गोलीय संधारित्र | गोलीय संधारित्र की धारिता का सूत्र
गोलीय संधारित्र | गोलीय संधारित्र की धारिता का सूत्र :- गोलीय संधारित्र में दो संकेंद्रित गोलाकार चालक होते हैं जिनके मध्य एक परावैद्युत पदार्थ (वायु या अन्य कुचालक पदार्थ) भरा होता है। माना आंतरिक गोले A की त्रिज्या a और बाह्य गोले B की त्रिज्या b है।
भूसम्पर्कन के आधार पर गोलीय संधारित्र को दो भागों में बांटा जा सकता है :-
- यदि बाह्य गोला भूसम्पर्कित हो (Outer sphere is earthed)
- यदि आन्तरिक गोला भूसम्पर्कित हो (Inner sphere is earthed)
यदि बाह्य गोला भूसम्पर्कित हो
(गोलीय संधारित्र | गोलीय संधारित्र की धारिता का सूत्र)
जब आन्तरिक गोले A को आवेश Q दिया जाता है तो यह इसकी सतह पर एक समान रूप से वितरित हो जाता है। प्रेरण के कारण बाह्य गोले B की आन्तरिक सतेह पर -Q आवेश व इसकी बाह्य सतेह पर +Q प्रेरित हो जाता है। अब क्यूंकि गोले B की बाह्य सतह भुसम्पर्कित है, अतः +Q आवेश पृथ्वी में प्रवाहित हो जाता है।
अब गोले A का विद्युत विभव,
VA = गोले A के आवेश +Q के कारण विद्युत विभव + गोले B के आवेश -Q के कारण विद्युत विभव
…..(1)
क्यूंकि गोला B भुसम्पर्कित है, अतः
VB = 0 …..(2)
अतः गोले A व B के मध्य विभवांतर,
…..(3)
अतः गोलीय संधारित्र की धारिता,
…..(4)
समीकरण (4) एक गोलीय संधारित्र की धारिता के लिए व्यंजक है।
यदि गोलों के मध्य εr परावैद्युतांक वाले पदार्थ को भर दिया जाए, तब गोलीय संधारित्र की धारिता,
…..(5)
नोट :-
यहाँ विद्युत क्षेत्र (E) गोले A से B की ओर है व ऊर्जा भी केवल गोलों के मध्य भाग में संचित है। गोले A के भीतर व गोले B के बाहर यदि हम कोई गाउसीय पृष्ठ बनायें तो उसके द्वारा परिबद्ध कुल आवेश शुन्य होगा। अतः गोले A के भीतर व गोले B के बाहर विद्युत क्षेत्र (E) व विद्युत ऊर्जा शुन्य है।
यदि आन्तरिक गोला भूसम्पर्कित हो
(गोलीय संधारित्र | गोलीय संधारित्र की धारिता का सूत्र)
पहला तरीका (First Method):-
माना बाह्य गोले B को +Q दिया जाता है व आन्तरिक गोला A भूसम्पर्कित है।
क्यूंकि आन्तरिक गोला A भूसम्पर्कित है अतः इसका विद्युत विभव शुन्य होना चाहिए (VA = 0)। अब बाह्य गोले B के आवेश +Q के कारण गोले A का विद्युत विभव धनात्मक होगा जिसे शून्य करने के लिए गोले A की बाह्य सतह पर कुछ ऋणात्मक आवेश (माना x) प्रेरित होगा। A का कुल विद्युत विभव (VA) :-
VA = गोले B के आवेश +Q के कारण विद्युत विभव + गोले A के आवेश x के कारण विद्युत विभव
प्रेरण के कारण गोले B की आन्तरिक सतह पर व बाह्य सतह पर आवेश प्रेरित होगा। इस प्रकार गोले B की बाह्य सतह पर कुल आवेश होगा।
गोले B का विद्युत विभव :
VB = गोले B के आवेश के कारण विद्युत विभव + गोले B के आवेश के कारण विद्युत विभव + गोले A के आवेश के कारण विद्युत विभव
अतः गोले A व B के मध्य विभवांतर,
अतः धारिता,
…..(6)
द्वितीय तरीका (Second Method):-
उपरोक्त चित्र के अनुसार आप देख सकते हैं कि विधुत ऊर्जा (i) दोनों गोलों के मध्य के क्षेत्र में व (ii) गोले B से अनंत तक संचित है। अतः इसे 2 संधारित्रों का संयोजन माना जा सकता है :-
- गोले A व B से बना संधारित्र जिसकी धारिता का सूत्र समीकरण (4) के अनुसार होगा व
- गोले B से अनंत तक (इसमें दूसरा चालक गोला अनंत त्रिज्या का माना जाएगा) दूसरा संधारित्र जिसकी धारिता का सूत्र एक विलगित चालक गोले की धारिता से दिया जाएगा।
अतः कुल धारिता,
इस प्रकार हमें वही समीकरण (6) प्राप्त होती है।
नोट :-
यदि गोलों के मध्य εr परावैद्युतांक वाले पदार्थ को भर दिया जाए, तब केवल गोलों के मध्य की धारिता प्रभावित होगी व बाह्य गोले B की धारिता अप्रभावित रहेगी। अतः गोलीय संधारित्र की नई धारिता,
…..(7)