ऊष्मीय प्रतिरोध | Thermal Resistance in Hindi
ऊष्मीय प्रतिरोध | Thermal Resistance in Hindi :- ऊष्मीय प्रतिरोध किसी वस्तु या पदार्थ का वह गुण है जो यह निर्धारित करता है कि वह वस्तु कितने प्रभावी ढंग से ऊष्मा के प्रवाह का विरोध करती है। यह उस बाधा को दर्शाता है जो कोई पदार्थ ऊष्मा के स्थानान्तरण में उत्पन्न करता है। जिस प्रकार विद्युत प्रतिरोध विद्युत धारा के प्रवाह में बाधा को दर्शाता है, उसी प्रकार तापीय प्रतिरोध ऊष्मा के प्रवाह में बाधा को दर्शाता है। ऊष्मीय प्रतिरोध की अवधारणा ऊष्मा स्थानान्तरण प्रणालियों और ऊष्मा रोधन को समझने और उनकी रचना करने में मूल भूमिका निभाती है।
ऊष्मीय प्रतिरोध का सूत्र
ऊष्मा चालन के फूरियर नियम लेख में हमने देखा कि किसी चालक से ऊष्मा धारा (dQ/dt), निम्न सूत्र से दी जाती है :-
…..(1)
उपरोक्त समीकरण गणितीय रूप से ओम के नियम के समतुल्य है, जिसमें तापान्तर, विद्युत विभवांतर (V) की भूमिका निभाता है और ऊष्मा धारा (dQ/dt), विद्युत धारा (I) की भूमिका निभाती है। अतः समीकरण (1) की ओम के नियम से तुलना करने पर,
…..(2)
अतः अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A, लम्बाई l व ऊष्मा चालकता गुणांक k वाली चालक छड़ का ऊष्मीय प्रतिरोध, समीकरण (2) द्वारा दिया जाता है।
ऊष्मीय प्रतिरोध का मात्रक
ऊष्मीय प्रतिरोध का S.I. मात्रक केल्विन प्रति वाट (K/W) या डिग्री सेल्सियस प्रति वाट (oC/W) है।
नोट :-
- किरचॉफ का धारा का नियम: हम जानते हैं कि स्थायी तापीय अवस्था में एक छड़ के प्रत्येक अनुप्रस्थ काट से ऊष्मा धारा (dQ/dt) समान रहती है। यह विद्युत धारा में किरचॉफ के नियम के अनुरूप है, जिसे तापीय चालन में भी प्रयोग किया जा सकता है।
- छड़ों का सयोंजन व कुल प्रतिरोध: कई परतों या छड़ों से युक्त जटिल प्रणालियों के लिए, कुल तापीय प्रतिरोध भिन्न-भिन्न प्रतिरोधों का योग होगा। यह विद्युत परिपथ में प्रतिरोधों के सयोंजन के समान है।उदाहरण के लिए, रोधन और भिन्न-भिन्न परतों वाली दीवार में, प्रत्येक परत के तापीय प्रतिरोधों को जोड़कर कुल तापीय प्रतिरोध की गणना की जा सकती है।
उदाहरण 1.
