विस्तार और संकुचन के कारण धातु पैमाने के पाठ्यांक में त्रुटि
इस लेख में हम यह अध्ययन करेंगे कि यदि किसी धातु के पैमाने का तापमान बढ़ाया जाए तो धातु पैमाने के पाठ्यांक में त्रुटि किस प्रकार उत्पन्न होती है।
मान लीजिए कि हमारे पास एक धातु का पैमाना है। जैसा कि हम जानते हैं, तापमान में वृद्धि और गिरावट के साथ, धातु पैमाने की लंबाई बदलती है और इसलिए पैमाने पर अंशों के बीच की दूरी भी बदलती है। इसलिए तापमान में परिवर्तन के साथ-साथ धातु पैमाने के पाठ्यांक में त्रुटि उत्पन्न होती है।
तापमान में वृद्धि से धातु पैमाने के पाठ्यांक में त्रुटि: –
माना एक धातु का पैमाना T0 ºC पर सही मापन करता है और हमें T1ºC (T1 > T0) पर किसी वस्तु की लम्बाई का मापन करना है । तापमान में वृद्धि के साथ पैमाने पर किन्ही भी दो अंशों के बीच की दूरी 1: (1 + αΔT) अनुपात में बढ़ती है।
यहाँ ΔT = T1 – T0 व α = पैमाने के पदार्थ का रैखिक प्रसार गुणांक है।
यदि पैमाना किसी वस्तु की लंबाई L cm माप रहा है, तो इसका वास्तविक पाठ्यांक L (1 + αΔT) सेमी होना चाहिए और इसलिए + LαΔT का एक संशोधन किया जाना चाहिए।
उपरोक्त आकृति में वस्तु की वास्तविक लंबाई 8 सेमी है, लेकिन जैसे-जैसे तापमान T1 ºC तक बढ़ जाता है, पैमाने की लंबाई बढ़ जाती है और पैमाने का पाठ्यांक कम हो जाता है अर्थात 7.5 सेमी।
यहाँ
त्रुटि = M.V. ( मापित मान ) – T.V. ( वास्तविक मान ) = 7.5cm – 8cm = -0.5 cm
संशोधन = +0.5 cm
तापमान में गिरावट से धातु पैमाने के पाठ्यांक में त्रुटि : –
जैसे ही तापमान गिरता है, धातु के पैमाने की लंबाई कम हो जाती है और पैमाने का पाठ्यांक अधिक आने लगता है।
माना तापमान T2ºC(T2 < T0) है।
तापमान में कमि के साथ पैमाने पर किन्ही भी दो अंशों के बीच की दूरी 1: (1 – αΔT) अनुपात में घटती है।
यहाँ ΔT = T0 – T2 व α = पैमाने के पदार्थ का रैखिक प्रसार गुणांक है।
यदि पैमाना किसी वस्तु की लंबाई L cm माप रहा है, तो इसका वास्तविक पाठ्यांक L(1-αΔT) सेमी होना चाहिए और इसलिए -LαΔT का एक संशोधन किया जाना चाहिए।
उपरोक्त आकृति में वस्तु की वास्तविक लंबाई 8 सेमी है, लेकिन जैसे-जैसे तापमान T2 ºC तक घट जाता है, पैमाने की लंबाई भी घट जाती है और पैमाने का पाठ्यांक बढ़ जाता है अर्थात 8.5 सेमी।
यहाँ
त्रुटि = M.V. ( मापित मान ) – T.V. ( वास्तविक मान ) = 8.5cm – 8cm = +0.5 cm
संशोधन = -0.5 cm
उदाहरण 1.
एक मीटर छड़ स्टील से बनी है और 16ºC पर सही मापन करती है। प्रतिशत त्रुटि क्या होगी, यदि मीटर छड़ का प्रयोग किया जाए
- एक गर्मी के दिन जब तापमान 46ºC होता है और
- एक सर्दी के दिन जब तापमान 6ºC होता है ?
स्टील का रेखीये प्रसार गुणांक 11×10-6 ºC-1 है।
हल :
गर्मियों के दिनों में, पैमाना वास्तविक लंबाई से कम पढ़ेगा, इसलिए प्रतिशत त्रुटि होगी: –
प्रतिशत त्रुटि = –(Δl/l) ×100
⇒ प्रतिशत त्रुटि = -(αΔT) ×100
⇒ प्रतिशत त्रुटि = -( 11×10-6 ) ×(46-16)×100
⇒ प्रतिशत त्रुटि = -0.033%
सर्दियों के दिनों में, पैमाना वास्तविक लंबाई से अधिक पढ़ेगा, इसलिए प्रतिशत त्रुटि होगी: –
प्रतिशत त्रुटि = +(Δl/l) ×100
⇒ प्रतिशत त्रुटि = +(αΔT) ×100
⇒ प्रतिशत त्रुटि = +( 11×10-6 ) ×(16-6)×100
⇒ प्रतिशत त्रुटि = +0.011%
उदाहरण 2.
