जटिल परिपथों का तुल्य प्रतिरोध कैसे ज्ञात करें
जटिल परिपथों का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए हमें परिपथ में समविभव बिन्दुओं की पहचान करनी होगी व उन्हें जोड़ना होगा । समविभव बिन्दुओं की पहचान यह है कि परिपथ इन बिन्दुओं के सापेक्ष सममित होता है। किसी दिए गए परिपथ में सममितता के दो अक्ष हो सकते हैं :-
(a) अभिलम्बवत सममित अक्ष (Normal Symmetric Axis) : यह अक्ष (YY’) विद्युत धारा के प्रवाह की लम्बवत दिशा में होता है। इस अक्ष पर स्थित बिन्दुओं के विद्युत विभव समान होते हैं। उपरोक्त चित्र में :-
V6 = V5
V2 = V0 = V4
V7 = V8
(b) समान्तर सममित अक्ष (Parallel Symmetric Axis) : यह अक्ष (XX’) विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा में होता है। इस अक्ष पर स्थित बिन्दुओं के विद्युत विभव कभी समान नहीं होते। विद्युत धारा की दिशा में जाने पर विद्युत विभव इस अक्ष पर घटता है। अतः उपरोक्त चित्र में :-
V1 > (V6 = V5) > (V2 = V0 = V4) > (V7 = V8) > V3
यदि परिपथ को समान्तर सममित अक्ष के सापेक्ष मोड़ा जाए तब अतिव्यापी होने वाले बिन्दुओं [(5और 6), (2, 0 और 4) व (7और 8)] के विद्युत विभव समान होने के कारण परिपथ निम्न प्रकार बनाया जा सकता है :-
और हल करने पर :-
Note :- उपरोक्त परिपथ को हम समान्तर सममित अक्ष (XX’) के सापेक्ष दो भागों में भी विभक्त हुआ मान सकते हैं और प्रत्येक भाग का प्रतिरोध R’ = 3R प्राप्त होगा, जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है :-
अब यदि दोनों भागों का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात किया जाए (दोनों भाग समान्तर क्रम में संयोजित माने जाएंगे), तब :-
असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु का तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करना
(जटिल परिपथों का तुल्य प्रतिरोध)
माना उपरोक्त परिपथ में , अतः यह एक असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु है। इसे हल करने के लिए निम्न प्रकार star-delta रूपांतरण किया गया है :-
घन का भिन्न-भिन्न स्थितियों में तुल्य प्रतिरोध
(जटिल परिपथों का तुल्य प्रतिरोध)
एक घन जिसकी भुजाएँ प्रतिरोधों से बनी हों, निम्न बिन्दुओं के मध्य घन का समतुल्य प्रतिरोध ज्ञात किया जा सकता है :-
- घन के विकर्ण के सिरों के मध्य (Across body diagonal)
- घन के फलक के विकर्ण के सिरों के मध्य (Across face diagonal)
- दो आसन्न शीर्षों के मध्य (Across adjacent vertices)
घन के विकर्ण के अनुदिश दो शीर्षों (AG) के बीच समतुल्य प्रतिरोध = 5R/6
फलक के विकर्ण के अनुदिश दो शीर्षों (AC) के मध्य समतुल्य प्रतिरोध = 3R/4
दो आसन्न शीर्षों (AB) के मध्य समतुल्य प्रतिरोध = 7R/12
उपरोक्त परिणामों की व्युत्पत्ति के लिए आलेख “घन का भिन्न-भिन्न स्थितियों में तुल्य प्रतिरोध” पढ़िए।
अनंत प्रतिरोधों वाले परिपथों का तुल्य प्रतिरोध
(जटिल परिपथों का तुल्य प्रतिरोध)
उपरोक्त परिपथ में R1 , R2 व R3 प्रतिरोधों की पुनरावृत्ति होती है, अतः उपरोक्त परिपथ को निम्न प्रकार सरल किया जा सकता है :-
उपरोक्त परिपथ, बिन्दुओं X व Y से देखने पर भी उसी प्रकार का प्रतीत होता है, जैसा बिन्दुओं A व B से देखने पर प्रतीत होता है, अतः X व Y के मध्य का प्रतिरोध भी बिन्दुओं A व B के मध्य के प्रतिरोध RAB के तुल्य होगा।
अब यहाँ RAB और R3 समान्तर क्रम में हैं और इन का परिणामी R1 व R2 के साथ श्रेणी क्रम में संयोजित है, अतः बिन्दुओं A व B के मध्य का कुल प्रतिरोध निम्न प्रकार ज्ञात किया जा सकता है :-
इसी प्रकार यदि परिपथ निम्न प्रकार दिया जाए तब :-
पुनः उसी प्रकार परिपथ को हल करने पर :-
उसी प्रकार यहाँ RAB और R2 समान्तर क्रम में हैं और इन का परिणामी R1 के साथ श्रेणी क्रम में संयोजित है, अतः बिन्दुओं A व B के मध्य का कुल प्रतिरोध निम्न प्रकार ज्ञात किया जा सकता है :-