चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता | दण्ड चुम्बक के अक्ष | निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :- किसी दंड चुम्बक/ धारावाही चालक/धारावाही परिनालिका के चारों ओर का क्षेत्र जिसमें चुम्बकीय प्रभाव अनुभव किये जा सकते हैं, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है। हम जानते हैं कि यदि कोई आवेश(q) किसी चुम्बकीय क्षेत्र B में गति करता है तब आवेश द्वारा अनुभव किया बल,
यदि v = 1 m/s, q = 1 C और θ = 90° हो तब, B = F, अतः
“किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता/सामर्थ्य को, चुम्बकीय क्षेत्र की लम्बवत दिशा में ईकाई वेग से गति कर रहे ईकाई धनावेश द्वारा अनुभव किये गए बल के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।”
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता एक सदिश राशि है।
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के मात्रक
SI मात्रक :-
उपरोक्त परिभाषा से F=qvB ⇒ B=F/qv
SI मात्रक :-N/Am अथवा टेसला(Tesla)
CGS मात्रक :-
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का CGS मात्रक गॉस (Gauss) (G) है।
अन्य परिभाषा :-
“एकांक परिक्षण उत्तरी ध्रुव को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर इसके द्वारा महसूस किये जाने वाले बल को ही चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।”
दण्ड चुम्बक के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
(Magnetic Field Intensity at axial point of bar magnet in Hindi)
माना एक दंड चुम्बक की ध्रुव प्रबलता/सामर्थ्य/शक्ति m है तथा इसकी प्रभावी लम्बाई 2l है। इसकी अक्षीय स्थिति पर केंद्र O से r दुरी पर स्थित बिंदु P पर हमें चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की गणना करनी है।
बिन्दु P पर उत्तरी ध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-
…..(1) (उत्तरी ध्रुव से दूर)
बिन्दु P पर दक्षिणी ध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-
…..(2) (उत्तरी ध्रुव की ओर)
बिन्दु P पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र :-
Baxis = B1 – B2, (∵ B1 > B2)
यहाँ m (2l) = M(छड़ चुम्बक का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण )
अतः
…..(3)
विशेष स्थिती :- यदि चुम्बक छोटी हो तब r >> l,
…..(4)
दण्ड चुम्बक के निरक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
(Magnetic Field Intensity at equilateral point of bar magnet in Hindi)
बिन्दु P पर उत्तरी ध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-
…..(5) (NP के अनुदिश)
बिन्दु P पर दक्षिणी ध्रुव के कारण चुम्बकीय क्षेत्र :-
…..(6) (PS के अनुदिश)
समीकरण (5) व (6) से,
बिन्दु P पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र :-
Beq. = 2B cosθ
यहाँ m (2l) = M(छड़ चुम्बक का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण )
अतः
…..(7)
विशेष स्थिती :- यदि चुम्बक छोटी हो तब r >> l,
…..(8)