एक छड को बर्नियर केलिपर से मापा गया और ये 180mm लम्बा पाया गया। मापन के समय तापमान 10ºC है। मापन में त्रुटि होगी, यदि वर्नियर केलिपर के पैमाने को 20ºC पर मापा गया है : (α = 1.1 × 10-5 °C-1. माना कि छड की लम्बाई नहीं बदलेगी।)
(A) 1.98 × 10–1 mm (B) 1.98 × 10–2 mm (C) 1.98 × 10–3 mm (D) 1.98 × 10–4 mm
हल :
जैसे ही तापमान गिरता है, धातु के पैमाने की लंबाई कम हो जाती है और पैमाने का पाठ्यांक अधिक आने लगता है, अतः
त्रुटि = M.V. ( मापित मान ) – T.V. ( वास्तविक मान ) = αLΔT
∴ त्रुटि = 1.1 × 10-5 × 180mm × 10 = 1.98 × 10–2 mm
उदाहरण 3.
एक बैरोमीटर (दाबमापी) का पीतल का पैमाना 0º C पर सही पाठ्यांक देता है। पीतल का ऊष्मीय प्रसार गुणांक 0.00002/º C है। बैरामीटर 27º C पर 75 cm पाठ्यांक देता है। 27ºC पर सही वायुदाब क्या है ?
हल :
तापमान बढ़ने पर पैमाना प्रसारित होता है, इसलिए पारे की एक नियत वास्तविक ऊँचाई, प्रसारित पैमाने पर थोड़ी कम ऊँची प्रतीत होती है। अतः वास्तविक ऊँचाई (अर्थात् सही दाब) होगी :
वैकल्पिक रूप में
अधिक तापमान पर बैरोमीटर का पाठ्यांक वास्तविक मान से थोड़ा कम प्राप्त होता है क्योंकि पीतल का पैमाना प्रसारित होता है। पाठ्यांक में जो कमी आती है, वह लगभग उतनी ही होती है जितना विस्तार पीतल के पैमाने में तापीय प्रसारण के कारण होता है।
पाठ्यांक में त्रुटि ≈ पीतल के पैमाने में प्रसार
Δh = h × α × ΔT
Δh = 75 × 0.00002 × 27 = 0.0405 cm
अतः वास्तविक ऊँचाई (अर्थात् दाब का सही मान) :
उदाहरण 4.
बैरोमीटर का पीतल का पैमाना 0 ºC पर सही पाठ्यांक देता है। पीतल का रैखिक प्रसार गुणांक 18 × 10−6 ºC-1 है। यदि बैरोमीटर 20 ºC पर 76 cm पाठ्यांक देता है, तो सही पाठ्यांक होगा :
(A) 76.426 cm
(B) 75.7 cm
(C) 76.642 cm
(D) 76.264 cm
[दिया है γHg = 18 × 10−5 ºC-1]
हल :
तापमान बढ़ने पर पीतल का पैमाना प्रसारित होता है, जिससे पारे के स्तंभ की ऊँचाई का पठन (reading) वास्तविक ऊँचाई से कम दिखाई देता है। इसलिए, दाब का सही मान प्राप्त करने के लिए हमें पैमाने के प्रसार को आभासी पाठ्यांक में जोड़ना होता है।
साथ ही, तापमान बढ़ने पर पारा भी प्रसारित होता है, जिससे उसका घनत्व घटता है और दाब को संतुलित करने के लिए पारे के स्तंभ की ऊँचाई बढ़ जाती है। यह प्रभाव पैमाने के प्रसार के प्रभाव को आंशिक रूप से संतुलित (निरस्त) करता है, इसलिए हमें पारे के प्रसार को आभासी पाठ्यांक से घटाना होता है ताकि सही पाठ्यांक प्राप्त हो सके।
अतः सही पाठ्यांक होगा :
आप सोच सकते हैं कि पारे के आयतन प्रसार गुणांक (γ) को रैखिक प्रसार गुणांक (α = γ/3) में क्यों नहीं परिवर्तित किया गया। इसका कारण यह है कि हम यह मानते हैं कि पारा जिस नली में है, उसका प्रसार नगण्य है, और पारे का x तथा y दिशाओं में होने वाला आयतन प्रसार प्रभावी रूप से z-अक्ष (ऊँचाई) की दिशा में देखे जाने योग्य परिवर्तन में योगदान करता है।
अतः सही पाठ्यांक :
इसलिए (B) सही विकल्प है।
उपरोक्त लेख पर वीडियो लेक्चर :-
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