तापन वक्र (Heating Curve)
तापन वक्र (Heating Curve) :- तापमान के सापेक्ष ऊष्मा का एक आलेख, जो ताप वृद्धि के साथ किसी पदार्थ द्वारा अवशोषित ऊष्मा ऊर्जा की मात्रा को दर्शाता है, तापन वक्र कहलाता है।
किसी पदार्थ का तापन वक्र खींचने के लिए, उसे किसी बंद पात्र में रख कर परिवेश (surroundings) से प्रथक करके यह देखा जाता है कि ऊष्मा देने पर पदार्थ पर क्या प्रभाव पड़ता है।
गर्म करने पर ऊष्मा अवशोषण के साथ – साथ पदार्थ का तापमान बढ़ता जाता है। जब तापमान गलनांक (melting point M.P.) तक पहुँचता है, तब पदार्थ ठोस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होना प्रारम्भ करता है। इस प्रक्रम में तापमान नियत रहता है, जिसे समांतर रेखा (AB) द्वारा दर्शाया जाता है। प्रावस्था परिवर्तन S → L के समय अवशोषित ऊष्मा को गलन की गुप्त ऊष्मा या संगलन की गुप्त ऊष्मा (Lf) कहा जाता है।
प्रावस्था परिवर्तन S → L के पश्चात, जब और ऊष्मा की आपूर्ति की जाती है, तो पदार्थ के तापमान में वृद्धि होने लगती है, और जब तापमान क्वथनांक (boiling point B.P.) तक पहुंचता है तो आलेख में हमें पुनः एक समांतर रेखा (CD) प्राप्त होती है और पदार्थ द्रव अवस्था से गैसीय अवस्था में परिवर्तित होना प्रारम्भ करता है। क्वथनांक पर पदार्थ के तापमान में वृद्धि नहीं होती व इस प्रक्रम में अवशोषित ऊष्मा को वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Lv) कहते हैं।
उपरोक्त तापन वक्र से हम देखते हैं कि :-
- Lv > Lf
- QB – QA = गलन के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा = mLf
- QD – QC = क्वथन या वाष्पीकरण के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा = mLv
- आलेख की ढाल का क्रम :- α > β > γ ⇒ tanα > tanβ > tanγ
- तापन वक्र की ढाल,
- बिंदु (5) से, विशिष्ट ऊष्मा (c) ∝ 1/(तापन वक्र की ढाल), ⇒
- ऊष्मा धारिता (Heat capacity) (H.C.) :- पुनः बिंदु (5) से,