आवेशित गोले के कारण विद्युत विभव
आवेशित गोले के कारण विद्युत विभव :- हम निम्न गोलों के कारण विद्युत विभव ज्ञात करेंगे :
- एक चालक गोला (ठोस या खोखला) (सम्पूर्ण आवेश गोले की सतेह पर)
- एक समान रूप से आवेशित कुचालक गोला (एक समान रूप से गोले के सम्पूर्ण आयतन में आवेश वितरण)
प्रत्येक गोले का विश्लेषण निम्न स्थितियों में किया जाएगा :
- गोले के बाहर के किसी बिंदु पर (r > R)
- गोले की सतह पर (r = R)
- गोले के भीतर के किसी बिंदु पर (r < R)
चालक गोले (ठोस या खोखला) के कारण विद्युत विभव
(आवेशित गोले के कारण विद्युत विभव)
किसी चालक को आवेशित करने पर आवेश का चालक की सतह पर इस प्रकार वितरण होता है की सतह के प्रत्येक बिंदु का विद्युत विभव समान रहता है और चालक के भीतर विद्युत क्षेत्र शून्य हो जाता है। इसलिए यदि गोला चालक है, तो चाहे वह खोखला हो या ठोस, आवेश केवल उसकी सतह पर ही रहेगा। इसलिए ठोस चालक गोले और खोखले चालक गोले के लिए विद्युत विभव समान होगा।
मान लीजिए कि R त्रिज्या का एक चालक गोला है जिस पर कुल आवेश Q है जो इसकी सतह पर एक समान रूप से वितरित है। गोले का पृष्ठीय आवेश घनत्व (σ) :
(1). गोले के बाहर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव (r > R)
आइए गोले के बाहर उसके केन्द्र से r दूरी पर स्थित एक बिन्दु P पर विचार करें।
हम जानते हैं कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता एवं विद्युत विभव के मध्य संबंध [समीकरण (3)] इस प्रकार दिया गया है :-
…..(1)
गोले के बाहर के बिंदुओं के लिए,
अतः
जैसे -जैसे हम अनंत से बिंदु P की ओर बढ़ते हैं, हम वास्तव में उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जिसमें r घटता है, इसलिए हमें (dr) को (- dr) से प्रतिस्थापित करना होगा।
अतः
…..(2)
📌 यह बिंदु आवेश के कारण उत्पन्न विभव के समान है। इसका अर्थ है कि गोले के बाहर स्थित बिंदुओं के लिए विद्युत विभव दूरी r के साथ घटता है और अनंत पर शून्य हो जाता है।
(2). गोले की सतह पर विद्युत विभव (r = R)
समीकरण (1) में r = R रखने पर, हमें प्राप्त होता है
…..(3)
(3). गोले के भीतर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव (r < R)
अनंत से गोले के भीतर किसी बिंदु तक आते समय विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) की दूरी r पर निर्भरता एक समान नहीं रहती है। इसलिए हमें समीकरण (1) में दिए गए समाकलन को दो भागों में विभाजित करना होगा :
- अनंत से सतह तक (r = ∞ to r = R) और
- सतह से गोले की भीतर संदर्भ बिंदु P तक (r = R to r = r)
लेकिन एक आवेशित धातु के गोले के अंदर विद्युत क्षेत्र शून्य होता है, अर्थात्, , इसलिए
इससे हमें समीकरण (3) में दिए गए मान के बराबर ही परिणाम प्राप्त होता है, अतः
…..(4)
📌 एक चालक गोले (ठोस या खोखला) के भीतर किसी बिंदु पर विद्युत विभव उसकी सतह पर विद्युत विभव के मान के समान ही होता है तथा यह विद्युत विभव का अधिकतम मान होता है।
विद्युत विभव (V) व गोले के केंद्र से दूरी (r) के मध्य आलेख :-
एक समान रूप से आवेशित कुचालक गोले के कारण विद्युत विभव
(आवेशित गोले के कारण विद्युत विभव)
यहाँ, आवेश गोले के पूरे आयतन में एक समान रूप से वितरित है। मान लीजिए आयतन आवेश घनत्व है :-
एक समान रूप से आवेशित कुचालक गोले के कारण विभिन्न बिंदुओं पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता निम्न प्रकार से दी जाती है :
(1). गोले के बाहर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव (r > R)
जैसे -जैसे हम अनंत से बिंदु P की ओर बढ़ते हैं, हम वास्तव में उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं जिसमें r घटता है, इसलिए हमें (dr) को (- dr) से प्रतिस्थापित करना होगा।
अतः
…..(5)
(2). गोले की सतह पर विद्युत विभव (r = R)
Putting r = R in equation (5), we get
…..(6)
(3). गोले के भीतर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत विभव (r < R)
पुनः अनंत से गोले के भीतर एक बिंदु तक जाते समय विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (E) की दूरी r पर निर्भरता एक समान नहीं होती है। इसलिए हमें समीकरण (1) में दिए गए समाकलन को दो भागों में विभाजित करना होगा :
- अनंत से सतह तक (r = ∞ to r = R) और
- सतह से गोले की भीतर संदर्भ बिंदु P तक (r = R to r = r)
(dr) को (- dr) से प्रतिस्थापित करें क्योंकि हम उस दिशा में समकलन कर रहे हैं जिसमें r घटता है।
…..(7)
एक समान रूप से आवेशित कुचालक गोले के केंद्र पर (r = 0) विद्युत विभव :
…..(8)
विद्युत विभव (V) व एक समान रूप से आवेशित कुचालक गोले के केंद्र से दूरी (r) के मध्य आलेख :-