विद्युत ध्रुवण किसे कहते हैं ?
विद्युत ध्रुवण :- जब किसी अध्रुवीय परावैद्युत पदार्थ को बाह्य विद्युत क्षेत्र में रखा जाता है, तब धनावेश का केंद्र विद्युत क्षेत्र की दिशा में व ऋण आवेश का केंद्र विद्युत क्षेत्र के विपरीत दिशा में बल अनुभव करता है।
विद्युत क्षेत्र धन आवेश तथा ऋण आवेश के केंद्रों के मध्य दूरी में वृद्धि करता है तथा धन आवेश व ऋण आवेश के मध्य आकर्षण बल इनके मध्य दूरी को कम करने का प्रयास करता है।
इस प्रकार अणु विरूपित होकर एक विदुत द्विध्रुव की भांति कार्य करता है तथा साम्यावस्था में प्रत्येक अणु का एक द्विध्रुव आघूर्ण होता है।
एक ध्रुवीय परावैद्युत भी विद्युत क्षेत्र में रखने पर ध्रुवित हो जाता है। बाह्य विद्युत क्षेत्र की अनुपस्थिति में परावैद्युत के अणु यादृच्छिक रूप से व्यवस्थित होते हैं जिससे इनका कुल द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है, किन्तु जब विद्युत क्षेत्र आरोपित किया जाता है तब प्रत्येक द्विध्रुव(अणु) विद्युत क्षेत्र के अनुदिश संरेखित होने का प्रयास करता है। इस प्रकार ध्रुवीय परावैद्युत एक परिणामी द्विध्रुव आघूर्ण प्राप्त करता है।
ध्रुवीकरण किस सीमा तक होगा, यह आरोपित विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (जो अणुओं को विद्युत क्षेत्र के अनुदिश संरेखित करने का प्रयास करती है) तथा तापीय ऊर्जा (जो अणुओं को विद्युत क्षेत्र के अनुदिश संरेखित होने से रोकती है) पर निर्भर करता है।
इस प्रकार दोनों ही चाहे ध्रुवीय हो अथवा अध्रुवीय परावैद्युत, किसी बाह्य क्षेत्र की उपस्थिति में ये दोनों ही एक नेट द्विध्रुव आघूर्ण विकसित कर लेते हैं।
परावैद्युत पट्टिका पर बाह्य विद्युत क्षेत्र का प्रभाव
(विद्युत ध्रुवण)
माना कि एक अध्रुवीय परावैद्युत पट्टिका PQRS, संधारित्र की दो प्लेटों के मध्य, एक समान विद्युत क्षेत्र में रखी है।
माना प्रत्येक अणु बाह्य विद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में एक समान रूप से ध्रुवित हो जाता है तथा धनावेश व ऋण आवेश के केंद्रों के मध्य दूरी x है। अतः प्रत्येक अणु का द्विध्रुव आघूर्ण p = qx
यदि एकांक आयतन में अणुओं की संख्या N हो तब एकांक आयतन का द्विध्रुव आघूर्ण P = Np = Nqx
ध्रुवण सदिश (polarisation) ()
यह एक सदिश राशि है, जो यह दर्शाती है कि बाह्य वैद्युत क्षेत्र की उपस्थिति में कोई अणु या परमाणु वैद्युत क्षेत्र की दिशा में किस कोटि तक ध्रुवित हो सकता है। यह निम्न प्रकार दिया जाता है –
= प्रति ईकाई आयतन में उत्पन्न द्विध्रुव आघूर्ण (total dipole moment density) =
ध्रुवण सदिश के मात्रक (m-3)C-m = C-m-2
वे पदार्थ जिनके अणु या परमाणु बाह्य वैद्युत क्षेत्र की दिशा में ध्रुवित होते हैं उन्हें रैखिक समदैशिक परावैद्युत (linear isotropic dielectrics) कहते हैं। विभिन्न अणुओं के प्रेरित द्विध्रुव आघूर्ण एक दूसरे से जुड़कर बाह्य क्षेत्र की उपस्थिति में परावैद्युत को नेट द्विध्रुव आघूर्ण प्रदान करते हैं।
रैखिक समदैशिक परावैद्युत पदार्थों के लिए ध्रुवण सदिश परिणामी वैद्युत क्षेत्र (घटे हुए वैद्युत क्षेत्र) के समानुपाती होता है। अतः ध्रुवण सदिश को इस प्रकार भी व्यक्त किया जाता है :-
…..(1)
जहाँ χe एक विमाहीन नियतांक है जिसे वैद्युत प्रवृत्ति (electric susceptibility) कहते हैं। χe का मान भिन्न – भिन्न परावैद्युत पदार्थों के लिए भिन्न – भिन्न होता है। निर्वात एक लिए, χe = 0
ध्रुवण के पश्चात यदि परावैद्युत के आंतरिक भाग (दानेदार रेखा द्वारा परिबद्ध) को देखा जाए तो इसमें कुल आवेश शुन्य है, क्योंकि एक द्विध्रुव का धन आवेश दूसरे द्विध्रुव के ऋण आवेश के निकट स्थित है जिससे ये एक दूसरे के आवेश को निरस्त कर देते हैं, किंतु परावैद्युत की सतह पर आवेश की एक परत प्रेरित हो जाती है।
इस आवेश को प्रेरित आवेश (induced charge) Qi अथवा ध्रुवण आवेश (polarization charge) कहते हैं व प्रेरित आवेश के कारण पृष्ठीय आवेश घनत्व को प्रेरित पृष्ठ आवेश घनत्व (induced surface charge density) σi , कहते हैं।
पुनः
…..(2)
प्रेरित आवेश Qi एक नया विद्युत क्षेत्र , उत्पन्न करता है जो कि आरोपित विद्युत क्षेत्र , के विपरीत दिशा में है।
∴ ध्रुवित परावैद्युत में प्रभावी विद्युत क्षेत्र
…..(3)
साथ ही
…..(4)
परावैद्युतांक
(विद्युत ध्रुवण)
आरोपित विद्युत क्षेत्र तथा परिणामी विद्युत क्षेत्र E() के अनुपात को दिए गए पदार्थ का परावैद्युतांक कहते हैं। इसे K द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
…..(5)
वैद्युत प्रवृत्ति (χe) तथा परावैद्युतांक (K) में सम्बन्ध
(विद्युत ध्रुवण)
समीकरण (3) व (4) से,
समीकरण (1) से P का मान रखने पर,
अतः समीकरण (5) से,
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