न्यूटन के नियम (प्रथम नियम)
न्यूटन के नियम (प्रथम नियम) :- यदि कोई वस्तु विरामावस्था में है, तब वह विरामावस्था में ही रहेगी और यदि एक समान गति की अवस्था में है, तब उसी दिशा में एकसमान गति की अवस्था में रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाए। इस नियम को “न्यूटन की गति का प्रथम नियम” अथवा ‘जड़त्व का नियम’ भी कहते है।
आइये सबसे पहले हम जडत्व की बात करते है, जडत्व क्या होता है?
किसी वस्तु द्वारा अपने आप अपनी अवस्था परिवर्तित न कर पाना ही जड़त्व कहलाता है।
कोई वस्तु अपने आप न तो विरामावस्था से गतिज अवस्था में आ सकती है और न ही गतिज अवस्था से विरामावस्था अवस्था में आ सकती है और न ही वस्तु अपने आप अपनी गति की दिशा बदल सकती है। वस्तु की यह असमर्थता ही जड़त्व है।
जड़त्व का अभिप्राय है “अवस्था परिवर्तन का विरोध करना”।
जड़त्व का मापन:-
किसी वस्तु का जड़त्व उतना ही अधिक होगा जितना अधिक उस वस्तु का द्रव्यमान होगा। उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति किसी ट्रक को धक्का देकर उसे गति मे लाना चाहे, तो यह कार्य आसान नहीं होगा, क्योंकि ट्रक का द्रव्यमान बहुत अधिक होने का कारण वह अपनी अवस्था मैं परिवर्तन का बहुत अधिक विरोध करेगा, अर्थात् द्रव्यमान अधिक होने के कारण जड़त्व भी अधिक होगा।
अतः “जड़त्व वस्तु के द्रव्यमान के समानुपातिक” होता है।
जड़त्व के उदाहरण: –
(a) जब एक बस अचानक शुरू / बंद हो जाती है, तो यात्री पीछे की ओर / आगे की ओर गिरते हैं।
(b) एक कालीन को उसकी धूल हटाने के लिए छड़ी से पीटा जाता है।
(c) एथलीट कूदने से पहले कुछ दूरी तक दौड़ता है।
(d) एक गिलास पर एक कार्डबोर्ड पर रखा हुआ सिक्का, उस कार्डबोर्ड पर जोर से प्रहार करने पर, सिक्का गिलास में गिर जाता है।
पहला नियम निम्नलिखित आकृति में संक्षेपित किया जा सकता है: –
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