छड़ चुम्बक का एक धारावाही परिनालिका की तरह व्यवहार
छड़ चुम्बक का एक धारावाही परिनालिका की तरह व्यवहार :- एक छड़ चुंबक की चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ और एक धारावाही परिनालिका की चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ, दोनों की समानता यह सुझाती है कि जैसे एक परिनालिका बहुत-सी परिवाही धाराओं का योग है वैसे ही एक छड़ चुंबक भी बहुत-सी परिसंचारी धाराओं का योग हो सकती है।
जिस प्रकार एक छड़ चुंबक के दो बराबर टुकड़े करने पर हमें अपेक्षाकृत क्षीण चुंबकीय क्षेत्र वाली दो छोटी-छोटी छड़ चुम्बकें प्राप्त होतीं हैं, ठीक वैसे ही एक परिनालिका को काटने पर हमें दो छोटी-छोटी परिनालिकाएँ प्राप्त जाती हैं।
छड़ चुम्बक का एक धारावाही परिनालिका की तरह व्यवहार गणितीय रूप से सिद्ध करने के लिए हम निम्न चित्र में दर्शायी गई सीमित लम्बाई की परिनालिका के अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र की गणना करते हैं। यहाँ हम यह दर्शाएँगे कि बहुत अधिक दूरी पर परिनालिका का अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र छड़ चुंबक के अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र जैसा ही है।
उपरोक्त चित्र में माना, धारावाही परिनालिका की प्रति एकांक लंबाई में फेरों की संख्या = n, त्रिज्या = a, लंबाई = 2l और परिनालिका में प्रवाहित विदुत धारा = I है। परिनालिका के केंद्र O से r दूरी पर स्थित बिंदु P पर हम अक्षीय चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात करते हैं। यह करने के लिए परिनालिका का एक छोटा वृत्ताकार dx मोटाई का अल्पांश लेते हैं जो इसके केंद्र O से x दूरी पर स्थित है। इस अल्पांश में फेरों की कुल संख्या ndx होगी।
हम जानते हैं की एक वृत्ताकार धारावाही लूप के अक्ष पर चुंबकीय क्षेत्र , द्वारा दिया जाता है। यहाँ dx मोटाई के अल्पांश से प्रेक्षण बिंदु P पर अल्प चुम्बकीय क्षेत्र,
…..(1)
सम्पूर्ण परिनालिका के कारण प्रेक्षण बिंदु P पर कुल चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण प्राप्त करने के लिए ऐसे सभी अल्पांशों के योगदान जोड़ने होंगे। दूसरे शब्दों में समीकरण (1) का x = – l से x = + l तक समाकलन करना होगा। अतः
…..(2)
यदि प्रेक्षण बिंदु P परिनालिका के अक्ष पर बहुत अधिक दूरी पर स्तिथ हो, तब r >> a व r >> l, अतः समीकरण (2), में हर का मान लगभग,
अतः समीकरण (2) से हमें प्राप्त होता है,
…..(3)
धारावाही परिनालिका के चुंबकीय आघूर्ण का परिमाण,
M = कुल फेरों की संख्या × धारा × अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
⇒ M = n × (2l) × I × (πa2)
अतः समीकरण (3) से,
…..(4)
यदि किसी छड़ चुंबक के अक्ष पर, दूर स्थित बिंदु के लिए प्रयोगात्मक विधि से चुम्बकीय क्षेत्र ज्ञात किया जाए तो समीकरण (4) के समान ही व्यंजक प्राप्त होगा।
इस प्रकार इस लेख में हमने छड़ चुम्बक का एक धारावाही परिनालिका की तरह व्यवहार सिद्ध किया।