नाभिकीय बंधन ऊर्जा
नाभिकीय बंधन ऊर्जा :- हमने “नाभिक की संरचना” लेख में देखा है कि नाभिक न्यूट्रॉनों और प्रोटॉनों से मिलकर बना होता है। इसलिए यह सोचा जा सकता है कि नाभिक का द्रव्यमान उसके सभी प्रोटॉनों और न्यूट्रॉनों के कुल द्रव्यमान के योग बराबर होगा। हालाँकि, परमाणु द्रव्यमान M हमेशा इससे कम पाया जाता है, अर्थात, नाभिक का विराम द्रव्यमान इसे बनाने वाले न्यूक्लिऑनों के विराम द्रव्यमान के योग से कम पाया जाता है। यह इस तथ्य के कारण है कि जब न्यूक्लियॉन मिलकर नाभिक बनाते हैं, तो कुछ ऊर्जा (बंधन ऊर्जा) मुक्त होती है। इसलिए हम परिभाषित कर सकते हैं :-
“नाभिक की बंधन ऊर्जा वह ऊर्जा है जिसके कारण नाभिक में न्यूक्लियॉन आपस में बंधे रहते हैं। इसे न्यूक्लिऑनों को एक दूसरे से अनंत दूरी तक अलग – अलग करने के लिए किए जाने वाले आवश्यक कार्य से मापा जाता है, ताकि वे एक-दूसरे पर कोई प्रभाव ना डालें।”
नाभिकीय बंधन ऊर्जा के लिए अभिव्यक्ति
एक नाभिक ZXA पर विचार करें, यहाँ
Z = परमाणु क्रमांक = नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या
A = द्रव्यमान संख्या = नाभिक में न्यूक्लिऑनों की कुल संख्या (प्रोटॉन + न्यूट्रॉन)
माना
mp = एक प्रोटोन का द्रव्यमान
mn = एक न्यूट्रॉन का द्रव्यमान
mN = ZXA के नाभिक का द्रव्यमान
द्रव्यमान क्षति (Δm) :- न्यूक्लिऑनों के कुल द्रव्यमान तथा नाभिक के द्रव्यमान का अन्तर नाभिक की द्रव्यमान क्षति कहलाती है।
∴ Δm = [Zmp + (A-Z)mn – mN]
आइंस्टीन के द्रव्यमान ऊर्जा तुल्यता से,
नाभिकीय बंधन ऊर्जा (B.E.) = Δmc2
B.E. = [Zmp + (A-Z)mn – mN] c2 …..(1)
जहाँ c निर्वात में प्रकाश की चाल है।
यदि द्रव्यमान को परमाणु द्रव्यमान इकाई(atomic mass unit) में लिया जाए, तो परमाणु बंधन :-
B.E. = [Zmp + (A-Z)mn – mN] × 931.5 MeV …..(2)
अभिव्यक्ति (1) को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है,
B.E. = [Zmp+ Zme + (A-Z)mn – mN – Zme] c2
B.E. = [Z(mp+ me) + (A-Z)mn – (mN + Zme)] c2
B.E. = [ZmH + (A-Z)mn – m(ZXA)] c2 …..(3)
आइए उदाहरण के लिए ऑक्सीजन नाभिक पर विचार करें। इसमें 8 प्रोटॉन और 8 न्यूट्रॉन होते हैं।
8 न्यूट्रॉनों का द्रव्यमान = 8 × 1.00866 u
8 प्रोटोनों का द्रव्यमान = 8 × 1.00727 u
8 इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान = 8 × 0.00055 u
अतः नाभिक 8O16 का अपेक्षित द्रव्यमान है = 8 × (1.00727 + 1.00866) u = 8 × (2.01593) = 16.12744 u
अब 8O16 का परमाणु द्रव्यमान = 15.99493 u (द्रव्यमान वर्णक्रममापी से मापा गया)
8O16 के परमाणु द्रव्यमान से 8 इलेक्ट्रॉनों का द्रव्यमान (8 × 0.00055 u) घटाने पर हम पाते हैं
8O16 नाभिक का प्रायोगिक द्रव्यमान = (15.99493 – 8 × 0.00055) u = 15.99053 u
द्रव्यमान क्षति(Mass defect) = 16.12744 u – 15.99053 u = 0.13691 u
इस प्रकार, हम पाते हैं कि 8O16 के नाभिक का द्रव्यमान इसके न्यूक्लिऑनों के कुल द्रव्यमान से कम है।