध बढ़ जाता है ।
तापमान में वृद्धि के साथ तांबे की प्रतिरोधकता में वृद्धि निम्न आलेख में प्रदर्शित की गई है :-
(ii) मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता
मिश्र धातुओं का प्रतिरोध ताप गुणांक, शुद्ध धातुओं की तुलना बहुत कम होता है अर्थात मिश्र धातुओं की प्रतिरोधकता ताप बढ़ाने पर बहुत कम बढती है। कुछ मिश्र धातुओं(कॉन्स्टेंटन, मैंगनीन, निक्रोम आदि) का प्रतिरोधकता ताप गुणांक(α) नगण्य होता है अर्थात प्रतिरोधकता पर ताप का प्रभाव बहुत कम होता है। इसी कारण इनका उपयोग प्रयोगशाला में काम आने वाले मीटर सेतु, विभवमापी के तार, प्रतिरोध बॉक्स आदि में किया जाता है।
तापमान में वृद्धि के साथ निक्रोम की प्रतिरोधकता में वृद्धि निम्न आलेख में प्रदर्शित की गई है :-
(iii) अर्धचालकों तथा विद्युतरोधियों (कुचालकों) की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता
अर्धचालक पदार्थों जैसे कार्बन, सिलिकॉन, जेर्मेनियम आदि का प्रतिरोधकता ताप गुणांक (α) ऋणात्मक होता है, अर्थात ताप बढ़ाने पर इनकी प्रतिरोधकता घटती है।
अर्धचालक पदार्थों में ताप बढ़ाने पर मुक्त इलेक्ट्रॉनों का संख्या घनत्व(n) बढ़ जाता है तथा माध्य विश्रांति काल () का मान घट जाता है, परंतु यहां में होने वाली कमि की तुलना में n में होने वाली वृद्धि बहुत अधिक होती है। अतः समीकरण (2) के अनुसार ताप के बढने का नेट प्रभाव यह रहता है कि ρ का मान कम हो जाता है।
तापमान में वृद्धि के साथ अर्धचालक पदार्थों की प्रतिरोधकता में परिवर्तन निम्न आलेख में प्रदर्शित किया गया है :-
अर्धचालकों एवं कुचालकों की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है :-
यहाँ
Eg = चालन बैंड एवं संयोजी बैंड के मध्य ऊर्जा अंतराल
kB = बोल्ट्जमान नियतांक
T = पदार्थ का केल्विन में तापमान
कुचालकों में ताप के घटने पर प्रतिरोधकता चरघातांकी रूप से बढ़ती है। परम शून्य ताप(absolute zero) पर कुचालकों की प्रतिरोधकता अनंत हो जाती है, अर्थात 0K पर कुचालकों की चालकता लगभग शून्य हो जाती है।
अर्धचालकों के लिए Eg ≅ 1eV होता है अतः इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक नहीं होती, किन्तु कुचालकों के लिए Eg ≥ 1eV, अतः इनकी प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है।
(iv) विद्युत अपघट्यों की प्रतिरोधकता की ताप पर निर्भरता
ताप बढ़ाने पर विद्युत अपघट्यों की श्यानता(viscosity) कम हो जाती है, जिसके फलस्वरूप इनके भीतर आयन अधिक स्वतंत्रता पूर्वक गति करने लगते हैं जिससे चालकता में वृद्धि होती है। अतः विद्युत अपघट्यों की प्रतिरोधकता ताप बढ़ने पर कम हो जाती है और इनका प्रतिरोधकता ताप गुणांक(α) ऋणात्मक होता है।
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