एल्यूमीनियम, तांबे और स्टील से बनी तीन छड़ें जिनके अंत सिरों के तापमान क्रमशः 12 ºC, 4 ºC और 50 ºC हैं व प्रत्येक छड़ की लम्बाई 1 m और अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल 1 cm2 है। इनके उभयनिष्ठ संधि बिंदु का तापमान ज्ञात कीजिए।
[ kCu = 400 W/m-K , kAl = 200 W/m-K , ksteel = 50 W/m-K ]
हल:
इसी प्रकार,
and
छड़ों का श्रेणीक्रम व समांतर क्रम में सयोंजन
(ऊष्मीय प्रतिरोध)
कई परतों या छड़ों से युक्त जटिल प्रणालियों के लिए तुल्य ऊष्मीय प्रतिरोध ज्ञात करने में श्रेणीक्रम और समांतर क्रम सयोंजन की अभिधारणा प्रयोग की जाती है। आइए चर्चा करें कि ये अवधारणाएँ श्रेणी और समानांतर में जुडी छड़ों के लिए कैसे काम करती हैं।
1. श्रेणीक्रम में ऊष्मीय प्रतिरोध: श्रेणीक्रम सयोंजन में, कई छड़ों को एक के बाद एक रखा जाता है, जिससे ऊष्मा के प्रवाह के लिए एक सतत मार्ग बनता है। श्रेणीक्रम संयोजन का कुल ऊष्मीय प्रतिरोध प्रत्येक छड़ के ऊष्मीय प्रतिरोध का योग होता है।
आइए एक संयुक्त स्लैब पर विचार करें जो दो छड़ों, जिनकी लम्बाईयां l1 और l2, अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A1 और A2 व ऊष्मा चालकता गुणांक k1 और k2 हैं। सयोंजन के अंत सिरों के तापमान TH और TL हैं और सभी पार्श्व सतहें रुद्धोष्म परत से ढकी हैं।
माना कि संधि बिंदु का तापमान T है और संयोजन स्थायी तापीय अवस्था में है। इस स्थिति में प्रत्येक छड़ से ऊष्मा धारा बराबर होगी।
प्रथम छड़ से ऊष्मा धारा :
…..(3)
इसी प्रकार द्वितीय छड़ से ऊष्मा धारा :
…..(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
…..(5)
समीकरण (5) से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि ये दो छड़ों का संयोजन एक एकल छड़ के समान है जिसका ऊष्मीय प्रतिरोध (R1 + R2) के बराबर है।
यदि दो से अधिक छड़ें श्रेणीक्रम में जोड़ी जाए तब तुल्य ऊष्मीय प्रतिरोध : –
…..(6)
संधि बिंदु का तापमान
माना संधि बिंदु का तापमान T है। अब चूँकि स्थायी तापीय अवस्था में, दोनों छड़ों से प्रवाहित ऊष्मा धारा बराबर होती है, अतः
…..(7)
श्रेणीक्रम सयोंजन का तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक
अतः संयोजन का तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक :
…..(8)
2. समांतर क्रम सयोंजन में ऊष्मीय प्रतिरोध:
समानांतर क्रम सयोंजन में विभिन्न छड़ों से ऊष्मा प्रवाह अलग -अलग पथों से होता है व सयोंजन के तुल्य ऊष्मीय प्रतिरोध का व्युत्क्रम, प्रत्येक छड़ के ऊष्मीय प्रतिरोध के व्युत्क्रम के योग के तुल्य होता है।
मान लीजिए कि l लंबाई की दो छड़ें समान ऊष्मा भंडारों के मध्य रखी हैं जिनके ऊष्मा चालकता गुणांक k1 और k2 व अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल A1 और A2 हैं, जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है।
छड़ 1 से ऊष्मा धारा :
…..(9)
और छड़ 2 ऊष्मा धारा :
…..(10)
समीकरण (9) और (10) को जोड़ने पर हमें उच्च ताप (TH) ऊष्मा भण्डार से निम्न ताप (TL) ऊष्मा भण्डार की ओर कुल ऊष्मा धारा प्राप्त होती है,
…..(11)
यदि उपरोक्त समानांतर क्रम सयोंजन का तुल्य तुल्य ऊष्मीय प्रतिरोध RParallel हो, तब
…..(12)
समीकरण (11) और (12) की तुलना करने पर,
…..(13)
यदि दो से अधिक छड़ें समानांतर क्रम में जोड़ी जाए तब तुल्य ऊष्मीय प्रतिरोध : –
…..(14)
समानांतर क्रम सयोंजन का तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक
अतः संयोजन का तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक :
…..(15)
उदाहरण 2.
