त्रिक बिंदु | त्रिक बिंदु से आप क्या समझते हैं
त्रिक बिंदु | त्रिक बिंदु से आप क्या समझते हैं :- वह तापमान और दाब जिस पर किसी पदार्थ की तीनों अवस्थाएं सह-अस्तित्व में होती हैं तथा संगलन वक्र, वाष्पन वक्र और ऊर्ध्वपातन वक्र मिलते हैं, किसी पदार्थ का त्रिक बिंदु कहलाता है।
हमने अध्ययन किया है कि अवस्था परिवर्तन (प्रावस्था परिवर्तन) के समय किसी पदार्थ का तापमान नियत रहता है। पदार्थ के तापमान T और दाब P के मध्य आलेख को प्रावस्था आरेख (phase diagram) अथवा P – T आरेख (P – T diagram) कहा जाता है। निम्न आलेख में जल का प्रावस्था आरेख दर्शाया गया है :-
उपरोक्त प्रावस्था आरेख P-T तल को तीन क्षेत्रों में विभाजित करता है :
- ठोस-क्षेत्र (The solid-region)
- वाष्प-क्षेत्र (The vapour-region) और
- द्रव-क्षेत्र (The liquid-region)
इन क्षेत्रों को निम्नलिखित वक्रों द्वारा प्रथक किया गया है :
- संगलन रेखा या बर्फ रेखा (Fusion curve or ice line) (AB) : संगलन रेखा AB पर स्थित बिंदु उन स्थितियों को दर्शाते हैं जहाँ ठोस और द्रव प्रावस्थाएँ सहवर्ती (सह-अस्तित्व में होती हैं) होती हैं। यह रेखा दर्शाती है कि दाब बढ़ने पर हिम का गलनांक कम हो जाता है ।
- वाष्पन वक्र या भाप वक्र (Vaporization curve or steam line) (BC) : वाष्पन वक्र BC पर स्थित बिंदु उन स्थितियों को दर्शाते हैं जहाँ द्रव और वाष्प प्रावस्थाएँ सहवर्ती होती हैं। यह वक्र दर्शाती है कि दाब बढ़ने पर जल का क्वथनांक बढ़ जाता है ।
- ऊर्ध्वपातन वक्र या हिम वक्र (Sublimation curve or hoar frost line) (OB) : ऊर्ध्वपातन वक्र OB पर स्थित बिंदु उन स्थितियों को दर्शाते हैं जहाँ ठोस और वाष्प प्रावस्थाएँ सहवर्ती होती हैं।
उपरोक्त तीनों वक्र बिंदु B पर मिलते हैं जिसे किसी भी पदार्थ का त्रिक बिंदु कहा जाता है। इस प्रकार जल के त्रिक बिंदु को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता हैं :
वह तापमान और दाब जिस पर संगलन वक्र, वाष्पन वक्र और उर्ध्वपातन वक्र मिलते हैं और जल की (अथवा किसी भी पदार्थ की) तीनों अवस्थाएं सह-अस्तित्व में होती हैं, जल का त्रिक बिंदु कहलाता है।
जल के त्रिक बिंदु पर तापमान और दाब के मान हैं :
Tत्रिक बिंदु = 0.0098ºC ≅ 0.01ºC = 273.16 K
Pत्रिक बिंदु = 4.6 mm. of Hg column = 605.26 N/m2 = 0.00625 atm