तापीय प्रसार
अधिकांश पदार्थ तापमान बढ़ने पर प्रसारित होते हैं । इस घटना को तापीय प्रसार के रूप में जाना जाता है और कई अभियांत्रिकी अनुप्रयोगों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उदाहरण के लिए, तापीय – प्रसार जोड़ों को इमारतों, कंक्रीट राजमार्गों, रेलमार्ग पटरियों, ईंट की दीवारों, और पुलों में बनाया जाता है ताकि तापमान में परिवर्तन से होने वाले आयामी परिवर्तनों की भरपाई हो सके।
तापीय प्रसार का कारण: –
तापीय प्रसार, किसी पदार्थ के परमाणुओं के बीच औसत दूरी में परिवर्तन का परिणाम है। साधारण तापमान पर, एक ठोस पदार्थ में परमाणु लगभग 1013 हर्ट्ज की आवृत्ति से अपनी साम्य स्थिति के इर्द-गिर्द दोलन करते हैं। परमाणुओं के बीच औसत दूरी लगभग 10-10 मीटर होती है। जैसे-जैसे ठोस का तापमान बढ़ता है, परमाणु अधिक आयाम के साथ दोलन करते हैं; परिणामस्वरुप उनके बीच औसत दूरी बढ़ जाती है और पदार्थ का विस्तार होता है।
तापीय प्रसार के प्रकार : –
तापीय प्रसार को तीन भागों में बांटा जा सकता है :-
- रेखीये प्रसार
- क्षेत्रफल प्रसार
- आयतन प्रसार
(1) रेखीये प्रसार :-
मान लीजिए किसी पदार्थ की एक छड़ की प्रारंभिक तापमान T0 पर लंबाई L0 है। अब यदि छड़ का तापमान ΔT बढ़ जाता है, तो छड़ की लंबाई ΔL बढ़ जाती है, तो प्रयोग बताते हैं कि [यदि ΔT बहुत अधिक नहीं है (100ºC या इससे कम)]: –
(i) ΔL , ΔT के सीधे समानुपाती है
अर्थात ΔL ∝ ΔT ……….(1)
यदि दो छड़ें एक ही पदार्थ से बनी हों और दोनों छड़ों के लिए तापमान में परिवर्तन सामान हो, लेकिन एक छड़ की लम्बाई दूसरी छड़ की तुलना में दोगुनी हो, तो इसकी लंबाई में परिवर्तन भी दोगुना है। इसलिये
(ii) ΔL , L0 के सीधे समानुपाती है
अर्थात ΔL ∝ L0 ……….(2)
अब समीकरणों (1) और (2) का प्रयोग करने पर :-
ΔL ∝ L0ΔT
समानुपातिक नियतांक α (जो विभिन्न पदार्थों के लिए अलग – अलग है) का प्रयोग करने पर, उपरोक्त समीकरण से :-
ΔL = αL0ΔT ……….(3)
यदि किसी छड़ की तापमान T0 पर लंबाई L0 हो, तो किसी तापमान T = T0 + ΔT पर छड़ की लम्बाई L :-
L = L0 + ΔL = L0 + αL0ΔT
अथवा
L = L0 (1 + αΔT ) ……….(4)
यहाँ α जो किसी विशेष पदार्थ के तापीय प्रसार गुणों का वर्णन करता है, को रैखिक प्रसार गुणांक कहा जाता है। α के मात्रक K-1 या ºC-1 हैं।
ऐसा इसलिए क्यूंकि आप तापमान की कोई भी इकाई (K या ºC) ले रहे हैं, लकिन केल्विन और सेल्सियस पैमानों में तापान्तर (तापमान में परिवर्तन) समान होता है।
ΔL = αL0ΔT
से हमें प्राप्त होता है
α = ΔL / L0ΔT
उपरोक्त समीकरण से….
