संधारित्र का आवेशन व निरावेशन
संधारित्र का आवेशन व निरावेशन :- माना C धारिता के एक संधारित्र को एक प्रतिरोध R के साथ श्रेणीक्रम में ε विद्युत वाहक बल की एक बैटरी से मोर्स कुंजी K की सहायता से संयोजित किया गया है, जैसा नीचे चित्र में दिखाया गया है :-
(a) संधारित्र का आवेशन
जैसे ही मोर्स कुंजी K को दबाया जाता है, प्रतिरोध R व संधारित्र C , बैटरी से संयोजित हो जाते हैं और R – C परिपथ में धारा प्रवाहित होती है व संधारित्र आवेशित होना प्रारम्भ हो जाता है। माना किसी समय t पर,
संधारित्र की प्लेटों पर आवेश = q
परिपथ में प्रवाहित धारा का माना = I
∴ संधारित्र (C) के सिरों पर विभवान्तर = q/C
प्रतिरोध (R) के सिरों पर विभवान्तर = IR
क्यूंकि बैटरी का विद्युत वाहक बल ε है, अतः
…..(1)
जिस समय संधारित्र पूर्णतया आवेशित हो जाता है, तो संधारित्र की प्लेटों पर आवेश अधिकतम होता है और परिपथ में धारा का प्रवाह रुक जाता है अर्थात
q = q0 होने पर
अतः समीकरण (1) से,
यह मान समीकरण (1) में रखने पर,
आवेशन के प्रक्रम में किसी समय t पर , अतः
दोनों ओर उचित सीमा में समाकलन करने पर,
…..(2)
जहाँ,
समीकरण (2) संधारित्र के आवेशन को दर्शाती है।
समय नियतांक (Time Constant)
राशी को RC परिपथ का समय नियतांक कहा जाता है क्यूंकि की विमा समय की है व किसी दिए गए RC परिपथ के लिए इसका मान नियत होता है।
समीकरण (2) में रखने पर,
∴ q = 63.2 % q0
अतः RC परिपथ का समय नियतांक वह समय होता है जिसमें संधारित्र पर आवेश का मान, अधिकतम आवेश का 63.2 % हो जाता है।
पुनः समीकरण (2) में q = q0 , के लिए
अर्थात् RC परिपथ में आवेश को अपने अधिकतम मान तक पहुँचने में अनंत समय लगता है। किन्तु वास्तव में समय नियतांक के लगभग 5 गुना समय में आवेश अपने अधिकतम मान को प्राप्त कर लेता है अर्थात संधारित्र पूर्णतः आवेशित हो जाता है। निम्न आलेख RC परिपथ में संधारित्र के आवेशन को दर्शाता है :-
(b) संधारित्र का निरावेशन
जैसे ही मोर्स कुंजी K को छोड़ा जाता है, बैटरी परिपथ से अलग हो जाती है व पूर्णतया आवेशत संधारित्र का निरावेशन प्रारम्भ हो जाता है।
यदि किसी समय t पर, संधारित्र की प्लेटों पर आवेश का मान q हो, तब क्यूंकि बैटरी को परिपथ से पृथक कर दिया गया है, अतः समीकरण (1) में ε = 0 रखने पर,
दोनों ओर उचित सीमा में समाकलन करने पर,
…..(3)
जहाँ,
समीकरण (3) संधारित्र के निरावेशन को दर्शाती है।
समय नियतांक (Time Constant)
पूर्व चर्चा के अनुसार राशी को RC परिपथ का समय नियतांक कहते हैं। समीकरण (3) में रखने पर,
∴ q = 36.8 % q0
अतः RC परिपथ का समय नियतांक वह समय होता है जिसमें संधारित्र के निरावेशन के समय, संधारित्र पर आवेश का मान अधिकतम आवेश का 36.8 % रह जाता है।
पुनः समीकरण (3) में q = 0 , के लिए
अर्थात् RC परिपथ में संधारित्र के निरावेशन के दौरान संधारित्र पर आवेश का मान शुन्य होने में अनंत समय लगता है। निम्न आलेख RC परिपथ में संधारित्र के निरावेशन को दर्शाता है :-
नोट :-
यदि समय नियतांक का मान कम है, तब समीकरण (2) से संधारित्र पर संचित आवेश को अपने अधिकतम मान (q0) तब पहुँचने में कम समय लगता है व समीकरण (3) से आवेश को शून्य होने में भी कम समय लगेगा। इसी प्रकार यदि समय नियतांक का मान अधिक है तब संधारित्र के आवेशन व निरावेशन दोनों में ही आधिक समय लगेगा।
अतः RC परिपथ का समय नियतांक () संधारित्र के आवेशन व निरावेशन की दर का मापक है।
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