पेंडुलम घड़ियों पर तापमान का प्रभाव
इस लेख में हम पेंडुलम घड़ियों पर तापमान के प्रभाव पर बात करेंगे के किस प्रकार ताप में वृद्धि व कमि होने पर पेंडुलम घडी द्वारा बताये गए समय पर क्या प्रभाव पड़ता है।
एक पेंडुलम घड़ी में एक धातु की छड़ के एक छोर पर एक बॉब(द्रढ़ वस्तु) जुड़ी होती है और छड़ का दूसरा छोर एक द्रढ़ आधार से बंधा होता है।
पेंडुलम की लंबाई (धातु छड़ की लंबाई) तापमान पर निर्भर करती है, और इसलिए घड़ी का आवर्तकाल तापमान पर निर्भर करता है।
माना एक पेंडुलम घडी, छड़ की l0 लम्बाई पर सही समय बताती है। तब घडी का आवर्तकाल t:-
अब माना तापमान मैं ΔT की वृद्धि हो जाती है, तब घडी का नया आवर्तकाल t’ :-
तापीय प्रसार से हम जानते हैं की पेंडुलम की नई लम्बाई l :-
l = l0( 1 + α ΔT)
अतः,
[ क्यूंकि α का मान बहुत कम होता है ]
अब t’-t = Δt , घडी द्वारा बताए गए समय में आई कमी है,
अतः
प्रति सेकंड घडी द्वारा बताए गए समय में आई कमी
एक दिन में सेकंड की संख्या = 86400
⇒ प्रति दिन घडी द्वारा बताए गए समय में आई कमी =
उदाहरण 1 :- एक पेंडुलम घड़ी 20ºC पर एक ऐसे स्थान पर सही समय देती है जहाँ g = 9.800 ms-2। पेंडुलम में एक हल्की स्टील की छड़ है जो एक भारी गेंद से जुड़ी है। इसे एक अलग स्थान पर ले जाया जाता है जहाँ g = 9.788 ms-2। यह किस तापमान पर सही समय देगा? स्टील का रैखिक प्रसार गुणांक = 12 × 10-6ºC-1.
हल:- क्यूंकि
पेंडुलम घडी सही समय बताए इसके लिए पेंडुलम का आवर्तकाल 2 सेकंड होना चाहिए।
⇒ …..(1)
दूसरे स्थान पर,
⇒ …..(2)
समीकर (1) व (2) से,
⇒ T = -82ºC
उदाहरण 2 :- एक लोलक घड़ी में एक लोहे की छड़ से छोटा भारी पिण्ड जुड़ा है। यदि यह 20°C पर सही समय के लिये बनायी गयी है तो 24 घंटों में 40°C पर यह कितनी जल्दी या धीरे होगी। लोहे का रेखीय प्रसार गुणांक 1.2 × 10–6/°C है।
हल:-
एक दिन (24 घंटे) में घडी द्वारा बताए गए समय में आई कमी =
Δt = 1.04 sec
यहाँ समय में हानि हुई है, क्योंकि अंतिम तापमान(40°C) प्रारंभिक तापमान(20°C) से अधिक है। यदि तापमान बढ़ता है तो आवर्त काल भी बढ़ता है। इसलिये घड़ी धीरे चलने लगती है।
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