α की परिभाषा :- रेखीये प्रसार गुणांक α को प्रति इकाई वास्तविक लम्बाई (L0) व प्रति इकाई तापमान में परिवर्तन (ΔT) पर, लम्बाई में परिवर्तन (ΔL) से परिभाषित किया जाता है।
नोट: – किसी पदार्थ के तापीय प्रसार को पदार्थ के आवर्धन के रूप में देखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब धातु के वॉशर को गर्म किया जाता है, तो छेद की त्रिज्या सहित, वॉशर के सभी आयामों में समीकरण (4) के अनुसार वृद्धि होती है।
ध्यान दें किसी पदार्थ में किसी कोटर (cavity) का प्रसार उसी प्रकार होता है जैसे उस कोटर में पदार्थ भरने पर उस पदार्थ का प्रसार होता है।
तापमान में परिवर्तन से किसी वस्तु का रेखीये आयाम बदलने के साथ – साथ, वस्तु के पृष्ठीय क्षेत्रफल और आयतन में भी परिवर्तन आता है।
(2) क्षेत्रफल प्रसार :-
मान लीजिए, कि किसी पदार्थ की शीट ( चादर ) का प्रारंभिक तापमान T0 पर क्षेत्रफल A0 है। अब यदि शीट के तापमान में ΔT वृद्धि हो जाती है, तो शीट का क्षेत्रफल ΔA परिवर्तित हो जाता है।
प्रयोगों से यह सिद्ध है कि [यदि ΔT बहुत अधिक नहीं है (100ºC या इससे कम)] : –
(i) ΔA , ΔT के सीधे समानुपाती है
अर्थात ΔA ∝ ΔT ……….(5)
और
(ii) ΔA , A0 के भी सीधे समानुपाती है
अर्थात ΔA ∝ A0 ……….(6)
अब समीकरणों (5) और (6) का प्रयोग करने पर :-
ΔA ∝ A0ΔT
समानुपातिक चिन्ह हटाने पर….
ΔA =βA0ΔT ……….(7)
अब यदि T0 ताप पर शीट का क्षेत्रफल A0 हो, तब तापमान T = T0+ΔT पर शीट का क्षेत्रफल A :-
A = A0 + ΔA = A0 + β A0ΔT
अथवा
A = A0 (1 + βΔT )……….(8)
यहाँ β जो किसी विशेष पदार्थ के तापीय प्रसार गुणों का वर्णन करता है, को क्षेत्रफल प्रसार गुणांक कहा जाता है। β के मात्रक K-1 या ºC-1 हैं।
ΔA = βA0ΔT
से हमें प्राप्त होता है
β = ΔA /A0ΔT
उपरोक्त समीकरण से….
β की परिभाषा :- क्षेत्रफल प्रसार गुणांक β को प्रति इकाई वास्तविक क्षेत्रफल (A0) व प्रति इकाई तापमान में परिवर्तन (ΔT)पर, क्षेत्रफल में परिवर्तन (ΔA) से परिभाषित किया जाता है।
(3) आयतन प्रसार :-
मान लीजिए, कि किसी पदार्थ के घन का प्रारंभिक तापमान T0 पर आयतन V0 है। अब यदि घन के तापमान में ΔT वृद्धि हो जाती है, तो घन का आयतन ΔV परिवर्तित हो जाता है।
प्रयागों से यह सिद्ध है कि [यदि ΔT बहुत अधिक नहीं है (100ºC या इससे कम)] : –
(i) ΔV , ΔT के सीधे समानुपाती है
अर्थात ΔV ∝ ΔT ……….(9)
और
(ii) ΔV , V0 के भी सीधे समानुपाती है
अर्थात ΔV ∝ V0 ……….(10)
अब समीकरणों (9) और (10) का प्रयोग करने पर :-
ΔV ∝ V0ΔT
समानुपातिक चिन्ह हटाने पर….
ΔV =γV0ΔT ……….(11)
अब यदि T0 ताप पर घन का आयतन V0 हो, तब तापमान T = T0+ΔT पर घन का आयतन V:-
V = V0 + ΔV = V0 + γ V0ΔT
अथवा
V = V0 (1 + γΔT )……….(12)
यहाँ γ जो किसी विशेष पदार्थ के तापीय प्रसार गुणों का वर्णन करता है, को आयतन प्रसार गुणांक कहा जाता है। γ के मात्रक K-1 या ºC-1 हैं।
ΔV = γV0ΔT
से हमें प्राप्त होता है
γ = ΔV /V0ΔT
उपरोक्त समीकरण से….
γ की परिभाषा :- आयतन प्रसार गुणांक γ को प्रति इकाई वास्तविक आयतन (V0) व प्रति इकाई तापमान में परिवर्तन (ΔT)पर, आयतन में परिवर्तन (ΔV) से परिभाषित किया जाता है।
Nice notes sir
Thank you