जटिल परिपथों की तुल्य धारिता
जटिल परिपथों की तुल्य धारिता :- विद्युत परिपथों में जब हम संधारित्रों का उपयोग करते हैं, तो अक्सर वे एक-दूसरे से विभिन्न संयोजनों में जुड़े होते हैं। जब इन संयोजनों में दो या दो से अधिक संधारित्र होते हैं, और उन्हें सरल रूप में दर्शाना कठिन हो जाता है, तब ऐसे परिपथों को जटिल परिपथ (Complex Circuits) कहा जाता है। इन जटिल परिपथों की हमें तुल्य धारिता (Equivalent Capacitance) की गणना करनी होती है।
(1). नोडल विश्लेषण (Nodal Analysis) द्वारा परिपथ की तुल्य धारिता
जब दो या दो से अधिक संधारित्र इस प्रकार जुड़े होते हैं कि उन्हें सीधे-सीधे श्रेणीक्रम (series) या समानांतर क्रम (parallel) में वर्गीकृत करना कठिन हो, तब हम ऐसे परिपथों को नोडल विश्लेषण से हल करते हैं। इस विधि में हम परिपथ के विभिन्न संधि बिंदुओं (nodes) (जहाँ 3 से अधिक शाखाएँ हों) पर विभव को मानकर, किरचॉफ (Kirchhoff) का धारा नियम (KCL – Kirchhoff’s Current Law) लगाते हैं और समीकरण बनाकर परिपथ का विश्लेषण करते हैं।
मुख्य सिद्धांत व उपयोगी सूत्र :
(a). संधारित्र पर आवेश :
Q = C × (V1−V2)
जहाँ V1 और V2 संधारित्र के सिरों के विभव हैं।
(b). किरचॉफ का धारा नियम (KCL) :
किसी भी नोड पर आने वाली कुल धारा = जाने वाली कुल धारा
चूंकि साम्यावस्था में संधारित्र से प्रवाहित धारा शून्य होती है, अतः dQ/dt = 0 से Q = नियत।
अतः किसी भी संधि बिंदुओं से जुड़े सभी निकायों का आवेश नियत रहेगा।
नोडल विश्लेषण की प्रक्रिया :
- परिपथ को समझें और उसके सभी नोड्स को चिह्नित करें।
- एक नोड को शून्य विभव (Ground) मान लें।
- बाकी नोड्स का विभव V1 ,V2 ,…आदि मान लें।
- प्रत्येक नोड पर KCL लगाएँ – अर्थात् आवेश संरक्षण का नियम।
- समीकरण हल कर के सभी नोड्स का विभव ज्ञात करें।
- जिन दो बिंदुओं के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात करनी है, वहाँ का विभवांतर (ΔV) और निकाय का कुल आवेश (Qtotal) ज्ञात करें।
- अंत में उपयोग करें :
उदाहरण 1.
निम्न चित्र में A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
यहाँ बिन्दुओं A व B के मध्य हमें एक बैटरी संयोजित हुई माननी होगी। अतः माना बिन्दुओं A व B के मध्य V वोल्ट की एक बैटरी संयोजित है जिसका धन सिरा बिंदु A से व ऋण सिरा बिंदु B से जुड़ा है। निम्न चित्र में संधि बिंदुओं (nodes) P व Q के विभव x व y माने गए हैं :-
नोड P व Q से जुडी संधारित्र की सभी प्लेटें एक विलगित निकाय बनती हैं, इसलिए इन पर कुल आवेश शुन्य होगा, अतः
…..(1)
इसी प्रकार,
…..(2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
…..(3)
समीकरण (3) का समीकरण (1) में प्रयोग करने पर,
…..(4)
और
…..(5)
बैटरी द्वारा परिपथ को दिया गया कुल आवेश :
[बैटरी केवल उन्हीं संधारित्रों को आवेश देती है जो उससे सीधे जुड़े होते हैं। C3 में जो आवेश आता है, वह C1 और C2 में संचित आवेश के कारण उत्पन्न विभवों के कारण आता है, न कि बैटरी से सीधे। इसीलिए, कुल आवेश केवल C1 और C2 में संचित होता है। इसे समझने के लिए कल्पना कीजिए कि एक टंकी से दो पाइप निकलते हैं (जैसे C1 और C2) और फिर उन पाइपों के बीच एक आंतरिक कनेक्शन है (जैसे C3)। टंकी से पानी केवल दो पाइपों में जाएगा — जो उससे सीधे जुड़े हैं। लेकिन उन पाइपों के बीच का कनेक्शन (C₃) टंकी से सीधे पानी नहीं लेता — बल्कि सिर्फ उन दो पाइपों के बीच भीतर ही पानी का लेन-देन करता है। ]
अब बिन्दुओं A व B के मध्य निकाय की तुल्य धारिता,
नोडल विश्लेषण की सहायता से विभिन्न संधारित्रों पर आवेश ज्ञात करना
उदाहरण 2.
