परावर्ती दूरदर्शी | परावर्तक दूरदर्शी
परावर्ती दूरदर्शी | परावर्तक दूरदर्शी :- दूरस्थ वस्तुओं के अवलोकन के लिए बनाया गया एक प्रकाशिक उपकरण जो पिंडों से प्रकाश एकत्र करने लिए दर्पणों का उपयोग करता है, परावर्ती दूरदर्शी या परावर्तक दूरदर्शी कहलाता है।
यहाँ हम कैसग्रेन दूरदर्शी (Cassegrain telescope) के बारे में पढेंगे। यह एक प्रकार का परावर्तक दूरदर्शी है जो प्रकाश को एकत्र करने और केंद्रित करने के लिए दो दर्पणों का उपयोग करता है। इसका नाम इसके फ्रांसीसी आविष्कारक, लॉरेंट कैसग्रेन (Laurent Cassegrain) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 17वीं शताब्दी में इस डिज़ाइन को विकसित किया था।
परावर्ती दूरदर्शी (कैसग्रेन दूरदर्शी) की संरचना :-
कैसग्रेन दूरदर्शी में अभिदृश्यक अधिक फोकस दूरी और बड़े द्वारक का एक परवलयिक अवतल दर्पण(प्राथमिक दर्पण) होता है जिसके मध्य में ध्रुव पर एक छोटा सा छिद्र होता है। यह एक चौड़ी नली के सिरे पर लगा होता है और इस नली का दूसरा खुला सिरा बिम्ब की ओर दिष्ट होता है। अभिदृश्यक (अवतल दर्पण) के फोकस से पहले एक छोटा उत्तल दर्पण (द्वितीयक दर्पण) लगा होता है। यह उत्तल दर्पण अभिदृश्यक द्वारा नली के भीतर परावर्तित किरणों को उसके फोकस पर केन्द्रित होने से पूर्व ही परावर्तित कर नेत्रिका की ओर भेज देता है।
उत्तल दर्पण (द्वितीयक दर्पण) लगाने का कारण
यदि पर्यवेक्षक कैसग्रेन दूरदर्शी में प्रतिबिम्ब देखने के लिए अवतल दर्पण के फोकस पर बैठता है, तो निम्न समस्याएं उत्पन्न होती हैं :-
(1) दुर्गमता: कैससेग्रेन दूरदर्शी में अवतल दर्पण का फोकस दूरदर्शी ट्यूब के भीतर गहराई में स्थित होता है। किसी पर्यवेक्षक के लिए दूरदर्शी ट्यूब के भीतर बैठना न तो व्यावहारिक है और न ही सुविधाजनक है।
(2) व्यावहारिकता: पृथ्वी के घूर्णन के कारण आकाशीय पिंडों का अनुसरण करना भी चुनौतीपूर्ण होगा, क्योंकि पर्यवेक्षक को दूरबीन के उन्मुखीकरण(orientation) के साथ आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी।
(3) आपतित किरणों के मार्ग में बाधा: यदि पर्यवेक्षक को अवतल दर्पण के फोकस पर बैठा दिया जाए तब आपतित किरणों के मार्ग में अवरोध के कारण कुछ प्रकाश कम हो जाता है जिससे प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनता।
इन कारणों से, खगोलविद और पर्यवेक्षक दृश्य अवलोकन के लिए कैसग्रेन दूरदर्शी के प्राथमिक फोकस का उपयोग नहीं करते हैं।
कैसग्रेन दूरदर्शी का रेखाचित्र
परावर्ती दूरदर्शी की कार्यप्रणाली
कैसग्रेन दूरदर्शी में मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली प्रकाश किरणों को अवतल दर्पण (प्राथमिक अभिदृश्यक दर्पण) परावर्तित कर उन्हें दर्पण के सामने फोकस बिंदु पर केंद्रित करता है। एक द्वितीयक दर्पण (उत्तल दर्पण) केंद्रित प्रकाश को रोकता है और इसे प्राथमिक दर्पण के केंद्र में स्थित एक छिद्र की और परावर्तित करता है, जहां यह प्राथमिक दर्पण के पीछे एक बिंदु पर एकत्रित होता है, जिसे द्वितीयक फोकस के रूप में जाना जाता है। अंतिम प्रतिबिम्ब को नेत्रिका(एक उत्तल लेंस) द्वारा देखा जाता है।
परावर्ती दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता
m = अंतिम प्रतिबिंब द्वारा नेत्र पर बना कोण(β)/ बिम्ब द्वारा नेत्र पर बना कोण(α)
यह सिद्ध किया जा सकता है कि जब अंतिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी (D)पर बनता है, तब
…..(1)
व जब अंतिम प्रतिबिम्ब अनंत (∞) पर बनता है, तब
…..(2)
समीकरण (1) व (2) में fo व fE क्रमशः अभिदृश्यक अवतल दर्पण तथा नेत्रिका लेंस की फोकस दूरियाँ हैं।
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