पास्कल का नियम
पास्कल का नियम
इस नियम के अनुसार यदि गुरुत्व को नगण्य मानें, तो पात्र में रखे द्रव के किसी एक बिन्दु पर दाब बढ़ाने पर, दाब द्रव के सभी बिन्दुओं व पात्र की दीवारों पर समान रूप से संचरित हो जाता है।
व्युत्पति(Proof) :-
मान लीजिए कि 4 बेलनाकार ट्यूब A, B, C और D वाले गोलाकार बर्तन में एक असंपीड़ित तरल भरा जाता है, जिसमें क्रमशः a, a/2, 2a और 3a अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल वाले घर्षण रहित पिस्टन लगे हैं।
मान लीजिए कि पिस्टन A को F बल से धकेला जाता है, तो विकसित दाब = F/a
पास्कल के नियम के अनुसार यह दाब सभी दिशाओं में समान रूप से संचरित होता है जिसके कारण अन्य सभी पिस्टन बाहर की ओर धकेले जाते हैं। यह पाया गया है कि पिस्टनों को अपनी-अपनी स्थिति में रखने के लिए पिस्टन B, C और D पर क्रमशः F/2, 2F और 3F बल लगाना पड़ता है।
तो पिस्टन B, C और D पर विकसित दबाव [(F/2)/(a/2)], [2F/2a] और [3F/3a] हैं, यानी प्रत्येक F/a के बराबर है।
इसका तात्पर्य यह है कि लगाया गया दबाव सभी दिशाओं में समान रूप से प्रसारित होता है।