निम्न चित्र में सभी संधारित्रों पर आवेश का मान ज्ञात कीजिये।
हल :
दिए गए चित्र में माना संधि बिंदुओं (nodes) P व Q के विभव x व y हैं, तब विभव विभाजन निम्न प्रकार होगा :-
नोड P व Q से जुडी संधारित्र की सभी प्लेटें एक विलगित निकाय बनाती हैं :-
आवेशन से पूर्व विलगित निकाय का कुल आवेश शुन्य था, अतः आवेशन के पश्चात भी नोड P व Q से जुडी संधारित्र की सभी प्लेटों पर कुल आवेश शून्य ही होगा, अतः
…..(6)
इसी प्रकार,
…..(7)
समीकरण (6) व (7) को जोड़ने पर,
…..(8)
समीकरण (8) का समीकरण (6) में प्रयोग करने पर,
और इसी प्रकार
अतः सभी संधारित्रों पर आवेश के मान निम्न प्रकार होंगे :-
(2). स्विच/कुंजी परिपथ व प्रवाहित आवेश (स्विच शॉर्ट(लघु पथन) करने के पश्चात प्रवाहित आवेश पर आधारित प्रश्नों को हल करना)
[JEE]
ऐसे प्रश्नों में एक विद्युत परिपथ दिया जाता है जिसमें कुछ संधारित्र और एक कुंजी होती है। कुंजी को शॉर्ट करने के पश्चात पूछा जाता है कि कौन-कौन से भाग में आवेश प्रवाहित होगा और किस दिशा में प्रवाहित होगा !
इस प्रकार के प्रश्नों को हल करने के दो चरण हैं :
(1). स्विच की दोनों अवस्थाओं में (जब स्विच खुला हो और बाद में जब बंद कर दिया जाए) , विभिन्न संधारित्रों पर आवेश का मान ज्ञात कीजिये।
(2). अब किसी दिए गए बिंदु/शाखा से प्रवाहित आवेश का मान, संधारित्रों पर प्रारंभिक और अंतिम आवेशों के मान के अंतर के तुल्य होगा।
उदाहरण 3.
निम्न परिपथ में कुंजी S को बंद करने के पश्चात कुंजी से प्रवाहित आवेश का मान ज्ञात कीजिये।
हल :
कुंजी को बंद करने से पूर्व ऊपर वाले दोनों संधारित्रों (4μF और 2μF) अथवा नीचे वाले दोनों संधारित्रों (8μF और 2μF) पर कुल आवेश का मान ज्ञात कीजिये। आइये हम ऊपर वाले दोनों संधारित्रों (4μF और 2μF) पर कुंजी को बंद करने से पूर्व आवेश का मान ज्ञात करें।
कुंजी S बंद करने से पूर्व, 4μF और 2μF के दोनों संधारित्र श्रेणीक्रम में संयोजित हैं, और क्यूंकि श्रेणीक्रम संयोजन में संधारित्रों पर आवेश का मान समान होता है, अतः प्रारम्भ में कुल आवेश शुन्य है (4μF के संधारित्र की दाईं प्लेट पर जितना ऋण आवेश , 2μF के संधारित्र की बांईं प्लेट पर उतना ही धनावेश) । अतः
qi = 0
अब आइये कुंजी को बंद करें और आवेश का अंतिम मान ज्ञात करें।
उपरोक्त चित्र से x = 15 वोल्ट, अतः 4μF के संधारित्र की दाईं प्लेट और 2μF के संधारित्र की बांईं प्लेट पर अंतिम आवेश,
अतः कुंजी से प्रवाहित आवेश,
नोट :- उपरोक्त प्रश्न को बिना नोडल विश्लेषण के, श्रेणीक्रम और समान्तर क्रम संयोजन की अवधारणा से भी हल किया जा सकता है।
उदाहरण 4.
