इंद्रधनुष
इंद्रधनुष :- प्रकृति में रंग के सबसे दिलचस्प स्रोतों में से एक इंद्रधनुष है। इंद्रधनुष के निर्माण का मूल कारण वायुमंडल में उपस्थित जल की बूंदों द्वारा प्रकाश का अपवर्तन, आंतरिक परावर्तन और परिक्षेपण का संयोजन है। जब इंद्रधनुष में रंगों का क्रम बैंगनी से लाल (40° से 42° अर्थात बाहरी किनारे पर लाल रंग और भीतरी किनारे पर बैंगनी रंग) होता है तो हमें प्राथमिक इंद्रधनुष दिखाई देता है। इस इंद्रधनुष की तीव्रता अधिक होती है। इसका निर्माण दो बार अपवर्तन और एक बार आंतरिक परावर्तन से होता है। कभी-कभी आकाश में हमें एक दूसरा बाहरी इंद्रधनुष भी दिखाई देता है जिसे द्वितीयक इंद्रधनुष कहते हैं। द्वितीयक इंद्रधनुष में रंगों का क्रम लाल से बैंगनी तक होता है (50° से 53° अर्थात, बाहरी किनारे पर बैंगनी रंग और भीतरी किनारे पर लाल रंग)। यह प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना में कम तीव्र होता है। इसका निर्माण दो अपवर्तन और दो आंतरिक परावर्तन से होता है।
वे स्थितियाँ जिनके अंतर्गत इंद्रधनुष देखा जा सकता है
इंद्रधनुष को देखने की शर्त यह है कि सूर्य को आकाश के एक हिस्से में (जैसे कि पश्चिमी क्षितिज के पास) चमकना चाहिए, जबकि आकाश के विपरीत हिस्से में (जैसे कि पूर्वी क्षितिज के पास) वर्षा हो रही हो। इसलिए एक पर्यवेक्षक इंद्रधनुष तभी देख सकता है जब उसकी पीठ सूर्य की ओर हो।
इंद्रधनुष का बनना
नीचे दिया गया चित्र इंद्रधनुष निर्माण की मूल प्रक्रिया अर्थात अपवर्तन, आंतरिक परावर्तन और परिक्षेपण का संयोजन दर्शाता है :-
उपरोक्त चित्र आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि इंद्रधनुष का ऊपरी किनारा बैंगनी है, लेकिन वास्तव में, ऊपरी किनारा लाल है और बैंगनी रंग नीचे है। जल बूँद से निर्गत किरणें अपसारी हैं, अतः वे बूँद से निकलकर फैल जाती हैं। इसलिए ये सभी किरणें प्रेक्षक के नेत्र तक नहीं पहुंच पाती, परिणामस्वरूप हम एक बूंद से लाल प्रकाश और उसके नीचे स्थित दूसरी बूंद से बैंगनी प्रकाश देखते हैं, जैसा कि नीचे दिए गए चित्र में दिखाया गया है : –
दूसरे शब्दों में, इंद्रधनुष में जो रंग हम देखते हैं, वे एक ही बूंद से नहीं, अपितु अलग-अलग बारिश की बूंदों से हमारी आंखों की ओर अपवर्तित होते हैं। इस प्रकार प्राथमिक इंद्रधनुष में प्रेक्षक को ऊपर लाल और नीचे बैंगनी रंग दिखाई देता है।
द्वितीयक इंद्रधनुष
द्वितीयक इंद्रधनुष चार चरणों वाली प्रक्रिया है, जिसमें अपवर्तन, दो आंतरिक परावर्तन और परिक्षेपण का संयोजन होता है। द्वितीयक इंद्रधनुष में प्रकाश किरणें वर्षा की बूंद के अंदर प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना में एक के बजाय दो आंतरिक परावर्तनों से गुजरती हैं। दूसरे आंतरिक परावर्तन पर प्रकाश की तीव्रता कम हो जाती है और इसलिए द्वितीयक इंद्रधनुष, प्राथमिक इंद्रधनुष की तुलना में धुंधला होता है।
साथ ही, द्वितीयक इंद्रधनुष में रंगों का क्रम उल्टा होता है जैसा कि नीचे चित्र में दिखाया गया है :-