सेल की टर्मिनल वोल्टता
(Terminal Potential Difference)
सेल की टर्मिनल वोल्टता (Terminal Potential Difference) :- जब सेल किसी बाह्य परिपथ से संयोजित हो और परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो, तब सेल के सिरों के मध्य का प्रचालन विभवांतर (operating potential difference), सेल की टर्मिनल वोल्टता कहलाता है। यह बाह्य विद्युत उपकरण (जैसे बल्ब, विद्युत मोटर या कोई अन्य उपकरण) के लिए उपलब्ध वास्तविक विभवांतर है। अर्थात जब किसी सेल युक्त विद्युत परिपथ में धारा प्रवाहित होती है तब सेल के दोनों सिरों के मध्य के विभावांतर को सेल की टर्मिनल वोल्टता (V) कहते हैं।
जब एक सेल या बैटरी को किसी लोड (किसी उपकरण) से जोड़ा जाता है, तो परिपथ से विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है। प्रत्येक सेल का कुछ आंतरिक प्रतिरोध है (r) होता है। इस आंतरिक प्रतिरोध के कारण, सेल द्वारा प्रदान की गई ऊर्जा का कुछ भाग सेल के भीतर ऊष्मा के रूप में नष्ट हो जाता है, जिससे सेल के सिरों पर उपलब्ध वोल्टता कम हो जाती है। अतः एक बंद विद्युत परिपथ में किसी सेल की टर्मिनल वोल्टता (V) का मान इसके विद्युत वाहक बल (ε) से कम होता है।
सेल के विद्युत वाहक बल(ε), टर्मिनल वोल्टता(V) एवं आन्तरिक प्रतिरोध(r) में संबंध
माना एक सेल का विद्युत वाहक बल ε व आन्तरिक प्रतिरोध r है। यह सेल एक बाह्य प्रतिरोध R और कुंजी K से संयोजित है। एक उच्च प्रतिरोध का वोल्टमीटर V सेल के सिरों के मध्य जोड़ा गया है।
चित्र (a) में कुंजी में प्लग नहीं डाला गया, अर्थात् परिपथ खुला है इसलिए परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं हो रही। इस समय वोल्टमीटर का पाठ्यांक सेल के विद्युत वाहक बल के बराबर होगा।
चित्र (b) में कुंजी में प्लग डालने पर परिपथ में विद्युत धारा I प्रवाहित होती है, जिसका मान :-
…..(1)
यहाँ (R+r) परिपथ का कुल प्रतिरोध है।
यहाँ बिंदु A व B प्रतिरोध R के अंत बिंदु हैं, अतः प्रतिरोध R के सिरों का विभावांतर सेल की टर्मिनल वोल्टता (V) के बराबर होगा। बाह्य प्रतिरोध R पर ओम के नियम से,
…..(2)
R का मान समीकरण (2) से समीकरण (1) में रखने पर,
…..(3)
उपरोक्त समीकरण (3) ही सेल के विद्युत वाहक बल (ε), टर्मिनल वोल्टता (V ) एवं आन्तरिक प्रतिरोध (r ) के मध्य वांछित संबंध है। अतः जब किसी सेल से विद्युत धारा ली जा रही हो अर्थात सेल निरावेशित हो रही हो, तब सेल की टर्मिनल वोल्टता (V ) का मान सेल के विद्युत वाहक बल (ε) से कम होता है।
समीकरण (3) में I = 0 रखने पर,
अतः जब सेल से विद्युत धारा नहीं ली जा रही हो तब सेल की टर्मिनल वोल्टता (V) है उसके विद्युत वाहक बल (ε) के बराबर होती है।
नोट :-
(I). जब सेल बंद परिपथ में हो (निरावेशन/विसर्जन की स्थिती)
(i). सेल के भीतर विभव पतन =
(ii). सेल का आन्तरिक प्रतिरोध :-
समीकरण (2) से,
I का यह मान समीकरण (1) में रखने पर,
…..(4)
(iii). बाह्य प्रतिरोध में शक्ति व्यय :-
…..(5)
अधिकतम शक्ति व्यय के लिए बाह्य प्रतिरोध (R) का मान सेल के आन्तरिक प्रतिरोध (r) के बराबर होना चाहिए (इस तथ्य को “अधिकतम शक्ति स्थानान्तरण प्रमेय” (Maximum Power Transfer theorem) कहते हैं), अतः समीकरण (5) में R = r रखने पर,
…..(6)
(iv). यदि बाह्य प्रतिरोध का मान R1 से R2 कर दिया जाए तब परिपथ में विद्युत धारा I1 से I2 हो जाएगी व टर्मिनल वोल्टता का मान V1 से V2 हो जाएगा। इन आंकड़ों से सेल के विद्युत वाहक बल (ε) व आंतरिक प्रतिरोध (r ) का मान निम्न प्रकार ज्ञात किया जा सकता है :-
…..(7)
इसी प्रकार,
…..(8)
(II). आवेशित होती सेल (Cell during charging)
सेल के आवेशन के समय सेल का धन इलेक्ट्रोड बैटरी के धन सिरे से तथा सेल का ऋण इलेक्ट्रोड बैटरी के ऋण सिरे से संयोजित होता है। इस प्रक्रम के समय सेल के भीतर विद्युत धारा धन इलेक्ट्रोड से ऋण इलेक्ट्रोड की ओर प्रवाहित होती है।
आवेशन के समय,
अतः आवेशन के समय किसी सेल की टर्मिनल वोल्टता (V) का मान उसके विद्युत वाहक बल (ε) से अधिक होता है।
(III). खुला परिपथ व लघु परिपथ (Open Circuit and Short Circuit)
(a) खुला परिपथ
- परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा (I) = 0
- सेल के सिरों (A व B) के मध्य विभवान्तर = ε
- बाह्य प्रतिरोध R के सिरों के मध्य विभवान्तर = 0
(b) लघु परिपथ
- परिभाषा : लघुपथन तब होता है जब सेल के टर्मिनल सीधे एक ऐसे चालक से जुड़े होते हैं जिसका प्रतिरोध बहुत कम अथवा नगण्य होता है।
- विद्युत धारा : लघुपथन में, धारा केवल सेल के आंतरिक प्रतिरोध द्वारा नियंत्रित होती है। क्योंकि आंतरिक प्रतिरोध नगण्य होता है इसलिए इससे बहुत अधिक धारा प्रवाहित होती है ।
- इस स्थिती में परिपथ में कुछ क्षणों के लिए अधिकतम धारा ISC [लघुपथन धारा (short circuit current)] प्रवाहित होती है।
- आंतरिक प्रतिरोध में विभवपतन : सेल का आंतरिक प्रतिरोध, हालांकि अल्प है, अब यह एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सेल के सम्पूर्ण विद्युत वाहक बल का पतन इस अल्प आंतरिक प्रतिरोध पर होता है, जिससे बाह्य टर्मिनलों पर लगभग कोई वोल्टता दिखाई नहीं देता है।
- अब क्यूंकि ISC उच्च है व r अल्प है (किन्तु शून्य नहीं), अतः गुणनफल ( ISC × r) का मान लगभग सेल के विद्युत वाहक बल (ε) के बराबर ही होता है जिससे टर्मिनल वोल्टता (V) का मान शून्य आता है :-
उपरोक्त तथ्यों को निम्न आलेख द्वारा निरुपित किया जा सकता है :-