उपरोक्त प्रश्न (उदाहरण 3.) में कुंजी बंद करने के पश्चात संधारित्रों में उत्पन्न ऊष्मा ज्ञात कीजिये।
हल :
हम जानते हैं की उत्पन्न ऊष्मा :
कुंजी S बंद करने से पूर्व व बंद करने के पश्चात सभी संधारित्रों पर आवेशों के मान :-
अतः उत्पन्न ऊष्मा :
हल करने का दूसरा तरीका
उत्पन्न ऊष्मा (H) = | कुंजी बंद करने से पूर्व निकाय में संचित कुल ऊर्जा – कुंजी बंद करने के पश्चात निकाय में संचित कुल ऊर्जा |
कुंजी बंद करने से पूर्व तुल्य धारिता,
प्रारंभिक उर्जा,
कुंजी बंद करने के पश्चात तुल्य धारिता,
अंतिम उर्जा,
अतः उत्पन्न ऊष्मा (H),
उदाहरण 5.
निम्न चित्र में कुंजी S को बंद करने के पश्चात परिपथ के खंड 1 और 2 में तीरों द्वारा इंगित दिशाओं में प्रवाहित आवेशों के मान ज्ञात कीजिये।
हल :
कुंजी S बंद करने से पूर्व C1 और C2 श्रेणीक्रम में संयोजित हैं, अतः दोनों पर आवेश का मान समान होगा। परिपथ की तुल्य धारिता :
आवेशों के प्रारंभिक मान,
कुंजी S बंद करने के पश्चात विभिन्न संधि बिन्दुओं (nodes) के विद्युत विभव व आवेशों के मान :
अब C1 धारिता के संधारित्र के सिरों पर विभवान्तर शुन्य है, अतः C1 पर आवेश का नया मान,
इसी प्रकार C2 धारिता के संधारित्र पर आवेश का नया मान,
अब C1 धारिता के संधारित्र की दाईं प्लेट पर पूर्व में आवेश का मान था और कुंजी S बंद करने के पश्चात इसकी दाईं प्लेट पर आवेश का मान शुन्य है। इसका अर्थ ये है कि खंड 2 में दर्शाई गई दिशा में
आवेश प्रवाहित हो कर गया है तभी इस पर अब आवेश का मान शुन्य है।
अतः कुंजी S को बंद करने के पश्चात, खंड 2 में दर्शाई गई दिशा में प्रवाहित आवेश का मान = .
अब C2 धारिता के संधारित्र की ऊपरी प्लेट पर आवेश का प्रारंभिक मान था और कुंजी S बंद करने के पश्चात इसकी ऊपरी प्लेट पर आवेश का मान
है। C2 की ऊपरी प्लेट पर आवेश में हुई वृद्धि
है।
आवेश संरक्षण से,
अतः कुंजी S को बंद करने के पश्चात, खंड 1 में दर्शाई गई दिशा में प्रवाहित आवेश का मान =
(3). परिपथ में सममितता से तुल्य धारिता ज्ञात करना
कुछ परिपथों में दर्पण द्वारा किसी बिम्ब के प्रतिबिम्ब की भांति सममितता होती है। इन परिपथों की तुल्य प्रतिरोध ज्ञात करने के लिए हमें परिपथ में समविभव बिन्दुओं की पहचान करनी होती है और उन्हें जोड़ना होता है । समविभव बिन्दुओं की पहचान यह है कि परिपथ इन बिन्दुओं के सापेक्ष सममित होता है।
किसी दिए गए परिपथ में सममितता के दो अक्ष हो सकते हैं :-
(a) अभिलम्बवत सममित अक्ष (Normal Symmetric Axis) : यह अक्ष (YY’) आवेश प्रवाह की लम्बवत दिशा में होता है। इस अक्ष पर स्थित बिन्दुओं के विद्युत विभव समान होते हैं। उपरोक्त चित्र में :-
V6 = V5
V2 = V0 = V4
V7 = V8