यह चित्र एक पहाड़ी रिसॉर्ट में बने घर की बाहरी दीवार के अनुप्रस्थ काट को दर्शाता है जिसे बाहर के ठंडे तापमान से बचाना है। दीवार में L1 मोटाई की सागौन की लकड़ी(teak wood) और L2 (=5L1) मोटाई की ईंटों की परतों के मध्य, समान ऊष्मा चालकता गुणांक और समान मोटाई की एक अज्ञात पदार्थ की दो परतें हैं। सागौन की लकड़ी का ऊष्मा चालकता गुणांक k1 है और ईंट का k2 (= 5k1) है। दीवार से ऊष्मा प्रवाह स्थायी तापीय अवस्था में व 3 सतहों के तापमान इस प्रकार हैं :- (T1 = 25ºC, T2 = 20ºC and T5 = –20ºC) । संधि बिन्दुओं के तापमान T4 और T3 ज्ञात करो।
हल:
माना दीवार का पृष्ठीय क्षेत्रफल A, तब सागौन की लकड़ी का ऊष्मीय प्रतिरोध,
इसी प्रकार ईंट की दीवार का ऊष्मीय प्रतिरोध,
यदि हम प्रत्येक अज्ञात परत के ऊष्मीय प्रतिरोध को R मानें, तो उपरोक्त दीवार को छड़ों के श्रेणीक्रम सयोंजन के रूप में देखा जा सकता है:
क्यूंकि स्थायी तापीय अवस्था में दोनों छड़ों से प्रवाहित ऊष्मा धारा बराबर होती है, अतः
क्यूंकि R1 = R2,
∴ T4 = –15ºC
अब
∴ T3 = 2.5ºC
उदाहरण 3.
उदाहरण 2 में, k1 = 0.125 W/m–ºC, k2 = 5k1 = 0.625 W/m–ºC और अज्ञात पदार्थ का ऊष्मा चालकता गुणांक k = 0.25 W/mºC है। L1 = 4 cm, L2 = 5L1 = 20 cm है। यदि घर की दीवारों का कुल पृष्ठीय क्षेत्रफल 100 m2 हो, तो घर में उपयोग किए जा रहे विद्युत हीटर की शक्ति और अज्ञात पदार्थ का उष्मीय प्रतिरोध ज्ञात करो।
हल:
प्रथम विधि :
अब
⇒ R = 112 × 10–4 ºC/W
उदाहरण 4.
दो छड़ें A और B समान लंबाई की हैं। प्रत्येक छड़ के सिरों के तापमान T1 और T2 (T1 > T2) हैं। वह कौन सी स्थिति है जो छड़ A और B से समान ऊष्मा प्रवाह की दर सुनिश्चित करे?
हल:
ऊष्मा प्रवाह की दर समान होने के लिए,
latex \displaystyle {{\left( \frac{Q}{t} \right)}_{1}}={{\left( \frac{Q}{t} \right)}_{2}}$
यही वांछित स्थिति है।
उदाहरण 5.
2 मीटर लंबी तांबे की छड़ का वृत्ताकार अनुप्रस्थ काट 1 सेमी त्रिज्या का है। एक सिरे को 100 ºC पर और दूसरे को 0 ºC पर रखा जाता है। वक्र प्रष्ठ ऊष्मा रुद्ध है ताकि सतह से नगण्य ऊष्मा हानि हो। स्थिर अवस्था में ज्ञात करें :-
(a) छड़ का उष्मीय प्रतिरोध
(b) ऊष्मा धारा, H = dQ/dt
(c) ताप प्रवणता (dT/dx) और
(d) गर्म सिरे से 25 cm की दूरी पर तापमान
तांबे(copper) का ऊष्मा चालकता गुणांक 401 W /m−K है।
हल:
(a) छड़ का उष्मीय प्रतिरोध
(b) ऊष्मा धारा
(c) ताप प्रवणता (dT/dx)
(d) माना गर्म सिरे से 25 cm की दूरी पर तापमान θ है, तब
उदाहरण 6.
एक दोहरे-फलक वाली खिड़की में 1 m2 क्षेत्रफल और 0.01 m मोटाई की दो कांच की शीटें हैं, जिनके मध्य 0.05 m वायु की एक स्थिर परत है। स्थायी तापीय अवस्था में, कमरा-कांच अन्तरापृष्ठ और कांच-बाहर अन्तरापृष्ठ क्रमशः 27 ºC और 0 ºC के स्थिर तापमान पर हैं। खिड़की से ऊष्मा प्रवाह की दर और संधि तल का तापमान ज्ञात करें। (दिया गया है, kglass = 0.8 Wm−1K−1, kair = 0.08 Wm−1K−1)
हल:
कुल उष्मीय प्रतिरोध,
अतः ऊष्मा धारा,
अब संधि तल का तापमान,
इसी प्रकार,
उदाहरण 7.