(b) समान्तर सममित अक्ष (Parallel Symmetric Axis) : यह अक्ष (XX’) आवेश प्रवाह की दिशा में होता है। इस अक्ष पर स्थित बिन्दुओं के विद्युत विभव कभी समान नहीं होते। विद्युत धारा की दिशा में जाने पर विद्युत विभव इस अक्ष पर घटता है। उपरोक्त चित्र में यदि बिंदु A को बैटरी के धन सिरे से व बिंदु B को ऋण सिरे से संयोजित किया जाए तब :
V1 > (V6 = V5) > (V2 = V0 = V4) > (V7 = V8) > V3
यदि परिपथ को समान्तर सममित अक्ष (XX’) के सापेक्ष मोड़ा जाए तब अतिव्यापी होने वाले बिन्दुओं [(5और 6), (2, 0 और 4) व (7और 8)] के विद्युत विभव समान होने के कारण परिपथ निम्न प्रकार बनाया जा सकता है :-
और आगे हल कर पर :-
अतः A व B के मध्य तुल्य धारिता :
CAB = 2C/3
Note :- उपरोक्त परिपथ को हम समान्तर सममित अक्ष (XX’) के सापेक्ष दो भागों में भी विभक्त हुआ मान सकते हैं और प्रत्येक भाग की धारिता C’ = C/3 प्राप्त होगी, जैसा की नीचे चित्र में दिखाया गया है :-
अब यदि दोनों भागों की तुल्य धारिता ज्ञात की जाए (दोनों भाग समान्तर क्रम में संयोजित माने जाएंगे), तब :-
नोट :- कई बार संधारित्र परिपथों में सममिति से तुल्य धारिता निकालना आसान होता है, पर जब सममिति स्पष्ट न हो या पहचानना कठिन हो, तब यह विधि भ्रमित कर सकती है। ऐसे में नोडल विश्लेषण (nodal analysis) एक बेहतर तरीका होता है। इसमें परिपथ के विभिन्न नोड्स (संधि बिंदुओं) पर विभव (potential) मान लिए जाते हैं और आवेश संरक्षण (Kirchhoff का धारा का नियम) के सिद्धांत का उपयोग करके समीकरण बनाए जाते हैं। इसमें Q = CV के सिद्धांत के आधार पर समीकरण हल किए जाते हैं। यह विधि गणनात्मक हो सकती है, परन्तु हर प्रकार के परिपथ पर लागू होती है और त्रुटियों से बचाती है।
आइए उपरोक्त प्रश्न को नोडल विश्लेषण द्वारा हल करें !
माना बिन्दुओं A व B के मध्य 100 वोल्ट (आप मन चाहे विभव की बैटरी मान सकते हैं, इससे परिपथ की तुल्य धारिता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता) की एक बैटरी संयोजित है। अब विभिन्न नोड्स (संधि बिंदुओं) पर विभव मान पर निम्न चित्र के अनुसार हल करते हैं :-
उदाहरण 6.
निम्न परिपथ में बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता,
CAB = 1.3 C
उदाहरण 7.
निम्न परिपथ में बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता,
CAB = 11C/8
उदाहरण 8.
निम्न परिपथ में बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता,
CAB = 7C/5
उदाहरण 9.
निम्न परिपथ में बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता,
CAB = 4C/3
उदाहरण 10.
निम्न परिपथ में बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता,
CAB = C
उदाहरण 11.
निम्न परिपथ में बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिये।
हल :
अतः बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता,
CAB = 32C/11
(4). व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone bridge) परिपथ की तुल्य धारिता
व्हीटस्टोन सेतु, चार संधारित्रों का एक निकाय होता है, जिनमें शीर्ष पर C1, C3 धारिता के दो संधारित्र और नीचे C2, C4 धारिता के दो और संधारित्र जुड़े होते हैं। विपरीत सिरों (A, B) के मध्य बाह्य विद्युत स्रोत संयोजित किया जाता है और मध्यवर्ती भुजा पर C5 धारिता का एक पांचवां संधारित्र (bridge arm) संयोजित होता है।
व्हीटस्टोन सेतु परिपथ के प्रकार :-
(a) असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु (Unbalanced Wheatstone bridge)
(b) संतुलित व्हीटस्टोन सेतु (Balanced Wheatstone bridge)
(a) असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु (Unbalanced Wheatstone bridge) : यदि C1/C2 ≠ C3/C4 अथवा C1 . C4 ≠ C2 . C3 तब व्हीटस्टोन सेतु असंतुलित अवस्था में कहा जाता है। इस अवस्था में मध्य संधारित्र (bridge arm) C5 सक्रिय होता है और इसमें भी आवेश संचित होता है।
नोडल विश्लेषण द्वारा असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु परिपथ की तुल्य धारिता :
माना संधि बिन्दुओं A व B के मध्य 1 वोल्ट की एक बैटरी संयोजित है और संधारित्र C5 के सिरों (संधि बिन्दुओं) के विभव x और y हैं, जैसा की नीचे चित्र में दर्शाया गया है :-
x के लिए नोडल समीकरण :
…..(1)
y के लिए नोडल समीकरण :
…..(2)
समीकरण (1) से,
…..(3)
समीकरण (3) से y का मान समीकरण (2) में रखने पर,
…..(4)
समीकरण (3) में समीकरण (4) से x का मान रखने पर,
…..(5)
बैटरी द्वारा निकाय को दिया गया कुल आवेश,
समीकरण (4) व (5) से x व y के मानों का प्रयोग करने पर,
निकाय की धारिता,
…..(6)
समीकरण (6) असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु परिपथ की तुल्य धारिता के लिए अभीष्ट व्यंजक है।
(b) संतुलित व्हीटस्टोन सेतु (Balanced Wheatstone bridge) : यदि C1/C2 = C3/C4 अथवा C1 . C4 = C2 . C3 तब व्हीटस्टोन सेतु संतुलन की अवस्था में कहा जाता है। इस अवस्था में मध्य संधारित्र (bridge arm) C5 पर कोई आवेश नहीं होता, अतः इसे परिपथ से पृथक् माना जा सकता है।
चूंकि C5 निष्क्रिय, अतः
ऊपरी शाखा की तुल्य धारिता :
निचली शाखा की तुल्य धारिता :
अन्ततः, A व B के मध्य की तुल्य धारिता :
…..(7)
व्हीटस्टोन सेतु परिपथ के विभिन्न रूप :-
उदाहरण 12.
निम्न परिपथ की बिन्दुओं A व B के मध्य तुल्य धारिता ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है :
C1 = 10μF , C2 = 5μF , C3 = 5μF , C4 = 10μF , C5 = 20μF
यहाँ C1/C2 ≠ C3/C4 , अतः यह एक असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु परिपथ है। समीकरण (6) से,
नोट :- यदपि उपरोक्त प्रश्न एक असंतुलित व्हीटस्टोन सेतु परिपथ है किन्तु फिर भी इस परिपथ में एक सममितता है। यहाँ परिपथ में बाईं ओर जो संधारित्र (10μF और 5μF) संयोजित हैं, वही संधारित्र दाईं और भी संयोजित हैं केवल उनका क्रम परिवर्तित हो चुका है। बैटरी द्वारा जितना आवेश C1 धारिता के संधारित्र को दिया जाएगा उतना ही आवेश C4 धारिता के संधारित्र को भी दिया जाएगा। इसी प्रकार बैटरी द्वारा जितना आवेश C2 धारिता के संधारित्र को दिया जाएगा उतना ही आवेश C3 धारिता के संधारित्र को भी दिया जाएगा। इस लिए इन संधारित्रों के सिरों पर विभवांतर समान होगा। इस प्रश्न को नोडल विश्लेषण द्वारा भी सरलता से हल किया जा सकता है जैसा की नीच दर्शया गया है :-