समान आयाम की तीन छड़ों के ऊष्मा चालकता गुणांक 3k, 2k और k हैं। उन्हें निम्न चित्र के अनुसार व्यवस्थित किया गया है जिसमें छड़ों के सिरों के तापमान 100 ºC, 50 ºC और 0 ºC हैं। संधि बिंदु का तापमान :-
(a) 75 ºC
(b) 200/3 ºC
(c) 40 ºC
(d) 100/3 ºC
हल:
माना संधि बिंदु का तापमान T है। जैसा कि हम जानते हैं कि ऊष्मा का कुल आगमन कुल बाहर जाने वाली ऊष्मा के बराबर है, अतः किरचॉफ के विद्युत धारा के नियम से:
उदाहरण 8.
समान लंबाई और समान व्यास की तीन बेलनाकार छड़ें A, B और C श्रेणीक्रम में सयोंजित हैं जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। इनके ऊष्मा चालकता गुणांक क्रमशः 2k, k और 0.5k हैं। स्थायी तापीय अवस्था में, यदि छड़ A और C के मुक्त सिरे क्रमशः 100 ºC और 0 ºC पर हों, तब दो संधि बिंदुओं का तापमान ज्ञात करो। तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक क्या होगा ? वक्र प्रष्ठ से विकिरण द्वारा नगण्य ऊष्मा हानि मानें।
हल:
मान लीजिए कि “a” अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल है और “l” प्रत्येक छड़ की लंबाई है। चूंकि छड़ें श्रेणीक्रम सयोंजन में जुड़ी हुई हैं, इसलिए संयोजन का तुल्य उष्मीय प्रतिरोध,
…..(16)
साथ ही यदि keq तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक हो, तब
…..(17)
समीकरण (16) और (17 की तुलना करने पर,
अतः तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक,
अब ऊष्मा धारा,
…..(18)
साथ ही
…..(19)
समीकरण (18) और (19) से,
पुनः
अतः तुल्य ऊष्मा चालकता गुणांक व संधि बिन्दुओं के तापमान , हैं।
उदाहरण 9.
उपरोक्त उदाहरण 8 के लिए T v/s x आलेख और dT/dx v/s x आलेख बनाइये।
हल:
T v/s x आलेख :-
छड़ A के लिये
छड़ B के लिये
छड़ C के लिये
dT/dx v/s x आलेख :-
उदाहरण 10.
निम्न चित्र के अनुसार समान आयाम की पांच छड़ें व्यवस्थित की गई हैं :-
छड़ों के ऊष्मा चालकता गुणांक k1, k2, k3, k4 और k5 हैं। जब बिंदु A और B को भिन्न-भिन्न तापमान पर रखा जाता है, तो केंद्रीय छड़ से कोई ऊष्मा प्रवाहित नहीं होती है। इस अवस्था में :
(A) k1 = k4 और k2 = k3
(B) k1 / k4 = k2 / k3
(C) k1 k4 और k2 k3
(D) k1 k2 = k3 k4
हल:
चूंकि केंद्रीय छड़ से कोई ऊष्मा धारा प्रवाहित नहीं हो रही अतः हम संतुलित व्हीटस्टोन सेतु (balanced wheat-stone bridge) की अवधारणा को लागू कर सकते हैं, जिसे गणितीय रूप से इस प्रकार दिया गया है :-
या
अतः विकल्प (C) सही है।
उदाहरण 11.
एक थर्मस फ्लास्क से ऊष्मा प्रवाह की एकमात्र संभावना इसके कॉर्क से है जिसका क्षेत्रफल 75 cm2 और मोटाई 5 cm है। इसका ऊष्मा चालकता गुणांक 0.0075 cal/cm s ∘C है। बाहर का तापमान 40 ∘C है और बर्फ की गुप्त ऊष्मा 80 cal/g है। फ्लास्क में 0 ∘C तापमान पर 500 ग्राम बर्फ को 0 ∘C तापमान पर पानी में पिघलने में लगने वाला समय है :-
(A) 2.47 hr.
(B) 4.27 hr.
(C) 7.42 hr.
(D) 4.72 hr.
हल:
कॉर्क से ऊष्मा प्रवाह की दर :
बर्फ पिघलने के लिए आवश्यक ऊष्मा,
अतः वांछित समय,
अतः विकल्प (A) सही है।