उपरोक्त चित्र में नोड x के नोडल समीकरण :
बैटरी द्वारा निकाय को दिया गया कुल आवेश :
अतः निकाय की धारिता,
(5). विस्तृत व्हीटस्टोन सेतु (Extensive or Extended Wheatstone bridge) परिपथ की तुल्य धारिता
विस्तृत व्हीटस्टोन सेतु, सामान्य व्हीटस्टोन सेतु (जिसमें केवल 4 शाखाएँ और एक मध्यवर्ती भुजा (bridge arm) होती है) से बड़ा और अधिक जटिल होता है।
निम्न परिपथ परस्पर जुड़े दो व्हीटस्टोन सेतुओं को प्रदर्शित करता है। एक सेतु AEGHFA के मध्य तथा दूसरा सेतू EGBHFE के मध्य संयोजित है। यह परिपथ सामान्य व्हीटस्टोन परिपथ का विस्तृत रूप है जिसमें दो शाखाओं EF तथा GH के बाईं तथा दाईं ओर धारिताओं के अनुपात में सममितता (symmetry) है।
उपरोक्त चित्र में, शाखाओं AE तथा EG में संयोजित संधारित्रों की धारिताओं का अनुपात शाखाओं AF तथा FG में संयोजित संधारित्रों की धारिताओं के अनुपात के बराबर है। अतः सेतु AEGHFA में से शाखा EF को हटाया जा सकता है। इसी प्रकार सेतु EGBHFE में से शाखा GH को भी हटाया जा सकता है।
(6). एक से अधिक सेल युक्त परिपथ
(i) एकल पाश (लूप) में संयोजित एक से अधिक सेल/बैटरी और संधारित्र :-
यदि एक ही लूप में एक से अधिक बैटरी/सेल संयोजित हों साथ में अन्य अवयव (संधारित्र, प्रतिरोध, प्रेरक आदि) संयोजित हों, तब हम ‘Branch Manipulation Method’ का प्रयोग कर, परिपथ को सरल ढंग से पुनः बना सकते हैं।
Branch Manipulation Method :- किसी भी परिपथ में, जब बैटरी और संधारित्र (अथवा प्रतिरोध, प्रेरक आदि) एक के बाद एक श्रेणीक्रम में संयोजित होते हैं, तो परिपथ को हल करने के लिए हम परिपथ के इन घटकों की स्थिति या क्रम बदल सकते हैं। निम्न चित्र में दोनों सेलों को उनकी तुल्य सेल से व दोनों संधारित्रों को उनके तुल्य संधारित्र से प्रतिस्थापित कर पुनर्व्यवस्थित किया गया है।
नोट :- किन्तु उपरोक्त विधि केवल तभी उपयोगी है जब संधारित्र प्रारम्भ में अनावेशित हों और परिपथ में केवल एक पाश (लूप) हो।
(ii) एक से अधिक पाश (लूप) में संयोजित एक से अधिक सेल/बैटरी और संधारित्रों से बने परिपथ को नोडल विश्लेषण से हल करना :-
यदि परिपथ में एक से अधिक लूप हों अथवा संधारित्र पहले से आवेशित हों तब नोडल विश्लेषण से परिपथ को हल किया जाता है, जैसा की नीचे उदाहरण 13 में दर्शाया गया है।
उदाहरण 13.
निम्न परिपथ में सभी संधारित्रों पर आवेशों का मान ज्ञात कीजिये।
हल :
(iii) यदि संधारित्र पहले से आवेशित हों तब कुंजी बंद करने के पश्चात संधारित्रों पर आवेश का नया मान ज्ञात करना :-
उदाहरण 14.
निम्न परिपथ में कुंजी S को बंद करने के पश्चात संधारित्रों पर आवेशों के नए मान ज्ञात कीजिये।
हल :
उपरोक्त प्रश्न को Branch Manipulation Method से हल करने पर हमें सही परिणाम प्राप्त नहीं होगा, क्यूंकि देखने से तो लगता है की यहाँ पर संधारित्र श्रेणीक्रम में संयोजित हैं, किन्तु यहाँ ऐसा नहीं है। क्यूंकि संधारित्रों को श्रेणीक्रम में संयोजित केवल तभी मान सकते हैं, जब :
👉सभी संधारित्र प्रारंभ में अनावेशित हों अथवा उन पर आवेश का मान समान हो।
अतः इस प्रश्न को हल करने के लिए हम नोडल विश्लेषण का प्रयोग करेंगे। नोडल विश्लेषण से हल :
उदाहरण 15.
उपरोक्त उदाहरण 14 में कुंजी S को बंद करने के पश्चात कुंजी से प्रवाहित आवेश का मान ज्ञात कीजिये।
हल :
माना कुंजी S से नीचे की और प्रवाहित आवेश x है, तब
अतः कुंजी S से नीचे की और प्रवाहित आवेश –160μC है।